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नहरों के टेल तक पानी पहुंचाने का वादा खोखला, किसान परेशान: अजय कुमार लल्लू

कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने कहा कि बुंदेलखंड, रुहेलखण्ड और मध्य उत्तर प्रदेश के किसानों को बुआई के लिए काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. रबी की फसल की बुआई पूरी तरह प्रभावित हो रही है. प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि भाजपा की सरकार इवेंट मैनेजमेन्ट बन्द कर अन्नदाता की समस्याओं पर ध्यान दे.

अजय कुमार लल्लू ने योगी सरकार पर साधा निशाना
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू
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Published : Dec 10, 2020, 2:22 PM IST

लखनऊः यूपी कांग्रेस के अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने प्रदेश की योगी सरकार को किसानों के मुद्दे पर एक बार फिर घेरा है. उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी ने अपने संकल्प पत्र में नहरों की टेल तक पानी पहुंचाने का वादा किया था. आज रबी की फसल की बुआई अन्तिम चरण में है. किसान को बुआई के पहले अपने खेत तैयार करने के लिए सिंचाई की जरूरत होती है, लेकिन प्रदेश की अधिकतर नहरों में टेल तक पानी नहीं पहुंच सका है.

कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि बुंदेलखंड, रुहेलखण्ड और मध्य उत्तर प्रदेश के किसानों को बुआई के लिए काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. रबी की फसल की बुआई पूरी तरह प्रभावित हो रही है. प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि भाजपा की सरकार इवेंट मैनेजमेन्ट बन्द कर अन्नदाता किसानों की समस्याओं पर ध्यान दे.

'हठ छोड़ किसानों की समस्या हल करे सरकार'

पार्टी मुख्यालय की तरफ से जारी बयान में केंद्र की मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए उन्होंने दो टूक शब्दों में कहा है कि लगातार कई दिनों से अन्नदाता हाड़ कंपाती सर्दी में खुले आसमान में सड़कों पर पड़ा हुआ है, लेकिन सरकार अपने अहंकार से बाहर आने को तैयार नहीं है. सरकार अपने हठ पर अड़ी है. कांग्रेस पार्टी मांग करती है कि देश के अन्नदाता की मांगों को तुरन्त सरकार स्वीकार करे.

'नहीं हो रही समर्थन मूल्य पर खरीद'

अजय कुमार लल्लू का कहना है कि 16 जनपदों में सृजन अभियान के तहत अपने दौरे के दौरान न्याय पंचायत स्तर के किसानों से बात करने के बाद सामने आ रहा है कि प्रदेश के किसी भी जनपद में सरकार की तरफ से किसानों को घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य पर धान की खरीद नहीं की जा सकी है. उन्होंने कहा कि गन्ना पेराई सत्र शुरू हुए एक माह से अधिक बीत जाने के बाद भी अभी तक गन्ने का न्यूनतम समर्थन मूल्य (वर्ष 2020-21) घोषित नहीं किया गया. जिसके चलते किसानों को भारी लागत लगाने के बाद अपनी फसल नुकसान में बेचना पड़ रहा है. 450 रुपये प्रति कुन्तल का वादा करके जनता के विशाल समर्थन से सत्ता में आई भारतीय जनता पार्टी सरकार कार्यकाल के चार वर्ष पूरा करने जा रही है और अभी तक किसानों को मात्र अपनी लागत का आधा मूल्य ही मिल पा रहा है.

'दोगुनी हुई किसानों की लागत'

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि भाजपा सरकार की गलत नीतियों के चलते किसानों की लागत दोगुने से अधिक बढ़ चुकी है. जहां लगभग 80 रुपये तक डीजल के दाम पहुंच चुके हैं, वहीं बिजली का दाम पहले के मुकाबले दोगुने से अधिक बढ़ चुका है. इसमें तीन, साढ़े तीन हॉर्स पावर, सात एवं 10 हॉर्स पावर के पम्पिंग सेट चलाने वालों के बिल के रेट एक समान कर दिए गए हैं. इससे 80 प्रतिशत किसानों पर बहुत बड़ा आर्थिक बोझ पड़ा है. इसी प्रकार उर्वरक, कीटनाशक आदि के दाम दोगुने से अधिक हो गए हैं.

'अब तक नहीं हुआ गन्ने का भुगतान'

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि भाजपा ने चुनाव से पूर्व अपने हर मंच पर सत्ता आने पर 14 दिनों के अन्दर गन्ना मूल्य बकाए के भुगतान और भुगतान न हो पाने की स्थिति में बकाए पर ब्याज सहित भुगतान का वादा किसानों से किया था, लेकिन स्थिति ढाक के तीन पात जैसी बनी हुई है. अभी तक पिछला गन्ना मूल्य लगभग 8447 करोड़ रुपये बकाया है. कई चीनी मिलें ऐसी हैं जहां किसानों का 80 प्रतिशत तक गन्ना मूल्य अभी तक बकाया है. इसमें गोण्डा, बस्ती, पीलीभीत की बजाज चीनी मिल बकाए का भुगतान न कर पाने में नम्बर एक पर है. पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसानों की हालत इससे भी अधिक दयनीय है.

लखनऊः यूपी कांग्रेस के अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने प्रदेश की योगी सरकार को किसानों के मुद्दे पर एक बार फिर घेरा है. उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी ने अपने संकल्प पत्र में नहरों की टेल तक पानी पहुंचाने का वादा किया था. आज रबी की फसल की बुआई अन्तिम चरण में है. किसान को बुआई के पहले अपने खेत तैयार करने के लिए सिंचाई की जरूरत होती है, लेकिन प्रदेश की अधिकतर नहरों में टेल तक पानी नहीं पहुंच सका है.

कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि बुंदेलखंड, रुहेलखण्ड और मध्य उत्तर प्रदेश के किसानों को बुआई के लिए काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. रबी की फसल की बुआई पूरी तरह प्रभावित हो रही है. प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि भाजपा की सरकार इवेंट मैनेजमेन्ट बन्द कर अन्नदाता किसानों की समस्याओं पर ध्यान दे.

'हठ छोड़ किसानों की समस्या हल करे सरकार'

पार्टी मुख्यालय की तरफ से जारी बयान में केंद्र की मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए उन्होंने दो टूक शब्दों में कहा है कि लगातार कई दिनों से अन्नदाता हाड़ कंपाती सर्दी में खुले आसमान में सड़कों पर पड़ा हुआ है, लेकिन सरकार अपने अहंकार से बाहर आने को तैयार नहीं है. सरकार अपने हठ पर अड़ी है. कांग्रेस पार्टी मांग करती है कि देश के अन्नदाता की मांगों को तुरन्त सरकार स्वीकार करे.

'नहीं हो रही समर्थन मूल्य पर खरीद'

अजय कुमार लल्लू का कहना है कि 16 जनपदों में सृजन अभियान के तहत अपने दौरे के दौरान न्याय पंचायत स्तर के किसानों से बात करने के बाद सामने आ रहा है कि प्रदेश के किसी भी जनपद में सरकार की तरफ से किसानों को घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य पर धान की खरीद नहीं की जा सकी है. उन्होंने कहा कि गन्ना पेराई सत्र शुरू हुए एक माह से अधिक बीत जाने के बाद भी अभी तक गन्ने का न्यूनतम समर्थन मूल्य (वर्ष 2020-21) घोषित नहीं किया गया. जिसके चलते किसानों को भारी लागत लगाने के बाद अपनी फसल नुकसान में बेचना पड़ रहा है. 450 रुपये प्रति कुन्तल का वादा करके जनता के विशाल समर्थन से सत्ता में आई भारतीय जनता पार्टी सरकार कार्यकाल के चार वर्ष पूरा करने जा रही है और अभी तक किसानों को मात्र अपनी लागत का आधा मूल्य ही मिल पा रहा है.

'दोगुनी हुई किसानों की लागत'

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि भाजपा सरकार की गलत नीतियों के चलते किसानों की लागत दोगुने से अधिक बढ़ चुकी है. जहां लगभग 80 रुपये तक डीजल के दाम पहुंच चुके हैं, वहीं बिजली का दाम पहले के मुकाबले दोगुने से अधिक बढ़ चुका है. इसमें तीन, साढ़े तीन हॉर्स पावर, सात एवं 10 हॉर्स पावर के पम्पिंग सेट चलाने वालों के बिल के रेट एक समान कर दिए गए हैं. इससे 80 प्रतिशत किसानों पर बहुत बड़ा आर्थिक बोझ पड़ा है. इसी प्रकार उर्वरक, कीटनाशक आदि के दाम दोगुने से अधिक हो गए हैं.

'अब तक नहीं हुआ गन्ने का भुगतान'

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि भाजपा ने चुनाव से पूर्व अपने हर मंच पर सत्ता आने पर 14 दिनों के अन्दर गन्ना मूल्य बकाए के भुगतान और भुगतान न हो पाने की स्थिति में बकाए पर ब्याज सहित भुगतान का वादा किसानों से किया था, लेकिन स्थिति ढाक के तीन पात जैसी बनी हुई है. अभी तक पिछला गन्ना मूल्य लगभग 8447 करोड़ रुपये बकाया है. कई चीनी मिलें ऐसी हैं जहां किसानों का 80 प्रतिशत तक गन्ना मूल्य अभी तक बकाया है. इसमें गोण्डा, बस्ती, पीलीभीत की बजाज चीनी मिल बकाए का भुगतान न कर पाने में नम्बर एक पर है. पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसानों की हालत इससे भी अधिक दयनीय है.

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