हैदराबाद: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Chief Minister Yogi Adityanath) अब सूबे में 58 हजार से अधिक ग्राम प्रधानों के अधिकार बढ़ाने जा रहे हैं. वहीं, सू़त्रों की मानें तो आगामी 5 दिसंबर को मुख्यमंत्री इस बाबत एलान कर सकते हैं. दरअसल, ग्राम प्रधान संगठन की मांग रही है कि प्रधानों को आर्किटेक्ट फर्मों से इस्टीमेट बनवाकर कार्य करवाने और एमबी तैयार करवा कर भुगतान करवाया जाए. अगर इस मामले में किसी भी स्तर पर भ्रष्टाचार होता है तो फिर संबंधित ग्राम प्रधान, पंचायत सचिव व आर्किटेक्ट फर्म को जिम्मेदार ठहराया जाए.
यूपी विधानसभा चुनाव (UP Assembly Election 2022) से पहले सूबे की योगी सरकार प्रदेश के ग्राम प्रधानों को लेकर जल्द ही एक बड़ा फैसला लेने जा रही है. जिसके बाद यूपी के 58,189 ग्राम प्रधानों के वित्तीय व प्रशासनिक अधिकार(financial and administrative authority) बढ़ जाएंगे. जिसके तहत ग्राम प्रधान अधिक आसानी से गांवों के विकास के लिए फंड जारी करा सकेंगे.
जानकारी के मुताबिक आगामी 5 दिसंबर को यूपी में ग्राम प्रधान सम्मेलन (village head conference) होना है. उसी ग्राम प्रधान सम्मेलन में ग्राम प्रधानों के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बड़ा एलान कर सकते हैं.
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वहीं, ग्राम प्रधानों और पंचों के लिए पंचायत प्रतिनिधि कल्याण कोष (Panchayat Representative Welfare Fund) का गठन किया जाएगा. इसके साथ ही जिला योजना में ग्राम प्रधानों को प्रतिनिधित्व दिए जाने, आर्किटेक्ट फर्मों से विकास कार्य करवाने की छूट जैसे कई अधिकार भी अब ग्राम प्रधानों के पास होंगे.
प्राप्त जानकारी के अनुसार अपर मुख्य सचिव मनोज सिंह और निदेशक को इससे संबंधित आदेश जारी कर दिए गए हैं. इस बारे में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से भी संगठन के प्रतिनिधियों की बातचीत हो चुकी है.
संगठन के प्रवक्ता ललित शर्मा का कहना है कि मुख्यमंत्री ने बातचीत के दौरान उपरोक्त मांगों पर जल्द ही कार्यवाही किए जाने का आश्वासन भी दिया था. उन्होंने बताया कि गांव में विकास कार्य करवाने के लिए अभी ग्रामीण अभियंत्रण सेवा के इंजीनियरों से इस्टीमेट व एमबी बनवाई जाती है.
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इसमें बड़े पैमाने पर कमीशनखारी का खेल होता है. जिससे विकास कार्यों की गुणवत्ता प्रभावित होती है और भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलता है. इसलिए पंचायतीराज अधिनियम में यह प्रावधान किया गया है कि ग्राम पंचायती अपने स्तर पर तकनीकी सेवाएं ले सकती हैं.
खैर, इस एलान के जरिए योगी सूबे के सबसे निचले पायदान तक अपनी पहुंच बनाने और आगामी विधानसभा चुनाव में वोट के समीकरण को दुरुस्त करने की कोशिश करेंगे. यानी प्रशासनिक निर्णय के जरिए सियासी लाभ हासिल करने की मंशा जाहिर हो रही है.
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