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एफआरयू में सिजेरियन प्रसव की सुविधा शुरू करने की तैयारी, ऑनकॉल बुलाए जाएंगे डाॅक्टर - फस्ट रेफरल यूनिटों

संस्थागत प्रसव (cesarean delivery facility) को बढ़ावा देने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने अहम कदम उठाया है. फस्ट रेफरल यूनिटों (एफआरयू) की व्यवस्थाओं को दुरुस्त किया जा रहा है. डॉक्टरों की कमी को पूरा करने के लिए ऑनकॉल व्यवस्था की जायेगी.

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Published : Nov 7, 2022, 8:16 PM IST

लखनऊ : संस्थागत प्रसव (cesarean delivery facility) को बढ़ावा देने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने अहम कदम उठाया है. फस्ट रेफरल यूनिटों (एफआरयू) की व्यवस्थाओं को दुरुस्त किया जा रहा है. डॉक्टरों की कमी को पूरा करने के लिए ऑनकॉल व्यवस्था की जायेगी. नेशनल हेल्थ मिशन (एनएचएम) ने ऑनकॉल डॉक्टरों को रखने की गाइडलाइन जारी कर दी है. इसके बाद उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण महानिदेशक को व्यवस्था को बेहतर तरीके से लागू करने के निर्देश दिए हैं.

यूपी में हर साल लगभग 56 लाख प्रसव हो रहे हैं. मातृ शिशु मृत्युदर में कमी लाने के लिए संस्थागत प्रसव की व्यवस्था को और मजबूत करने की तैयारी है. इसमें डॉक्टरों की कमी अभी तक रोड़े अटका रही थी. फस्ट रेफरल यूनिटों में भी अब ऑनकॉल डॉक्टर बुलाये जा सकेंगे. यूपी में 417 एफआरयू हैं. 149 में इलाज की सभी सुविधाएं उपलब्ध है. डॉक्टरों की कमी की वजह से कई एफआरयू सेंटर में मरीजों को इलाज की सभी सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं.



खास बात यह है कि सिजेरियन प्रसव (cesarean delivery facility) के लिए ही ऑनकॉल डॉक्टर बुलाए जाएंगे. जिन एफआरयू में स्त्री रोग व एनस्थीसिया विशेषज्ञों की टीम नहीं होगी, वहां निजी क्षेत्र में कार्यरत विशेषज्ञ ऑनकॉल बुलाये जा सकेंगे. जिला स्तरीय चिकित्सालय पर तैनात विशेषज्ञों को ग्रामीण एफआरयू ईकाईयों में ऑनकॉल बुलाया जा सकेगा. साथ ही ग्रामीण एफआरयू में तैनात विशेषज्ञों को जिला स्तरीय चिकित्सालयों पर सिजेरियन प्रसव के लिए ऑनकॉल बुलाया जा सकता है. सीएमओ जनपद की समस्त राजकीय एफआरयू स्वास्थ्य इकाईयों में ऑनकॉल पर कार्य करने के इच्छुक विशेषज्ञों से सहमति पत्र प्राप्त करेंगे. उन्हें जिला स्वास्थ्य समिति से संबद्ध करायेंगे. इस पैनल में चयनित विशेषज्ञों को एक या एक से अधिक एफआरयू इकाई का चयन करने का अवसर दिया जा सकता है.

उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने कहा कि एफआरयू ईकाईयों में सिजेरियन की पुख्ता व्यवस्था से बड़े अस्पतालों में मरीजों का दबाव कम होगा. समय से गर्भवती महिलाओं को इलाज मिलने की राह आसान होगी. एफआरयू में आवश्यक दवाएं, उपकरण आदि की व्यवस्थाएं हैं. आनकॉल डॉक्टरों की व्यवस्था प्रभावी तरीके से लागू की जाए, ताकि ग्रामीणों को इसका लाभ मिल सके.

यह भी पढ़ें : यूपी को वन ट्रिलियन इकोनॉमी बनाने का प्रयास, सात इंडस्ट्री पर फोकस करने के निर्देश

लखनऊ : संस्थागत प्रसव (cesarean delivery facility) को बढ़ावा देने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने अहम कदम उठाया है. फस्ट रेफरल यूनिटों (एफआरयू) की व्यवस्थाओं को दुरुस्त किया जा रहा है. डॉक्टरों की कमी को पूरा करने के लिए ऑनकॉल व्यवस्था की जायेगी. नेशनल हेल्थ मिशन (एनएचएम) ने ऑनकॉल डॉक्टरों को रखने की गाइडलाइन जारी कर दी है. इसके बाद उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण महानिदेशक को व्यवस्था को बेहतर तरीके से लागू करने के निर्देश दिए हैं.

यूपी में हर साल लगभग 56 लाख प्रसव हो रहे हैं. मातृ शिशु मृत्युदर में कमी लाने के लिए संस्थागत प्रसव की व्यवस्था को और मजबूत करने की तैयारी है. इसमें डॉक्टरों की कमी अभी तक रोड़े अटका रही थी. फस्ट रेफरल यूनिटों में भी अब ऑनकॉल डॉक्टर बुलाये जा सकेंगे. यूपी में 417 एफआरयू हैं. 149 में इलाज की सभी सुविधाएं उपलब्ध है. डॉक्टरों की कमी की वजह से कई एफआरयू सेंटर में मरीजों को इलाज की सभी सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं.



खास बात यह है कि सिजेरियन प्रसव (cesarean delivery facility) के लिए ही ऑनकॉल डॉक्टर बुलाए जाएंगे. जिन एफआरयू में स्त्री रोग व एनस्थीसिया विशेषज्ञों की टीम नहीं होगी, वहां निजी क्षेत्र में कार्यरत विशेषज्ञ ऑनकॉल बुलाये जा सकेंगे. जिला स्तरीय चिकित्सालय पर तैनात विशेषज्ञों को ग्रामीण एफआरयू ईकाईयों में ऑनकॉल बुलाया जा सकेगा. साथ ही ग्रामीण एफआरयू में तैनात विशेषज्ञों को जिला स्तरीय चिकित्सालयों पर सिजेरियन प्रसव के लिए ऑनकॉल बुलाया जा सकता है. सीएमओ जनपद की समस्त राजकीय एफआरयू स्वास्थ्य इकाईयों में ऑनकॉल पर कार्य करने के इच्छुक विशेषज्ञों से सहमति पत्र प्राप्त करेंगे. उन्हें जिला स्वास्थ्य समिति से संबद्ध करायेंगे. इस पैनल में चयनित विशेषज्ञों को एक या एक से अधिक एफआरयू इकाई का चयन करने का अवसर दिया जा सकता है.

उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने कहा कि एफआरयू ईकाईयों में सिजेरियन की पुख्ता व्यवस्था से बड़े अस्पतालों में मरीजों का दबाव कम होगा. समय से गर्भवती महिलाओं को इलाज मिलने की राह आसान होगी. एफआरयू में आवश्यक दवाएं, उपकरण आदि की व्यवस्थाएं हैं. आनकॉल डॉक्टरों की व्यवस्था प्रभावी तरीके से लागू की जाए, ताकि ग्रामीणों को इसका लाभ मिल सके.

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