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500 करोड़ का गबन करके फरार रोहतास बिल्डर के 9 ठिकानों पर CBI का छापा - यूपी की खबरें

500 करोड़ रुपये का गबन कर फरार हुए रोहतास बिल्डर के 9 ठिकानों पर सीबीआई (Central Bureau of Investigation) का छापा. सीबीआई ने अहम दस्तावेज किए बरामद. कई स्थानों से फर्जी खातों व अकूत संपत्ति की मिली जानकारी.

रोहतास बिल्डर के ठिकानों पर CBI का छापा
रोहतास बिल्डर के ठिकानों पर CBI का छापा
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Published : Dec 3, 2021, 7:22 PM IST

लखनऊ : करीब 500 करोड़ रुपए का गबन करके फरार हुए रोहतास बिल्डर के नौ ठिकानों पर शुक्रवार को सीबीआई (Central Bureau of Investigation) ने छापेमारी की. इस दौरान सीबीआई को अहम दस्तावेज भी मिले हैं. कई स्थानों से फर्जी खातों व अकूत संपत्ति की जानकारियां भी मिली हैं. साथ ही नकदी भी बरामद की गई है. हालांकि इसकी जानकारी फिलहाल सीबीआई की ओर से नहीं दी गई है.

सीबीआई अब इस संबंध में जानकारी प्रवर्तन निदेशालय को देगी जिसके बाद में आगे की कार्रवाई होगी. सीबीआई के छापे लखनऊ, दिल्ली और गाजीपुर जिले के रोहतास कंपनी के ठिकानों पर की गई है. रोहतास कंपनी के निदेशक, निवेशक को अरबों रुपये का चूना लगाकर लंबे समय से फरार है. जिसके खिलाफ पुलिस की कार्रवाई पहले से ही चल रही थी. लखनऊ में रोहतास के हजरतगंज में ऑफिस और मकान हैं.

दरअसल, रोहतास बिल्डर के मालिक परेश रस्तोगी की सम्पत्ति कुर्क करने की कर्रवाई करीब छह माह पहले ही शुरू हो गई थी. जालसाजी के मामले में उनके खिलाफ 100 से अधिक मुकदमे दर्ज हैं. हजरतगंज और गौतमपल्ली पुलिस ने रोहतास के निदेशकों के सुल्तानगंज चाैकी के पास स्थित आवास पर ये कार्रवाई की. मगर एक्‍शन तब हो रहा है, जब करीब पांच सौ करोड़ रुपए की ठगी रोहतास के निदेशक कर चुके हैं. करीब डेढ़ साल पहले तक कंपनी के अधिकारी राजधानी में थे, फोन उठाते थे, आराम से रहते थे. मगर तब उनको नहीं पकड़ा गया. उनको पूरा मौका दिया गया कि वे खेल करते रहें. बड़े घोटाले के बाद उनके खिलाफ कार्रवाई कर दी गई.

उत्‍तर प्रदेश की राजधानी में पांच सौ करोड़ रुपए की जमीन रोहतास लिमिटेड ने निवेशकों से रुपये लेकर बिल्‍डरों को बेच दी है. जिसके बाद रोहतास के कर्ताधर्ता फरार हैं. पुलिस और प्रशासन कुर्की कर रहा है. मगर निवेशकों के हाथ खाली हैं. करीब 1500 निवेशकों की गाढ़ी कमाई लेकर बिल्‍डर फरार हैं. हाल ही में नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल के फोरेंसिक ऑडिट में हेराफेरी जिस तरह से की गयी, उसके बारे में जब विस्तार से जानकारी सामने आई, तो पता चला कि आम जनता के पैसों से खरीदी गयी ज़मीन जिस पर सुल्तानपुर रोड क्रिसेंट योजना आनी थी उसकी ज़मीन को वर्ष 2017 से कंपनियों को देना शुरू कर दिया गया था.

रोहतास प्रोजेक्ट लिमिटेड से विजयपथ कंबाइन प्राइवेट लिमिटेड को सीधे चार बीघा जमीन सुल्तानपुर रोड कासिमपुर बिरुवा जिसकी वर्तमान कीमत करीब चार करोड़ से भी अधिक है ट्रांसफर की गई. इसी तरह रायबरेली रोड सवाना प्रोजेक्ट में भी लगभग 10 बीघा जमीन ट्रांसफर की गई है. जिसकी वर्तमान कीमत 12 करोड़ रुपए से भी अधिक है. इसी तरह से सुल्तानपुर रोड पर अलग-अलग लोगों और कर्मचारियों के नाम से खरीदी गई, ज़मीन को वर्ष 2018 में लगातार एम्नेंस एक्सिम प्राइवेट लिमिटेड को बेचा गया.

सुल्तानपुर रोड पर सलौली गावं की 12 बीघा ज़मीन जो रोहतास के पैसे से खरीदी गई, उसको कृष्णा इंटरप्राइजेज़ को एग्रीमेंट करके दे दिया गया. सुल्तानपुर रोड पर लगभग 24 एकड़ ज़मीन जो कि रोहतास के अलग अलग कर्मचारियों के नाम से खरीदी गई, उसको हैड्रिक टाउन प्लानर्स और अन्य सात कंपनियों के नाम ट्रांसफर करके सभी कंपनियों को वर्ष 2018 में सीधे ट्रांसफर कर दिया गया. फ्रॉड करने का सिलसिला सिर्फ यही तक नहीं रुका बल्कि अब तक शुरू है. नेशनल ट्रिब्यूनल लॉ ट्रिब्यूनल ने अब जब रेसोलुशन प्लान की तरफ रुख किया है तो भी पूर्व में रोहतास के फ्रॉड में भी सम्मिलित रहे दो मुख्य लोग इसमें भी शामिल हो गये हैं.

इसे भी पढ़ें- ओमिक्रोन को लेकर अलर्ट : तीसरी लहर से निपटने को तैयार आगरा

राकेश गर्ग जो कि कंपनी के लाइजनिंग का कार्य करता था उसने अपनी कंपनी के पार्टनर राजू नागर और अपने एक अन्य पारिवारिक व्यक्ति से प्लान सबमिट करवाये हैं. आपको बताते चलें की तीन रिज़्युलेशन प्लान सबमिट हुए हैं. जिसमें विंग कंस्ट्रक्शन नामक एक कंपनी और दो अन्‍य लोगों ने भी अपने प्लान सबमिट किये हैं. निवेशकों का कहना है की जिन दो लोगों ने इंडिविजुअल रूप से अपने प्लान सबमिट किये हैं, वो पूरी तरह से फिर से लोगों को ठगने का तरीका है. पूर्व में यही लोग परेश रस्तोगी और पीयूष रस्तोगी से मिलकर सैकड़ों करोड़ रुपयों का गबन कर चुके हैं. इसके बाद में अब सीबीआई की कार्रवाई भी रोहतास बिल्डर के खिलाफ शुरू की गई है.

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लखनऊ : करीब 500 करोड़ रुपए का गबन करके फरार हुए रोहतास बिल्डर के नौ ठिकानों पर शुक्रवार को सीबीआई (Central Bureau of Investigation) ने छापेमारी की. इस दौरान सीबीआई को अहम दस्तावेज भी मिले हैं. कई स्थानों से फर्जी खातों व अकूत संपत्ति की जानकारियां भी मिली हैं. साथ ही नकदी भी बरामद की गई है. हालांकि इसकी जानकारी फिलहाल सीबीआई की ओर से नहीं दी गई है.

सीबीआई अब इस संबंध में जानकारी प्रवर्तन निदेशालय को देगी जिसके बाद में आगे की कार्रवाई होगी. सीबीआई के छापे लखनऊ, दिल्ली और गाजीपुर जिले के रोहतास कंपनी के ठिकानों पर की गई है. रोहतास कंपनी के निदेशक, निवेशक को अरबों रुपये का चूना लगाकर लंबे समय से फरार है. जिसके खिलाफ पुलिस की कार्रवाई पहले से ही चल रही थी. लखनऊ में रोहतास के हजरतगंज में ऑफिस और मकान हैं.

दरअसल, रोहतास बिल्डर के मालिक परेश रस्तोगी की सम्पत्ति कुर्क करने की कर्रवाई करीब छह माह पहले ही शुरू हो गई थी. जालसाजी के मामले में उनके खिलाफ 100 से अधिक मुकदमे दर्ज हैं. हजरतगंज और गौतमपल्ली पुलिस ने रोहतास के निदेशकों के सुल्तानगंज चाैकी के पास स्थित आवास पर ये कार्रवाई की. मगर एक्‍शन तब हो रहा है, जब करीब पांच सौ करोड़ रुपए की ठगी रोहतास के निदेशक कर चुके हैं. करीब डेढ़ साल पहले तक कंपनी के अधिकारी राजधानी में थे, फोन उठाते थे, आराम से रहते थे. मगर तब उनको नहीं पकड़ा गया. उनको पूरा मौका दिया गया कि वे खेल करते रहें. बड़े घोटाले के बाद उनके खिलाफ कार्रवाई कर दी गई.

उत्‍तर प्रदेश की राजधानी में पांच सौ करोड़ रुपए की जमीन रोहतास लिमिटेड ने निवेशकों से रुपये लेकर बिल्‍डरों को बेच दी है. जिसके बाद रोहतास के कर्ताधर्ता फरार हैं. पुलिस और प्रशासन कुर्की कर रहा है. मगर निवेशकों के हाथ खाली हैं. करीब 1500 निवेशकों की गाढ़ी कमाई लेकर बिल्‍डर फरार हैं. हाल ही में नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल के फोरेंसिक ऑडिट में हेराफेरी जिस तरह से की गयी, उसके बारे में जब विस्तार से जानकारी सामने आई, तो पता चला कि आम जनता के पैसों से खरीदी गयी ज़मीन जिस पर सुल्तानपुर रोड क्रिसेंट योजना आनी थी उसकी ज़मीन को वर्ष 2017 से कंपनियों को देना शुरू कर दिया गया था.

रोहतास प्रोजेक्ट लिमिटेड से विजयपथ कंबाइन प्राइवेट लिमिटेड को सीधे चार बीघा जमीन सुल्तानपुर रोड कासिमपुर बिरुवा जिसकी वर्तमान कीमत करीब चार करोड़ से भी अधिक है ट्रांसफर की गई. इसी तरह रायबरेली रोड सवाना प्रोजेक्ट में भी लगभग 10 बीघा जमीन ट्रांसफर की गई है. जिसकी वर्तमान कीमत 12 करोड़ रुपए से भी अधिक है. इसी तरह से सुल्तानपुर रोड पर अलग-अलग लोगों और कर्मचारियों के नाम से खरीदी गई, ज़मीन को वर्ष 2018 में लगातार एम्नेंस एक्सिम प्राइवेट लिमिटेड को बेचा गया.

सुल्तानपुर रोड पर सलौली गावं की 12 बीघा ज़मीन जो रोहतास के पैसे से खरीदी गई, उसको कृष्णा इंटरप्राइजेज़ को एग्रीमेंट करके दे दिया गया. सुल्तानपुर रोड पर लगभग 24 एकड़ ज़मीन जो कि रोहतास के अलग अलग कर्मचारियों के नाम से खरीदी गई, उसको हैड्रिक टाउन प्लानर्स और अन्य सात कंपनियों के नाम ट्रांसफर करके सभी कंपनियों को वर्ष 2018 में सीधे ट्रांसफर कर दिया गया. फ्रॉड करने का सिलसिला सिर्फ यही तक नहीं रुका बल्कि अब तक शुरू है. नेशनल ट्रिब्यूनल लॉ ट्रिब्यूनल ने अब जब रेसोलुशन प्लान की तरफ रुख किया है तो भी पूर्व में रोहतास के फ्रॉड में भी सम्मिलित रहे दो मुख्य लोग इसमें भी शामिल हो गये हैं.

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राकेश गर्ग जो कि कंपनी के लाइजनिंग का कार्य करता था उसने अपनी कंपनी के पार्टनर राजू नागर और अपने एक अन्य पारिवारिक व्यक्ति से प्लान सबमिट करवाये हैं. आपको बताते चलें की तीन रिज़्युलेशन प्लान सबमिट हुए हैं. जिसमें विंग कंस्ट्रक्शन नामक एक कंपनी और दो अन्‍य लोगों ने भी अपने प्लान सबमिट किये हैं. निवेशकों का कहना है की जिन दो लोगों ने इंडिविजुअल रूप से अपने प्लान सबमिट किये हैं, वो पूरी तरह से फिर से लोगों को ठगने का तरीका है. पूर्व में यही लोग परेश रस्तोगी और पीयूष रस्तोगी से मिलकर सैकड़ों करोड़ रुपयों का गबन कर चुके हैं. इसके बाद में अब सीबीआई की कार्रवाई भी रोहतास बिल्डर के खिलाफ शुरू की गई है.

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