लखनऊ : छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय, कानपुर के कुलपति प्रो. विनय पाठक पाठक के खिलाफ अब शिक्षक संघ ने भी मोर्चा खोल दिया है. इससे पहले कुलपति विनय पाठक के खिलाफ कुछ पूर्व विधायकों ने राज्यपाल को चिट्ठी लिखकर उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी. अब इस लड़ाई में उत्तर प्रदेश विश्वविद्यालय-महाविद्यालय शिक्षक महासंघ (फपुक्टा) ने उनको बर्खास्त कर इस पूरे मामले की जांच सीबीआई से कराने की मांग मुख्यमंत्री से की है.
फपुक्टा ने अपनी मांगों को लेकर मुख्यमंत्री को पत्र भेजा है. जिसमें उन्होंने प्रोफेसर पाठक को तत्काल प्रभाव से उनके पद से हटाने की मांग की है. फपुक्टा के अध्यक्ष डॉ. वीरेन्द्र सिंह चौहान ने कहा है कि प्रो. पाठक प्रदेश के विभिन्न विश्वविद्यालयों के कुलपति के पद पर रहते हुए करोड़ रुपये के भ्रष्टाचार के आरोप लग रहे हैं. कुलपति के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान प्रो. विनय पाठक द्वारा किए गए करोड़ों के भ्रटाचार को संज्ञान में लेते हुए छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय, कानपुर के कुलपति को पद से बर्खास्त किया जाए. ताकि लंबे समय से जारी भ्रटाचार के खेल में शामिल प्रो. विनय पाठक सहित सभी दोषियों के विरुद्ध प्रभावी कार्रवाई की हो पाए.
भ्रटाचार के आरोपित प्रो. विनय पाठक को तत्काल पद से हटाया जाए, ताकि जांच प्रक्रिया की शुचिता बनी रहे. उन्होंने कहा कि यूपी की उच्च शिक्षा व्यवस्था में व्याप्त भ्रष्टाचार से सभी शिक्षकों समुदाय में भारी रोष है. प्रो.विनय पाठक ने विभिन्न विश्वविद्यालयों के कुलपति के रूप में वित्तीय, प्रशासनिक, नियुक्तियों आदि उच्च शिक्षा से जुड़े लगभग सभी क्षेत्रों में जितने बड़े स्तर पर अनियमितताएं की गई हैं. वह उच्च शिक्षा के क्षेत्र में अभूतपूर्व व शर्मनाक है.
फपुक्टा के अध्यक्ष डाॅ. वीरेन्द्र सिंह चौहान ने कहा कि प्रदेश के विभिन्न विश्वविद्यालयों के शिक्षक संघों व उनके प्रादेशिक संगठन ने अनेक बार इनके व अनेक विश्वविद्यालयों के कुलपतियों की अनियमितताओं की शिकायतें शासन एवं राजभवन से की जाती हैं. लेकिन समय रहते इनका संज्ञान न लेने व कार्रवाई किए जाने से भ्रष्टाचार में संलग्न पदाधिकारियों का मनोबल बढ़ता जाता है. आज सिर्फ प्रदेश के अधिकांश विश्वविद्यालयों में ही नहीं, निदेशालय, उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग सहित उच्च शिक्षा के विभिन्न प्रशासनिक निकायों में भ्रष्टाचार इस स्तर तक पहुंच चुका है. केंद्रीय व प्रदेश सरकार के भ्रटाचार के प्रति ज़ीरो टोलरेंस सिर्फ एक नारे तक सीमित रह गया है.