लखनऊ : मथुरा में वर्ष 2004-05 में बीएड (B.Ed) की फर्जी डिग्री लगाकर नौकरी पाने वाले दर्जनों अध्यापकों के खिलाफ जिले के अलग-अलग थानों में एफआईआर (FIR) दर्ज कराई गई है. एसआईटी (SIT) ने जांच में फर्जी दस्तावेजों को पाया है. मामले की जांच के बाद हुए खुलासे से शिक्षा विभाग में हड़कंप मच गया है. B.Ed डिग्री को एसआईटी ने फर्जी वाली सूची में शामिल किया था.
UP SIT ने जांच में पाया कि डॉक्टर भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय आगरा के शैक्षणिक सत्र 2004-05 की इनकी डिग्री फर्जी है. फर्जी डिग्री के जरिए सहायक अध्यापक बनने वालों में मथुरा जनपद के उन शिक्षकों के नाम भी शामिल थे, जिनकी B.ED डिग्री को एसआईटी ने फर्जी या फिर छेड़छाड़ वाली सूची में शामिल किया था. विभागीय आदेश मिलने के बाद जनपद स्तर पर ऐसे शिक्षकों की पहचान करते हुए जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी ने सेवा समाप्ति की कार्रवाई की थी. इसके खिलाफ मामला दर्ज कराया था. कुछ शिक्षक न्यायालय की शरण में भी गए थे. अब एक बार फिर विभागीय स्तर पर जनपद में 32 सहायक अध्यापकों के खिलाफ फर्जी प्रमाण पत्र के आधार पर नौकरी पाने का मामला दर्ज हुआ है.
मथुरा के वृंदावन में दर्ज कराई गई रिपोर्ट
UP SIT ने खंड शिक्षा अधिकारी प्रमोद कुमार की तहरीर पर थाना वृंदावन में रिपोर्ट दर्ज कराई है. रिपोर्ट में प्राथमिक विद्यालय माघेरा की सहायक अध्यापिका प्रीति राठौर के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है. डॉक्टर भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय के प्रशासन में शैक्षिक सत्र वर्ष 2004-05 के 1021 अभ्यर्थियों के प्रमाणपत्रों के अंकों में छेड़छाड़ को पाया. SIT के अफसर का कहना है कि आगरा विश्वविद्यालय में हुई कार्य परिषद की बैठक में जांच समिति की रिपोर्ट रखी गई. डॉक्टर भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय का निर्णय हाईकोर्ट में प्रस्तुत किया गया है. एसआईटी की ओर से तैयार की गई प्रमाण पत्रों के अंकों में छेड़छाड़ की सूची में 1084 अभ्यर्थियों के नाम शामिल थे. अपील की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने 26 जनवरी 2021 को मामले की जांच के आदेश विश्वविद्यालय प्रशासन को दिए. डॉ भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से 4 सदस्यीय समिति का गठन किया गया है.
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एक अभ्यर्थी का सूची में 61 बार नाम
एसआईटी की ओर से तैयार टैंपर्ड प्रमाण पत्र की 1084 अभ्यर्थियों की सूची में, एक ही व्यक्ति का नाम 61 बार है. एक नाम छोड़कर 60 जगह से नाम हटा दिए गए. शेष बचे 1024 में से 3 अभ्यर्थियों के सुबूत सही पाए गए. उनके नामों को टेंपल प्रमाण पत्रों की सूची से हटा दिया गया है.