लखनऊ: विधानसभा के शीतकालीन सत्र (winter session of assembly) के दौरान शुक्रवार को सदन में भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक कैग की रिपोर्ट पेश की गई. कैग रिपोर्ट में राज्य सरकार के पूंजीगत खर्च, ऋण और अग्रिम प्रावधानों में भारी कमी की बात कही गई है. साथ ही पूंजीगत खर्च में कमी और संसाधनों पर होने वाले खर्च में पारदर्शिता लाने को लेकर भी आवश्यक कदम उठाने की भी बात कही गई है. विधानसभा सदन में पेश की गई रिपोर्ट में एक तरफ जहां राजस्व में भारी कमी की बात कही गई है. वहीं, पूंजीगत व्यय में भी कमी की बात कही गई है. सदन में पेश की गई रिपोर्ट में राजस्व व्यय में 0.6% की कमी आई है. इसके अंतर्गत सामान्य सेवाओं पर राजस्व व्यय में 10.21% की कमी है.
इसी प्रकार सामाजिक सेवाओं पर राजस्व में 13.73% की वृद्धि की बात भी कही गई है, जबकि आर्थिक सेवाओं पर राजस्व में 6.62% की कमी सामने आई है. वहीं, सहायता अनुदान पर व्यय में 19.83% की वृद्धि की बात भी इस रिपोर्ट में कही गई है. पूंजीगत व्यय में 3.35% की कमी की बात सामने आई है. इसके अंतर्गत सामान्य सेवाओं पर पूंजीगत व्यय में 27.03% की कमी है. वहीं, सामाजिक सेवाओं पर पूंजीगत व्यय में 0. 70% की कमी आई है. आर्थिक सेवाओं पर पूंजीगत व्यय में 3.03% की कमी की बात रिपोर्ट में कही गई है.
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इसी प्रकार ऋण और अग्रिम के संवितरण में 66.37 % की भारी कमी राज्य की राजस्व व्यवस्था और राजस्व शिथिलता की बात कहीं गई है. वहीं, रिपोर्ट में पारदर्शिता लाए जाने के लिए आवश्यक कदम उठाने की पहल किए जाने की जरूरत पर जोर दिया गया है. कैग की रिपोर्ट में कहा गया है कि पूंजीगत व्यय मुख्य रूप से सड़कों भवनों आदि जैसे अचल अवसंरचना संपत्तियों के सृजन पर होने वाला व्यय है. राज्य सरकार के लिए अपने निवेश पर पर्याप्त रिटर्न अर्जित करने, उधार ली गई निधि की लागत वसूलने और वित्तीय कामकाज में पारदर्शिता लाने के लिए आवश्यक कदम उठाने के उपाय हेतु पहल की आवश्यकता है.
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