लखनऊ : उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने अयोध्या में मंत्रि परिषद की बैठक करके बड़ा सियासी संदेश देने की कोशिश की है. अयोध्या में रामलला के दरबार में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सहित मंत्री परिषद की बैठक करके भाजपा नेतृत्व ने 2024 के लोकसभा चुनाव का पूरा सियासी एजेंडा सेट करने का काम किया है. दरअसल अयोध्या की मंत्री परिषद बैठक में अयोध्या समेत तीन तीर्थ क्षेत्र विकास परिषदों का गठन करके भाजपा नेतृत्व ने धार्मिक राष्ट्रवाद को बढ़ावा देने का बड़ा सियासी संदेश दिया है.
भाजपा नेतृत्व की सोची समझी रणनीति : भाजपा नेतृत्व ने सोची समझी रणनीति के तहत अयोध्या में कैबिनेट की बैठक की और अयोध्या सहित तीन तीर्थ क्षेत्र विकास परिषदों का गठन कर दिया. इन परिषदों के माध्यम से पर्व त्यौहार व व्यवस्थाओं को अच्छे तरीके से आयोजित करने के साथ ही इन धार्मिक क्षेत्र का संपूर्ण विकास करने की जिम्मेदारी सरकार की होगी. स्थानीय स्तर के साथ-साथ राज्य और केंद्र सरकार के सहयोग से इन धार्मिक क्षेत्र को आगे बढ़ाने में मदद की जाएगी. आसपास के क्षेत्र का संपूर्ण विकास होगा. पर्यटक अवस्थापना सुविधाओं, सभी सांस्कृतिक धरोहर और सांस्कृतिक व ऐतिहासिक विरासतों से जुड़ी चीजों के सौंदरीकरण व संरक्षण का जिम्मा भी इन तीर्थ विकास परिषद के माध्यम से कराया जाएगा. साथ ही साथ योजनाओं की क्रियान्वयन का समन्वय, एकीकृत पर्यटन विकास के कार्य भी कराए जाने की कार्य योजना इन तीर्थ विकास परिषद के माध्यम से आगे बढ़ाई जाएगी. इन तीर्थ क्षेत्र में होने वाले विकास के कार्य प्लानिंग के काम की अध्यक्षता संबंधित तीर्थ विकास परिषद के मंडलायुक्त के स्तर पर की जाएगी.
हिंदुत्व के एजेंडे का धार : हमेशा हिंदुत्व को साथ रखकर चलकर सियासी राजनीति करने वाली भारतीय जनता पार्टी ने एक बार फिर अपनी सांस्कृतिक राष्ट्रवाद व धार्मिक क्षेत्र के प्रति अपनी प्रतिबद्धता जताने का काम किया है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अयोध्या में कैबिनेट बैठक करके धार्मिक और वहां के आध्यात्मिक विकास से जुड़े प्रस्तावों को मंजूरी प्रदान करके अपनी व भाजपा नेतृत्व की प्रतिबद्धता जताने का काम किया है. प्रदेश के प्रमुख धार्मिक स्थलों से जुड़े मेलो को मान्यता देकर यह संदेश देने की कोशिश की गई है कि सरकार हिंदुत्व के साथ श्रद्धा के सम्मान में कोई कसर नहीं छोड़ने वाली है. राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि अयोध्या में कैबिनेट बैठक करके भाजपा नेतृत्व ने यह संदेश देने की कोशिश की है कि वह हिंदुत्व के साथ विकास को लेकर भी आगे चलने वाली है. रामलला के दरबार में कैबिनेट बैठक करके सरकार ने यह संदेश देने की कोशिश की है कि सही मायने में जब विकास होता है तो उसे ही राम राज्य कहा जाता है.
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