लखनऊः उत्तर प्रदेश के 2022 विधानसभा चुनाव को लेकर तैयारियों में जुटी कांग्रेस के लिए भागीदारी मोर्चा बड़ा संकट खड़ा कर सकता है. दरअसल, आम आदमी पार्टी और एआईएमआईएम के 2022 यूपी विधानसभा चुनाव लड़ने का एलान और उस पर सुभासपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर और प्रसपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिवपाल यादव की मुलाकात ने कांग्रेस की नींद उड़ा दी है. ओमप्रकाश राजभर सभी पार्टियों को भागीदारी मोर्चा के साथ लाने की कोशिशों में जुटे हुए हैं. अगर ये सभी पार्टियां भागीदारी मोर्चा में शामिल होती हैं तो यूपी में कांग्रेस काफी कमजोर पड़ती सकती है.
कांग्रेस को नहीं हुआ था कोई फायदा
साल 2017 के यूपी विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस पार्टी ने समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन किया था. हालांकि इसका न तो कांग्रेस को फायदा हुआ और न ही समाजवादी पार्टी को. 2012 से 2017 तक यूपी की कुर्सी संभालने वाली समाजवादी पार्टी की कुर्सी छिन गई. इसके बाद कांग्रेस ने 2019 के लोकसभा चुनाव में बाबू सिंह कुशवाहा के जन अधिकार मंच, कृष्णा पटेल की अपना दल और महान दल के साथ गठबंधन किया था. इसके अलावा तमाम पार्टियों के नेता भी कांग्रेस पार्टी से जुड़े और चुनाव लड़े, लेकिन कांग्रेस को लोकसभा चुनाव में भी इसका कोई फायदा नहीं हुआ.
चुनाव की तैयारियों में जुटी कांग्रेस
अब 2022 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव की तैयारियों में कांग्रेस पार्टी जुटी है. कांग्रेस हाईकमान की तरफ से एलान भी कर दिया गया है कि 2022 में अकेले दम पर ही कांग्रेस पार्टी उत्तर प्रदेश में चुनाव लड़ेगी. पार्टी को उम्मीद है कि प्रियंका गांधी के नेतृत्व में पिछले तीन दशकों से सत्ता से दूर कांग्रेस पार्टी सत्ता की कुर्सी पर काबिज होगी, लेकिन कांग्रेस की ख्वाहिश इस बार उत्तर प्रदेश में बनने वाले भागीदारी मोर्चा के चलते चकनाचूर हो सकती है. हालांकि कांग्रेस पार्टी के नेताओं का दावा है कि भागीदारी मोर्चा के साथ चाहे जितनी ही पार्टियां क्यों न आ जाएं लेकिन कांग्रेस का इस बार जनता से गठबंधन हो चुका है, ऐसे में जीत कांग्रेस की ही होगी.
ओमप्रकाश राजभर बना रहे भागीदारी मोर्चा
उत्तर प्रदेश की योगी सरकार में मंत्री रहे ओमप्रकाश राजभर सुभासपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं और अब वे 2022 के यूपी विधानसभा चुनाव में बीजेपी को सत्ता से बेदखल करने के लिए भागीदारी मोर्चा के गठन में जुट गए हैं. इसके लिए वे एआईएमआईएम के चीफ असदुद्दीन ओवैसी, आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह, पीस पार्टी के अध्यक्ष मोहम्मद अयूब के साथ ही प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव से भी मुलाकात कर चुके है. प्रदेश के अन्य छोटे दलों के नेताओं से भी उनकी मुलाकात हो रही है. अपना दल से भी संपर्क किया जा रहा है. विधानसभा चुनाव से ठीक पहले अगर यह दल एक बैनर के तले आ जाते हैं तो कांग्रेस अकेली पड़ सकती है और सत्ता पाने का उसका ख्वाब भी सिर्फ ख्वाब ही रह सकता है.
कांग्रेस से दूरी, भागीदारी मोर्चा से करीबी
लोकसभा चुनाव में जिन छोटी पार्टियों ने कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था वे पार्टियां भी कांग्रेस से दूरी बनाकर भागीदारी मोर्चा की तरफ रुख कर रही हैं. इनमें से बाबू सिंह कुशवाहा की जन अधिकार मंच पहले ही अलग होकर भागीदारी मोर्चा का हिस्सा बन चुकी है. लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के साथ रही कृष्णा पटेल की अपना दल भी राजभर के साथ खड़ी नजर आ सकती है. आम आदमी पार्टी और एआईएमआईएम का भी रुख भागीदारी मोर्चा की तरफ है. इसके अलावा अगर शिवपाल यादव भी भागीदारी मोर्चा से जुड़े तो उत्तर प्रदेश में 2022 के यूपी विधानसभा चुनाव में नए समीकरण बनने तय माने जा रहे हैं. ऐसे में कांग्रेस के लिए 2022 का विधानसभा चुनाव चुनौती भरा साबित होगा.
अकेले लड़ेंगे और सरकार बनाएंगे
कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता बृजेंद्र कुमार सिंह ने कहा कि 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने कई पार्टियों के साथ गठबंधन किया था, उसका फायदा हमें नहीं मिला. अब पार्टी अकेले ही चुनाव लड़ेगी. ज्यादा लंगड़ों को अपने साथ जोड़ने से लंगड़ापन बढ़ता है. कांग्रेस पार्टी अकेले दम पर विधानसभा चुनाव लड़ेगी और निश्चित तौर पर जीत भी कांग्रेस की ही होगी. भागीदारी मोर्चा में चाहे आम आदमी पार्टी हो या फिर एआईएमआईएम या प्रसपा समेत अन्य पार्टियां. इससे कुछ होने वाला नहीं है. कांग्रेस का जनता से गठबंधन हो चुका है. प्रियंका गांधी जनवरी से ताबड़तोड़ दौरे शुरू कर रही हैं और इसका लाभ विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को मिलेगा. सरकार कांग्रेस की ही बनेगी.