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BBAU: क्लासरूम छोड़ अफसरी में लगे मास्टर साब, इस विश्वविद्यालय में प्रशासनिक पदों पर मलाई काट रहे गुरुजन

अंबेडकर यूनिवर्सिटी दलित स्टूडेंट यूनियन (AUDSU) ने गिने-चुने तीन-चार फैकल्टी मेंबर को कई-कई प्रशासनिक पद दिए जाने को लेकर आपत्ति जताई है.

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केन्द्रीय विश्वविद्यालय बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय
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Published : Apr 20, 2022, 9:30 PM IST

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के विश्वविद्यालयों में अब गुरुजनों को पढ़ाई से ज्यादा अफसरी भा रही है. शायद यही वजह है कि इनका क्लासरूम से ज्यादा ध्यान प्रशासनिक पदों पर है. लखनऊ के केंद्रीय विश्वविद्यालय बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय ( BBAU) में यह तस्वीर साफ नजर आ रही है. ईटीवी भारत में जब प्रशासनिक पदों पर काम कर रहे फैकल्टी मेंबर की पड़ताल की तो एक चौंकाने वाला सच सामने आया. गिने-चुने तीन-चार फैकल्टी मेंबर को कई-कई प्रशासनिक पद दिए गए हैं. छात्र इसे लेकर आपत्ति तक उठा रहे हैं लेकिन कोई सुनवाई ही नहीं हो रही है.

गौरतलब है कि अंबेडकर यूनिवर्सिटी दलित स्टूडेंट यूनियन (AUDSU) ने बीते दिनों इसको लेकर आपत्ति भी जताई थी. इस छात्र संगठन की तरफ से बकायदा कुलपति को पत्र भेजकर शिक्षकों के अधिक प्रशासनिक कार्यों में सम्मिलित होने के कारण पढ़ाई प्रभावित होने की बात कही गई थी.

एक फैकल्टी मेंबर को एक पद की व्यवस्था : प्रोफेसर संजय सिंह के बीबीएयू के कुलपति के रूप में करीब 3 साल का समय पूरा हो चुका है. शुरुआत में प्रोफेसर संजय सिंह ने ही एक फैकल्टी मेंबर को एक ही पद दिए जाने की व्यवस्था की थी. दिसंबर 2021 में हुई बोर्ड ऑफ मैनेजमेंट की बैठक में एक नया प्रस्ताव लाया गया जिसमें प्रोफेसर संजय सिंह की तरफ से शिक्षकों के प्रशासनिक कार्यों के योग्य न होने के कारण एक शिक्षक को एक प्रशासनिक पद दिए जाने की पुरानी व्यवस्था को समाप्त करने का प्रस्ताव रखा गया. विश्वविद्यालय प्रशासन भले ही इसे आवश्यक बता रहा हो लेकिन कुलपति की टिप्पणी को लेकर शिक्षकों में काफी नाराजगी है.

गुरुजनों के पास है एक से ज्यादा पद
प्रो. बी.एस भदौरिया
1. पांच वर्ष से डीन स्टूडेंट्स वेलफेयर (DSW)
2. सदस्य- फाईनेंशियल कमेटी
3. सदस्य- बोर्ड ऑफ मैनेजमेंट
4. प्रमुख सदस्य- रिक्रूटमेंट स्क्रीनिंग 5. सदस्य- Internal Quality Assurance Cell (IQAC)
6. चेयरमैन- टेंडर कमेटी
7. चेयरमैन- यूनिवर्सिटी लेवल पर्चेस कमेटी
8. सदस्य- प्लांनिग बोर्ड
9. संकायाध्यक्ष (डीन)- स्कूल फॉर फिजिकल साईंस
10. विभागाध्यक्ष- मैथमेटिक्स विभाग 11. विभागाध्यक्ष- मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग, यूनिवर्सिटी इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग टेक्नोलॉजी (UIET)
यह भी पढ़ें-कर्नाटक पीएसआई भर्ती घोटाला : पूर्व भाजपा नेता के पति गिरफ्तार

प्रो. बीबी मालिक
1. प्रॉक्टर
2. प्रोफेसर इंचार्ज इंजीनियरिंग सेक्शन ( जबकि ये सोशल साइंस के शिक्षक हैं)
3. डीन अम्बेडकर स्कूल ऑफ सोशल साइंस

प्रो. आर. पी सिंह -
1. आईक्यूएसी निदेशक
2. डीन अकादमिक मामले
3. अध्यक्ष और समन्वयक सीआईआईपीपी
4. अंतरिक्ष आवंटन समिति के अध्यक्ष

यह है छात्रों का दर्द : छात्रों का कहना है कि विश्वविद्यालय के प्रशासनिक कार्यों में लगे हुए शिक्षक क्लासरूम में पूरा ध्यान नहीं दे पाते हैं. कई शिक्षक तो ऐसे हैं जो क्लास ही नहीं लेते. नतीजा न तो क्लासरूम में पढ़ाई हो पा रही है और न ही छात्रों की समस्याओं का समाधान हो पाता है.
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लखनऊ: उत्तर प्रदेश के विश्वविद्यालयों में अब गुरुजनों को पढ़ाई से ज्यादा अफसरी भा रही है. शायद यही वजह है कि इनका क्लासरूम से ज्यादा ध्यान प्रशासनिक पदों पर है. लखनऊ के केंद्रीय विश्वविद्यालय बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय ( BBAU) में यह तस्वीर साफ नजर आ रही है. ईटीवी भारत में जब प्रशासनिक पदों पर काम कर रहे फैकल्टी मेंबर की पड़ताल की तो एक चौंकाने वाला सच सामने आया. गिने-चुने तीन-चार फैकल्टी मेंबर को कई-कई प्रशासनिक पद दिए गए हैं. छात्र इसे लेकर आपत्ति तक उठा रहे हैं लेकिन कोई सुनवाई ही नहीं हो रही है.

गौरतलब है कि अंबेडकर यूनिवर्सिटी दलित स्टूडेंट यूनियन (AUDSU) ने बीते दिनों इसको लेकर आपत्ति भी जताई थी. इस छात्र संगठन की तरफ से बकायदा कुलपति को पत्र भेजकर शिक्षकों के अधिक प्रशासनिक कार्यों में सम्मिलित होने के कारण पढ़ाई प्रभावित होने की बात कही गई थी.

एक फैकल्टी मेंबर को एक पद की व्यवस्था : प्रोफेसर संजय सिंह के बीबीएयू के कुलपति के रूप में करीब 3 साल का समय पूरा हो चुका है. शुरुआत में प्रोफेसर संजय सिंह ने ही एक फैकल्टी मेंबर को एक ही पद दिए जाने की व्यवस्था की थी. दिसंबर 2021 में हुई बोर्ड ऑफ मैनेजमेंट की बैठक में एक नया प्रस्ताव लाया गया जिसमें प्रोफेसर संजय सिंह की तरफ से शिक्षकों के प्रशासनिक कार्यों के योग्य न होने के कारण एक शिक्षक को एक प्रशासनिक पद दिए जाने की पुरानी व्यवस्था को समाप्त करने का प्रस्ताव रखा गया. विश्वविद्यालय प्रशासन भले ही इसे आवश्यक बता रहा हो लेकिन कुलपति की टिप्पणी को लेकर शिक्षकों में काफी नाराजगी है.

गुरुजनों के पास है एक से ज्यादा पद
प्रो. बी.एस भदौरिया
1. पांच वर्ष से डीन स्टूडेंट्स वेलफेयर (DSW)
2. सदस्य- फाईनेंशियल कमेटी
3. सदस्य- बोर्ड ऑफ मैनेजमेंट
4. प्रमुख सदस्य- रिक्रूटमेंट स्क्रीनिंग 5. सदस्य- Internal Quality Assurance Cell (IQAC)
6. चेयरमैन- टेंडर कमेटी
7. चेयरमैन- यूनिवर्सिटी लेवल पर्चेस कमेटी
8. सदस्य- प्लांनिग बोर्ड
9. संकायाध्यक्ष (डीन)- स्कूल फॉर फिजिकल साईंस
10. विभागाध्यक्ष- मैथमेटिक्स विभाग 11. विभागाध्यक्ष- मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग, यूनिवर्सिटी इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग टेक्नोलॉजी (UIET)
यह भी पढ़ें-कर्नाटक पीएसआई भर्ती घोटाला : पूर्व भाजपा नेता के पति गिरफ्तार

प्रो. बीबी मालिक
1. प्रॉक्टर
2. प्रोफेसर इंचार्ज इंजीनियरिंग सेक्शन ( जबकि ये सोशल साइंस के शिक्षक हैं)
3. डीन अम्बेडकर स्कूल ऑफ सोशल साइंस

प्रो. आर. पी सिंह -
1. आईक्यूएसी निदेशक
2. डीन अकादमिक मामले
3. अध्यक्ष और समन्वयक सीआईआईपीपी
4. अंतरिक्ष आवंटन समिति के अध्यक्ष

यह है छात्रों का दर्द : छात्रों का कहना है कि विश्वविद्यालय के प्रशासनिक कार्यों में लगे हुए शिक्षक क्लासरूम में पूरा ध्यान नहीं दे पाते हैं. कई शिक्षक तो ऐसे हैं जो क्लास ही नहीं लेते. नतीजा न तो क्लासरूम में पढ़ाई हो पा रही है और न ही छात्रों की समस्याओं का समाधान हो पाता है.
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