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विक्रम जोशी ही नहीं कई पत्रकारों के परिवार को है इंसाफ का इंतजार

गाजियाबाद में पत्रकार पर हुए हमले के बाद विपक्षी दलों ने योगी सरकार को कटघरे में ला खड़ा किया था. हालांकि यह पहली बार नहीं है जब पत्रकारों पर हमला किया गया हो. आज भी ऐसे कई पत्रकार हैं, जिनके परिवार इंसाफ की एकटक राह ताक रहे हैं.

पत्रकारों पर किए गए हमले
पत्रकारों पर किए गए हमले
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Published : Aug 1, 2020, 10:32 PM IST

लखनऊः 22 जुलाई की सुबह गाजियाबाद में पत्रकार विक्रम जोशी को कुछ लोगों ने सिर में गोली मार दी थी. अपनी भांजी के साथ छेड़छाड़ का विरोध करने पर पत्रकार विक्रम जोशी की हत्या कर दी गई. इस वारदात के बाद गाजियाबाद पुलिस की जमकर किरकिरी हुई है. विक्रम पहले ही छेड़खानी की शिकायत कर अपनी हत्या की आशंका जता चुके थे. इस हत्या के बाद कांग्रेस, समाजवादी पार्टी समेत पूरे विपक्ष ने योगी सरकार को निशाने पर लिया है.

विक्रम जोशी
विक्रम जोशी

यह पहली बार नहीं है जब उत्तर प्रदेश में किसी पत्रकार की हत्या हुई हो, बल्कि इससे पहले भी कई पत्रकारों पर हमले हुए हैं. राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के मुताबिक 2013 में उत्तर प्रदेश में पत्रकारों पर सबसे ज्यादा हमले हुए थे. बात करें 2013 की तो यूपी में पत्रकारों पर हमले के 67 केस दर्ज किए गए थे. पत्रकारों पर हमले के मामले में मध्य प्रदेश दूसरे स्थान पर था, जहां 50 केस दर्ज हुए. वहीं इस मामले में 27 केस के साथ बिहार तीसरे स्थान पर था. 5 अप्रैल 2020 से 11 जून 2020 के बीच भी पत्रकारों को पुलिस की ओर से प्रताड़ित करने का मामला सामने आया है. अभी भी अपराधियों के हाथों मारे गए कई पत्रकारों के परिवार वाले इंसाफ की आस लगाए बैठे हैं.

भू- माफिया ने ली थी शुभम मणि त्रिपाठी की जान
19 जून 2020 को उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले के लोकल हिंदी सांध्य दैनिक के रिपोर्टर शुभम मणि त्रिपाठी की दो हमलावारों ने गोली मारकर उनकी हत्या कर दी थी. शुभम मणि त्रिपाठी को उस वक्त तीन गोलियां मारी गई थीं, जब वह दूध मंडी से अपने दोस्त के साथ बाइक पर अपने घर की ओर वापस जा रहे थे. शुभम को गंभीर हालत में अस्पताल ले जाया गया था, जहां उनकी मौत हो गई थी. शुभम लगातार अखबार और सोशल मीडिया के जरिए क्षेत्र में हो रहे बालू की काला बाजारी और भू माफियाओं के काले कारनामों को उजागर कर रहे थे.

शुभम मणि त्रिपाठी
शुभम मणि त्रिपाठी

उन्नाव पुलिस के मुताबिक ठेकेदार दिव्या अवस्थी ने ही पत्रकार की हत्या की सुपारी दी थी. दरअसल, शुभम ने दिव्या के खिलाफ एक आर्टिकल लिखा था, जिसमें उन्होंने दिव्या के ऊपर आरोप लगाया था कि वह अवैध निर्माण करा रही है. हालांकि प्रशासन ने शुभम के आर्टिकल को संज्ञान में लेकर जांच कर उस काम को नष्ट कर दिया था.

गला रेतकर की गई थी राधेश्याम शर्मा की हत्या
कुशीनगर जिले के दुबौली गांव में 55 साल के पत्रकार राधेश्याम शर्मा की हत्या गला रेतकर कर दी गई थी. राधेश्याम जिले के लोकल अखबार में काम करते थे. 10 अक्टूबर 2019 को राधेश्याम दुबौली गांव के पास से अपनी बाइक से जा रहे थे. उस दौरान दो हमलावारों ने उन्हें रोका और उनका गला रेत दिया. वहीं मामले की पुलिस ने आरोपियों से पूछताछ की तो आपसी रंजिश का मामला सामने आया.

राधेश्याम शर्मा
राधेश्याम शर्मा

पड़ोसियों ने कराई थी आशीष की हत्या
सहारनपुर जिले में 18 अगस्त 2019 को प्रसिद्ध अखबार के एक फोटो जर्नलिस्ट आशीष और उसके भाई आशुतोष की हत्या कर दी गई थी. गाय के गोबर के हटाने को लेकर आशीष के पड़ोसियों ने उसकी हत्या करवा दी थी.

आशीष
आशीष

खनन माफियों ने ले ली राजेश मिश्रा की जान
21 अक्टूबर 2017 को गाजीपुर में एक प्रसिद्ध अखबार के एक स्ट्रिंगर राजेश मिश्रा की हत्या कर दी गई थी. बता दें कि राजेश अपने भाई की दुकान के बाहर खड़े थे तभी हमलावारों ने उनकी गोली मारकर हत्या कर दी थी. इस मामले में पुलिस ने 4 आरोपियों को गिरफ्तार किया था. वहीं पूछताछ के दौरान आरोपियों ने बताया कि जिले का ही रहने वाला राजू यादव राजेश मिश्रा की ओर से छापी गई खबरों से नाराज था. राजेश मिश्रा राजू यादव की ओर से किए गए अवैध रेत खनन और शराब तस्करी को लेकर खबरें छापते थे.

राजेश मिश्रा
राजेश मिश्रा

गोली मारकर कर दी थी करूण मिश्रा की हत्या
सुलतानपुर जिले में 13 फरवरी 2016 को पत्रकार करूण मिश्रा को तीन हथियार बंद बदमाशों ने गोली मारकर उनकी हत्या कर दी थी. करूण मिश्रा अंबेडकरनगर के ब्यूरो चीफ थे. वे 13 फरवरी को दोपहर में अपने घर की ओर जा रहे थे, तभी उनकी गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. वहीं अस्पताल ले जाते समय उनकी मौत हो गई थी.

करूण मिश्रा
करूण मिश्रा

इस मामले में लखनऊ जोन के इंस्पेक्टर जनरल ने बताया था कि जिले के दो खनन ठेकेदार करूण मिश्रा की कवरेज से नाराज थे, क्योंकि करूण उनके अवैध खनन के काले कारनामों को अपने अखबार में छापा करते थे. करूण को मारने के लिए ठेकेदारों ने करीब एक लाख रूपये की सुपारी भी दी थी.

जोगेंद्र सिंह को पुलिस ने ही कर दिया था आग के हवाले
शाहजहांपुर के रहने वाले फ्री लांसर पत्रकार जागेंद्र सिंह को जलाकर मौत के हवाले कर दिया गया था. जागेंद्र राजनीति और करंट अफेयर पर हिन्दी अखबार और सोशल मीडिया पर खबर छापा करते थे. बता दें कि जागेंद्र सिंह के घर पर पुलिस ने 1 जून 2015 को छापेमारी की थी.

जागेंद्र सिंह
जोगेंद्र सिंह

वहीं अस्पताल में इलाज के दौरान जागेंद्र सिंह ने बताया था कि 4 पुलिसकर्मियों की ओर से उन्हें जलाया गया था. उन पर पेट्रोल डालकर उन्हें आग के हवाले कर दिया गया. साथ ही उन्होंने बताया था कि मंत्री राम मूर्ती सिंह वर्मा ने 5 पुलिसकर्मियों को इस काम को करने के लिए कहा था.

अज्ञात बदमाश ने मारी थी राकेश शर्मा को गोली
इटावा के रहने वाले 50 वर्षीय राकेश शर्मा को किसी अज्ञात हमलावार ने गोली मारकर उनकी हत्या कर दी थी. बता दें कि राकेश शर्मा को किसी अज्ञात नंबर से कॉल आई थी, जिसके बाद वे घर से निकल गए थे. वहीं जिले के बकेवर के पास पत्रकार को गोली मार दी गई थी. लोकल पत्रकारों की मानें तो जिले के जुआ माफिया राकेश शर्मा से नाराज थे, क्योंकि वे अवैध जुआ संचालन के खिलाफ खबरें छापा करते थे.

राकेश शर्मा
राकेश शर्मा

अमित शर्मा को पुलिस की झेलनी पड़ी थी प्रताड़ना
उत्तर प्रदेश में पत्रकारों पर हमला होना कोई नई बात नहीं है. सरकार किसी की भी हो यूपी में हमेशा से पत्रकारों पर हमला होता रहा है, लेकिन 11 जून 2019 में शामली से सबसे ज्यादा खराब खबर पत्रकार उत्पीड़न की आई थी. जब रेल पुलिसकर्मी ने अमित शर्मा जो कि जाने माने हिन्दी टीवी चैनल में काम करते थे, उनके साथ उत्पीड़न किया था.

पुलिसकर्मी ने अमित को हिरासत में लेकर उसके साथ मारपीट और दुर्व्यवहार किया था. अमित ट्रेन की पटरियों से उतर जाने पर रिपोर्टिंग करने शामली जा रहे थे. वे पहले भी सरकारी रेलवे पुलिसकर्मियों की ओर से की गई भ्रष्टाचार पर रिपोर्टिंग कर चुके थे. अमित ट्रेन में थे तभी स्टेशन हॉउस अधिकारी राकेश कुमार आए और अमित से उनका फोन लेकर बाहर फेंक दिए.

इसके बाद राकेश कुमार ने अमित के गालों पर कई थप्पड़ मारे. इसके बाद अमित को दो घंटे के लिए हिरासत में लिया गया, जहां उनसे बुरी तरीके से मारपीट की गई. उनके कपड़े फाड़ दिए गए, बल्कि इतना ही नहीं पुलिस वालों ने अमित के मुंह में मल तक कर दिया और उन्हें बुरी तरह से प्रताड़ित किया. हालांकि अमित शर्मा को तब छोड़ा गया, जब उनके दो साथी पत्रकारों ने जाकर उनकी रिहाई कराई.

लखनऊः 22 जुलाई की सुबह गाजियाबाद में पत्रकार विक्रम जोशी को कुछ लोगों ने सिर में गोली मार दी थी. अपनी भांजी के साथ छेड़छाड़ का विरोध करने पर पत्रकार विक्रम जोशी की हत्या कर दी गई. इस वारदात के बाद गाजियाबाद पुलिस की जमकर किरकिरी हुई है. विक्रम पहले ही छेड़खानी की शिकायत कर अपनी हत्या की आशंका जता चुके थे. इस हत्या के बाद कांग्रेस, समाजवादी पार्टी समेत पूरे विपक्ष ने योगी सरकार को निशाने पर लिया है.

विक्रम जोशी
विक्रम जोशी

यह पहली बार नहीं है जब उत्तर प्रदेश में किसी पत्रकार की हत्या हुई हो, बल्कि इससे पहले भी कई पत्रकारों पर हमले हुए हैं. राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के मुताबिक 2013 में उत्तर प्रदेश में पत्रकारों पर सबसे ज्यादा हमले हुए थे. बात करें 2013 की तो यूपी में पत्रकारों पर हमले के 67 केस दर्ज किए गए थे. पत्रकारों पर हमले के मामले में मध्य प्रदेश दूसरे स्थान पर था, जहां 50 केस दर्ज हुए. वहीं इस मामले में 27 केस के साथ बिहार तीसरे स्थान पर था. 5 अप्रैल 2020 से 11 जून 2020 के बीच भी पत्रकारों को पुलिस की ओर से प्रताड़ित करने का मामला सामने आया है. अभी भी अपराधियों के हाथों मारे गए कई पत्रकारों के परिवार वाले इंसाफ की आस लगाए बैठे हैं.

भू- माफिया ने ली थी शुभम मणि त्रिपाठी की जान
19 जून 2020 को उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले के लोकल हिंदी सांध्य दैनिक के रिपोर्टर शुभम मणि त्रिपाठी की दो हमलावारों ने गोली मारकर उनकी हत्या कर दी थी. शुभम मणि त्रिपाठी को उस वक्त तीन गोलियां मारी गई थीं, जब वह दूध मंडी से अपने दोस्त के साथ बाइक पर अपने घर की ओर वापस जा रहे थे. शुभम को गंभीर हालत में अस्पताल ले जाया गया था, जहां उनकी मौत हो गई थी. शुभम लगातार अखबार और सोशल मीडिया के जरिए क्षेत्र में हो रहे बालू की काला बाजारी और भू माफियाओं के काले कारनामों को उजागर कर रहे थे.

शुभम मणि त्रिपाठी
शुभम मणि त्रिपाठी

उन्नाव पुलिस के मुताबिक ठेकेदार दिव्या अवस्थी ने ही पत्रकार की हत्या की सुपारी दी थी. दरअसल, शुभम ने दिव्या के खिलाफ एक आर्टिकल लिखा था, जिसमें उन्होंने दिव्या के ऊपर आरोप लगाया था कि वह अवैध निर्माण करा रही है. हालांकि प्रशासन ने शुभम के आर्टिकल को संज्ञान में लेकर जांच कर उस काम को नष्ट कर दिया था.

गला रेतकर की गई थी राधेश्याम शर्मा की हत्या
कुशीनगर जिले के दुबौली गांव में 55 साल के पत्रकार राधेश्याम शर्मा की हत्या गला रेतकर कर दी गई थी. राधेश्याम जिले के लोकल अखबार में काम करते थे. 10 अक्टूबर 2019 को राधेश्याम दुबौली गांव के पास से अपनी बाइक से जा रहे थे. उस दौरान दो हमलावारों ने उन्हें रोका और उनका गला रेत दिया. वहीं मामले की पुलिस ने आरोपियों से पूछताछ की तो आपसी रंजिश का मामला सामने आया.

राधेश्याम शर्मा
राधेश्याम शर्मा

पड़ोसियों ने कराई थी आशीष की हत्या
सहारनपुर जिले में 18 अगस्त 2019 को प्रसिद्ध अखबार के एक फोटो जर्नलिस्ट आशीष और उसके भाई आशुतोष की हत्या कर दी गई थी. गाय के गोबर के हटाने को लेकर आशीष के पड़ोसियों ने उसकी हत्या करवा दी थी.

आशीष
आशीष

खनन माफियों ने ले ली राजेश मिश्रा की जान
21 अक्टूबर 2017 को गाजीपुर में एक प्रसिद्ध अखबार के एक स्ट्रिंगर राजेश मिश्रा की हत्या कर दी गई थी. बता दें कि राजेश अपने भाई की दुकान के बाहर खड़े थे तभी हमलावारों ने उनकी गोली मारकर हत्या कर दी थी. इस मामले में पुलिस ने 4 आरोपियों को गिरफ्तार किया था. वहीं पूछताछ के दौरान आरोपियों ने बताया कि जिले का ही रहने वाला राजू यादव राजेश मिश्रा की ओर से छापी गई खबरों से नाराज था. राजेश मिश्रा राजू यादव की ओर से किए गए अवैध रेत खनन और शराब तस्करी को लेकर खबरें छापते थे.

राजेश मिश्रा
राजेश मिश्रा

गोली मारकर कर दी थी करूण मिश्रा की हत्या
सुलतानपुर जिले में 13 फरवरी 2016 को पत्रकार करूण मिश्रा को तीन हथियार बंद बदमाशों ने गोली मारकर उनकी हत्या कर दी थी. करूण मिश्रा अंबेडकरनगर के ब्यूरो चीफ थे. वे 13 फरवरी को दोपहर में अपने घर की ओर जा रहे थे, तभी उनकी गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. वहीं अस्पताल ले जाते समय उनकी मौत हो गई थी.

करूण मिश्रा
करूण मिश्रा

इस मामले में लखनऊ जोन के इंस्पेक्टर जनरल ने बताया था कि जिले के दो खनन ठेकेदार करूण मिश्रा की कवरेज से नाराज थे, क्योंकि करूण उनके अवैध खनन के काले कारनामों को अपने अखबार में छापा करते थे. करूण को मारने के लिए ठेकेदारों ने करीब एक लाख रूपये की सुपारी भी दी थी.

जोगेंद्र सिंह को पुलिस ने ही कर दिया था आग के हवाले
शाहजहांपुर के रहने वाले फ्री लांसर पत्रकार जागेंद्र सिंह को जलाकर मौत के हवाले कर दिया गया था. जागेंद्र राजनीति और करंट अफेयर पर हिन्दी अखबार और सोशल मीडिया पर खबर छापा करते थे. बता दें कि जागेंद्र सिंह के घर पर पुलिस ने 1 जून 2015 को छापेमारी की थी.

जागेंद्र सिंह
जोगेंद्र सिंह

वहीं अस्पताल में इलाज के दौरान जागेंद्र सिंह ने बताया था कि 4 पुलिसकर्मियों की ओर से उन्हें जलाया गया था. उन पर पेट्रोल डालकर उन्हें आग के हवाले कर दिया गया. साथ ही उन्होंने बताया था कि मंत्री राम मूर्ती सिंह वर्मा ने 5 पुलिसकर्मियों को इस काम को करने के लिए कहा था.

अज्ञात बदमाश ने मारी थी राकेश शर्मा को गोली
इटावा के रहने वाले 50 वर्षीय राकेश शर्मा को किसी अज्ञात हमलावार ने गोली मारकर उनकी हत्या कर दी थी. बता दें कि राकेश शर्मा को किसी अज्ञात नंबर से कॉल आई थी, जिसके बाद वे घर से निकल गए थे. वहीं जिले के बकेवर के पास पत्रकार को गोली मार दी गई थी. लोकल पत्रकारों की मानें तो जिले के जुआ माफिया राकेश शर्मा से नाराज थे, क्योंकि वे अवैध जुआ संचालन के खिलाफ खबरें छापा करते थे.

राकेश शर्मा
राकेश शर्मा

अमित शर्मा को पुलिस की झेलनी पड़ी थी प्रताड़ना
उत्तर प्रदेश में पत्रकारों पर हमला होना कोई नई बात नहीं है. सरकार किसी की भी हो यूपी में हमेशा से पत्रकारों पर हमला होता रहा है, लेकिन 11 जून 2019 में शामली से सबसे ज्यादा खराब खबर पत्रकार उत्पीड़न की आई थी. जब रेल पुलिसकर्मी ने अमित शर्मा जो कि जाने माने हिन्दी टीवी चैनल में काम करते थे, उनके साथ उत्पीड़न किया था.

पुलिसकर्मी ने अमित को हिरासत में लेकर उसके साथ मारपीट और दुर्व्यवहार किया था. अमित ट्रेन की पटरियों से उतर जाने पर रिपोर्टिंग करने शामली जा रहे थे. वे पहले भी सरकारी रेलवे पुलिसकर्मियों की ओर से की गई भ्रष्टाचार पर रिपोर्टिंग कर चुके थे. अमित ट्रेन में थे तभी स्टेशन हॉउस अधिकारी राकेश कुमार आए और अमित से उनका फोन लेकर बाहर फेंक दिए.

इसके बाद राकेश कुमार ने अमित के गालों पर कई थप्पड़ मारे. इसके बाद अमित को दो घंटे के लिए हिरासत में लिया गया, जहां उनसे बुरी तरीके से मारपीट की गई. उनके कपड़े फाड़ दिए गए, बल्कि इतना ही नहीं पुलिस वालों ने अमित के मुंह में मल तक कर दिया और उन्हें बुरी तरह से प्रताड़ित किया. हालांकि अमित शर्मा को तब छोड़ा गया, जब उनके दो साथी पत्रकारों ने जाकर उनकी रिहाई कराई.

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