लखनऊ : सीबीआई के विशेष जज अजय विक्रम सिंह ने गोमती रिवर फ्रंट घोटाला (Gomti river front scam case) मामले में वांछित अभियुक्त हिमांशु गुप्ता की अग्रिम जमानत अर्जी को खारिज कर दिया है. हिमांशु गुप्ता केके स्पन पाइप प्राइवेट लिमिटेड का निदेशक है. कोर्ट ने प्रथम दृष्टया अभियुक्त के अपराध को गम्भीर करार देते हुए कहा है कि 'यह मामला करीब 285 करोड़ 69 लाख रुपए के कार्य से सम्बंधित है.'
सीबीआई ने इस मामले में सिंचाई विभाग के तत्कालीन अधीक्षण अभियंता रुप सिंह यादव, कनिष्ठ सहायक राज कुमार यादव तथा ब्रांड ईगल लोंगिजन जेवी के वरिष्ठ सलाहकार बद्री श्रेष्ठा के साथ ही केके स्पन पाइप प्राइवेट लिमिटेड व इसके निदेशक हिमांशु गुप्ता व कविश गुप्ता के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया था. 17 फरवरी, 2021 को दाखिल इस आरोप पत्र में मुल्जिमों को आईपीसी की धारा 120 बी सपठित धारा 420, 467, 468, 471 व भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13 (2) सपठित धारा 13 (1) (डी) में आरोपित किया गया था. 30 नवंबर, 2017 को सीबीआई ने इस मामले की एफआईआर दर्ज कर जांच शुरु की थी. गोमती रिवर फ्रंट के निर्माण कार्य से जुड़े मुल्जिमों पर दागी कम्पनियों को काम देने, विदेशो से महंगा सामान खरीदने, चैनलाइजेशन के कार्य में घोटाला करने, नेताओं और नौकरशाहों के विदेशी दौरे में फिजूलखर्ची करने सहित वित्तीय अनियमितता व मानक के अनुरुप कार्य नहीं करने के आरोप हैं.
बता दें बीते गोमती रिवर फ्रंट घोटाले के अभियुक्त मेसर्स ब्रांड ईगल्स के वरिष्ठ परामर्शदाता बद्री श्रेष्ठ की अग्रिम जमानत अर्जी को सीबीआई के विशेष न्यायाधीश अजय विक्रम सिंह ने 11 अक्टूबर को खारिज कर दिया था. कोर्ट ने कहा था कि मामले में अभियुक्त की भूमिका को देखते हुए, उसे अग्रिम जमानत पर रिहा किया जाना उचित नहीं है, वहीं सुनवाई के दौरान सीबीआई की ओर से अग्रिम जमानत का विरोध करते हुए कहा गया था कि गोमती रिवर फ्रंट घोटाले की रिपोर्ट सबसे पहले गोमती नगर थाने में वर्ष 2017 में दर्ज कराई गई थी. इसके बाद 30 नवंबर 2017 को राज्य सरकार की सिफारिश पर जांच सीबीआई को स्थानांतरित की गई था. वहीं 16 दिसंबर को गोमती रिवर फ्रंट घोटाले के अभियुक्त की अग्रिम जमानत याचिका को हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने खारिज कर दिया था.