लखनऊ: लोहिया अस्पताल के ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विभाग (Department of Transfusion Medicine) की ओर से शनिवार को रक्तधान(blood transfusion) के संबंध में एक शैक्षिक कार्यक्रम आयोजित किया गया. यह कार्यक्रम अस्पताल की निदेशक डॉ. सोनिया नित्यानंद के निर्देशन एवं मार्गदर्शन में संपन्न हुआ. रक्तधान (blood transfusion) की आवश्यकता लगभग सभी विभागों के मरीजों को होती है.
लोहिया अस्पताल के डिपार्टमेंट ऑफ ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन (Department of Transfusion Medicine) के विभागाध्यक्ष डॉ. सुब्रत चंद्रा ने कहा कि सुरक्षित ब्लड ट्रांसफ्यूजन की आवश्यकता सभी व्यक्ति को पड़ती है. इसका महत्व काफी विस्तृत है. आज के कार्यक्रम में रक्तधान(blood transfusion) के दुष्प्रभाव, विकल्प, प्लाज्मफरेसिस, पीआरपी चिकित्सा समेत अन्य कई विषयों पर चर्चा की गई.
शहर के विभिन्न संस्थानों जैसे कि संजय गांधी पीजीआई, केजीएमयू, मेदांता, सहारा, अपोलो के विशेषज्ञों द्वारा व्याख्यान प्रस्तुत किए गए. चिकित्सा जगत के लोगों ने इस कार्यक्रम में बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया. करीब डेढ़ सौ से अधिक विशेषज्ञ डॉक्टर यहां पर उपस्थित रहे, जिन्होंने इस मुद्दे पर अपनी बातें प्रस्तुत की.
डॉ. सुब्रत चंद्रा ने बताया कि जब किसी रोगी को अपने शरीर की प्रणाली को सहारा देने के लिए अतिरिक्त रक्त की आवश्यकता होती है, तो इस प्रक्रिया को चिकित्सकीय रूप से रक्त आधान (blood transfusion) कहा जाता है. रक्त या आवश्यक रक्त घटकों, जैसे लाल रक्त कोशिकाओं, सफेद रक्त कोशिकाओं, या प्लेटलेट्स को एक अंतशिरा रेखा (IV) का उपयोग करके सीधे रोगी की नसों में स्थानांतरित किया जा सकता है. आमतौर पर, किसी व्यक्ति को दुर्घटना, सर्जरी के दौरान खून की कमी, या किसी विशिष्ट बीमारी के कारण अत्यधिक रक्तस्राव होने पर अधिक रक्त की आवश्यकता होती है.
कार्यक्रम डॉक्टर सुब्रत चंद्रा विभागाध्यक्ष ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन की अध्यक्षता में, विभाग के अन्य चिकित्सकों डॉ. अनुभा, डॉ. क्तृप्ति, डॉ. भारत के सहयोग से आयोजित किया गया. कार्यक्रम के कुशल आयोजन में डॉक्टर ए पी जैन विभागाध्यक्ष कार्डियक सर्जरी विभाग का भी सहयोग मिला.