लखनऊ: अमेरिका के ओएम ऑन्कोलॉजी के मुख्य वैज्ञानिक राम उपाध्याय ने कोरोना की दवा या वैक्सीन के बारे में जानकारी दी है. उन्होंने आश्वस्त किया कि साल के अंत तक कोरोना की वैक्सीन आ जाएगी, जो कि कारगर भी होगी. उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस वैश्विक महामारी के रूप में हमारे सामने है. इससे जुड़े हुए बहुत सारे सवाल हम लोगों के बीच हैं. इनमें से कुछ प्रमुख सवाल हैं कि जैसे- कोरोना की दवा कब तक आएगी? इसका उत्पादन कैसे होगा? सवा सौ करोड़ वाले देश में इसकी वितरण प्रक्रिया को लेकर भी लोगों के मन में सवाल है. इन सभी सवालों के जवाब वैज्ञानिक राम उपाध्याय ने ईटीवी भारत से खास बातचीत के दौरान दिए.
'साल के अंत तक आ सकती है वैक्सीन'
वैज्ञानिक राम उपाध्याय ने ईटीवी भारत के सवालों का जवाब स्वीडन से ही दिया है. मौजूदा समय में स्वीडन में मौजूद वैज्ञानिक उपाध्याय ने कहा कि कोरोना की दवाई को लेकर जो क्लीनिकल टेस्टिंग हो रही है, उससे स्थिति स्पष्ट हो रही है कि इस साल के अंत तक कम से कम एक वैक्सीन मार्केट में आ जानी चाहिए. यह कितनी कारगर साबित होगी, यह तो समय आने पर पता चलेगा, लेकिन यह बात निश्चित है कि यह वैक्सीन कोरोना से लड़ने में मदद जरूर करेगी. उन्होंने कहा कि भारत की प्रोडक्शन क्षमता पर उन्हें कोई संदेह नहीं है. यहां प्रोडक्शन की इतनी क्षमता है कि किसी भी मात्रा में किसी भी मेडिसिन को बनाने में भारत सक्षम है. अगली बात है वितरण की तो इस बारे में वह बताना चाहेंगे कि भारत सरकार ने एक आयुष्मान भारत और दूसरी जन औषधि योजना, दोनों ही योजनाओं में देश के किसी भी कोने में रहने पर इसका लाभ ले सकते हैं, जिससे सभी को मदद मिलेगी.
दवाइयों के माध्यम से हो रहा वायरस फैक्टर पर काम
वैज्ञानिक ने कहा कि यहां दवा के क्लीनिकल ट्रायल को लेकर तो वह दो फैक्टर को लेकर काम कर रहे हैं. एक तो यह है कि किस प्रकार से दवा को विकसित करें कि जो हमारे माइल्ड मॉडरेटेड केस गंभीर केस में तब्दील न हों. इस ट्रायल में इस बात का खास ध्यान रखा गया है. अगली बात यह है कि इसका डिजाइन एकदम अपने आप में यूनीक है. यहां जानना आवश्यक है कि वायरस और होस्ट जब तक दोनों के बीच में क्रॉस टॉक नहीं होगी, तब तक यह डिजीज नहीं बनेगी. वायरस होस्ट मशीनरी को किस प्रकार से इस्तेमाल करता है, इसकी परख करके इन दवाइयों के माध्यम से वायरस फैक्टर पर काम किया जा रहा है. दवा का प्रभाव ऐसा कि वह होस्ट पर भी वायरस को काम न करने दे, इस दिशा में कार्य किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि इस प्रकार से हम इस लड़ाई को जीतने का प्रयास कर रहे हैं. यह दवा सस्ती दर पर लोगों को मिलेगी और निश्चित तौर पर इसकी कीमत सबके लिए सुलभ होगी.
यूपी में खोलना चाहते हैं शोध संस्थान
वैज्ञानिक ने कहा कि मैं मूलतः मॉलिक्यूलर ऑन्कोलॉजी का विशेषज्ञ हूं. साथ ही कहा कि हमारी इच्छा उत्तर प्रदेश में एक ऐसे शोध संस्थान के स्थापना की है, जिसमें हर तरह के कैंसर की टारगेटेड थेरेपी की दवाओं पर शोध हो साथ ही यह संस्थान बैक्टीरिया और वायरस पर भी शोध करें. उन्होंने कहा कि तुरंत तो वह वहां प्लाज्मा आधारित एक ऐसे एयर प्यूरीफायर की यूनिट लगाना चाहते हैं जो तय क्षेत्र में वायरस और बैक्टीरिया को खत्म कर दे. वैज्ञानिक ने कहा कि सरकार के जिम्मेदार लोगों से उनकी इस संबंध में सकारात्मक बात भी हो चुकी है. वह प्रधानमंत्री मोदी के आत्मनिर्भर भारत अभियान और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की निवेश नीति के कायल हैं. ऐसे में अगर सरकार से सहयोग मिले तो अपने सूबे के लिए जो भी बन पड़ेगा, जरूर करेंगे.