लखनऊ : संजय गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान में संकाय सदस्यों की भर्ती में नियमों की अनदेखी का आरोप लगाया जा रहा है. इस मामले को लेकर सदस्यों में आक्रोश है. सदस्यों का आरोप है कि नयी भर्ती में आरक्षण नियमों की अनदेखी की जा रही है. संस्थान प्रशासन 2 महीने पहले दिए गए अनुसूचित जाति जनजाति आयोग के आदेश का भी पालन नहीं कर रहा है.
राज्यपाल व संस्थान के निदेशक को भेजा पत्र
अनुसूचित जाति जनजाति कर्मचारी कल्याण समिति के अध्यक्ष हरीश कुमार जयंत एवं महामंत्री मंजू सिंह ने प्रदेश के राज्यपाल और संस्थान के निदेशक को पत्र भेजकर नियमों के तहत नियुक्ति प्रक्रिया अपनाए जाने की मांग की है. समिति के पदाधिकारियों ने राज्यपाल से तुरंत हस्तक्षेप करने का आग्रह किया है.
आरक्षण नियमावली का दिया हवाला
अनुसूचित जाति जनजाति कल्याण समिति ने कहा है कि एसजीपीजीआई में कांट्रैक्ट के आधार पर मई महीने में 17 असिस्टेंट प्रोफेसरों की नियुक्ति की गई है. इस नियुक्ति में आरक्षण नियमावली की अनदेखी की गई. शासन की ओर से 21 फ़ीसदी अनुसूचित जाति और 2 फ़ीसदी जनजाति तथा 27 फ़ीसदी अन्य पिछड़े वर्ग को नियमानुसार आरक्षण प्रदान किया गया है. लेकिन, संस्थान ने नियमावली को दरकिनार कर दिया. कर्मचारियों का यह भी कहना है कि संकाय सदस्यों की नियुक्ति के लिए विज्ञापन जारी कर दिया गया है. इसमें भी आरक्षण का निर्धारण नहीं किया गया है. ऐसी स्थिति में अनुसूचित जाति के लोगों को वंचित करने की साजिश की जा रही है.
19 जून को धरने का ऐलान
इस बीच सोमवार को पुनर्गठन के मुद्दे पर एसजीपीजीआई में गुटबंदी तेज हो गई. नर्सिंग एवं पैरामेडिकल संवर्ग ने पैरामेडिकल नर्सिंग संयुक्त फोरम का गठन कर लिया. फोरम ने 19 जून को धरने का भी ऐलान किया है. एसजीपीजीआई में 35 संवर्ग हैं. एसजीपीजीआई कर्मचारी महासंघ ने जून के पहले सप्ताह में निदेशक को ज्ञापन दिया था. इसके बाद 18 जून को शासी निकाय की बैठक रखी गई. कर्मचारियों ने दबाव बनाया तो बैठक स्थगित कर दी गई. इसी दौरान निदेशक ने जुलाई माह में कैडर पुनर्गठन को लेकर स्पेशल जीबी बैठक बुलाने का ऐलान किया, जिसका कर्मचारी महासंघ ने तो स्वागत किया है लेकिन इसको लेकर संगठन में फूट पड़ गयी है.
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