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यूपी फुटबाल संघ में अनियमितता, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मांगा जवाब

मंगलवार को यूपी फुटबाल संघ में अनियमितताओं (Irregularities in UP Football Association) पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जवाब मांगा.

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Irregularities in UP Football Association
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Published : Dec 21, 2022, 7:20 AM IST

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यूपी फुटबाल संघ में अनियमितताओं (Irregularities in UP Football Association) और को लेकर दाखिल याचिका पर जवाब मांगा है. यूपी फुटबाल संघ पर इलाहाबाद हाईकोर्ट में यह आदेश न्यायमूर्ति सलिल कुमार राय ने सुपर स्पोर्ट्स सोसायटी लखनऊ के अध्यक्ष प्रभजोत सिंह नंदा के की याचिका पर अधिवक्ता सुनील चौधरी को सुनकर दिया है.

याचिका के अनुसार याची की ओर से इन्हीं आरोपों पर की गई शिकायत पर उत्तर प्रदेश शासन के उपसचिव ने 24 जनवरी 2020 को डीएम वाराणसी को प्रकरण की गहनता पूर्वक जांच कराकर दोषियों के विरुद्ध आवश्यक कार्यवाही कर शासन को जांच रिपोर्ट उपलब्ध कराने का आदेश दिया था. डीएम वाराणसी ने एडीएम से उत्तर प्रदेश फुटबॉल संघ की जांच कराई. शिकायत में बताया गया है कि संघ के महासचिव मोहम्मद शमसुद्दीन व उनके परिवार के लोग पिछले पिछले 16 वर्षों से वैधानिक एवं लोकतांत्रिक प्रक्रिया के बगैर पद पर काबिज हैं.

उत्तर प्रदेश फुटबॉल संघ (UP Football Association) लगभग 30-40 वर्षों से एक ही परिवार के कब्जे में है. संस्था के महासचिव व अन्य दो के विरुद्ध वाराणसी के थाना कैंट व लखनऊ के हजरतगंज में धोखाधड़ी ,फर्जीवाड़ा आदि की एफआईआर भी दर्ज की जा चुकी है. आरोप है कि शिकायतें सही पाए जाने के बावजूद उच्च अधिकारियों ने जांच रिपोर्ट को दबा दिया.असिस्टेंट रजिस्ट्रार वाराणसी ने अपनी जांच रिपोर्ट में उत्तर प्रदेश फुटबॉल संघ पर लगे आरोपों को सही पाते हुए सोसायटी रजिस्ट्रेशन एक्ट की धारा 25(2 )के प्रावधानों के अंतर्गत संस्था की प्रबंध समिति कालातीत घोषित करते हुए प्रबंध समिति के चुनाव कराने के आदेश दिए थे.

उत्तर प्रदेश फुटबॉल संघ ने इस आदेश को याचिका में चुनौती दी. हाईकोर्ट ने छह जनवरी 2021 को याचिका खारिज कर दी. अधिवक्ता सुनील चौधरी ने कोर्ट को बताया कि तत्कालीन सहायक निबन्धक वाराणसी योगेश चन्द्र त्रिपाठी ने उच्च अधिकारियों को सूचित किए बगैर अपने ही आदेश को जांच बिना मात्र नोटरी शपथ पत्र के आधार पर अपनी सेवानिवृत्ति से कुछ दिन पहले ही वापस ले लिया, जबकि उन्हें ऐसा करने का कोई अधिकार नहीं है.

सहायक निबन्धक रहे योगेश चन्द्र त्रिपाठी व अन्य के विरुद्ध कार्यवाही, महिला खिलाड़ी वर्षा रानी के उत्पीड़न पर कार्यवाही, आल इंडिया फुटबॉल फेडरेशन बनाम राहुल मेहरा व अन्य में सुप्रीम कोर्ट की गाइड लाइन के अनुसार वैध सदस्यों वी अन्य विभाग के अधिकारियों द्वारा चुनाव कराने आदि मांगों को लेकर प्रमुख सचिव खेल सहित कई अधिकारियों को प्रत्यावेदन दिया गया, जो विचाराधीन है. अधिवक्ता चौधरी के मुताबिक कोर्ट ने प्रमुख सचिव खेल, जिलाधिकारी वाराणसी, सहायक निबन्धक वाराणसी, खेल निदेशक और यूपीएफएस वाराणसी से आठ सप्ताह में याचिका पर जवाब दाखिल मांगा है. (Allahabad high court on UP Football Association)

ये भी पढ़ें- देखते ही देखते नदी में समा गई कार, श्वान समेत दो लोग डूबे

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यूपी फुटबाल संघ में अनियमितताओं (Irregularities in UP Football Association) और को लेकर दाखिल याचिका पर जवाब मांगा है. यूपी फुटबाल संघ पर इलाहाबाद हाईकोर्ट में यह आदेश न्यायमूर्ति सलिल कुमार राय ने सुपर स्पोर्ट्स सोसायटी लखनऊ के अध्यक्ष प्रभजोत सिंह नंदा के की याचिका पर अधिवक्ता सुनील चौधरी को सुनकर दिया है.

याचिका के अनुसार याची की ओर से इन्हीं आरोपों पर की गई शिकायत पर उत्तर प्रदेश शासन के उपसचिव ने 24 जनवरी 2020 को डीएम वाराणसी को प्रकरण की गहनता पूर्वक जांच कराकर दोषियों के विरुद्ध आवश्यक कार्यवाही कर शासन को जांच रिपोर्ट उपलब्ध कराने का आदेश दिया था. डीएम वाराणसी ने एडीएम से उत्तर प्रदेश फुटबॉल संघ की जांच कराई. शिकायत में बताया गया है कि संघ के महासचिव मोहम्मद शमसुद्दीन व उनके परिवार के लोग पिछले पिछले 16 वर्षों से वैधानिक एवं लोकतांत्रिक प्रक्रिया के बगैर पद पर काबिज हैं.

उत्तर प्रदेश फुटबॉल संघ (UP Football Association) लगभग 30-40 वर्षों से एक ही परिवार के कब्जे में है. संस्था के महासचिव व अन्य दो के विरुद्ध वाराणसी के थाना कैंट व लखनऊ के हजरतगंज में धोखाधड़ी ,फर्जीवाड़ा आदि की एफआईआर भी दर्ज की जा चुकी है. आरोप है कि शिकायतें सही पाए जाने के बावजूद उच्च अधिकारियों ने जांच रिपोर्ट को दबा दिया.असिस्टेंट रजिस्ट्रार वाराणसी ने अपनी जांच रिपोर्ट में उत्तर प्रदेश फुटबॉल संघ पर लगे आरोपों को सही पाते हुए सोसायटी रजिस्ट्रेशन एक्ट की धारा 25(2 )के प्रावधानों के अंतर्गत संस्था की प्रबंध समिति कालातीत घोषित करते हुए प्रबंध समिति के चुनाव कराने के आदेश दिए थे.

उत्तर प्रदेश फुटबॉल संघ ने इस आदेश को याचिका में चुनौती दी. हाईकोर्ट ने छह जनवरी 2021 को याचिका खारिज कर दी. अधिवक्ता सुनील चौधरी ने कोर्ट को बताया कि तत्कालीन सहायक निबन्धक वाराणसी योगेश चन्द्र त्रिपाठी ने उच्च अधिकारियों को सूचित किए बगैर अपने ही आदेश को जांच बिना मात्र नोटरी शपथ पत्र के आधार पर अपनी सेवानिवृत्ति से कुछ दिन पहले ही वापस ले लिया, जबकि उन्हें ऐसा करने का कोई अधिकार नहीं है.

सहायक निबन्धक रहे योगेश चन्द्र त्रिपाठी व अन्य के विरुद्ध कार्यवाही, महिला खिलाड़ी वर्षा रानी के उत्पीड़न पर कार्यवाही, आल इंडिया फुटबॉल फेडरेशन बनाम राहुल मेहरा व अन्य में सुप्रीम कोर्ट की गाइड लाइन के अनुसार वैध सदस्यों वी अन्य विभाग के अधिकारियों द्वारा चुनाव कराने आदि मांगों को लेकर प्रमुख सचिव खेल सहित कई अधिकारियों को प्रत्यावेदन दिया गया, जो विचाराधीन है. अधिवक्ता चौधरी के मुताबिक कोर्ट ने प्रमुख सचिव खेल, जिलाधिकारी वाराणसी, सहायक निबन्धक वाराणसी, खेल निदेशक और यूपीएफएस वाराणसी से आठ सप्ताह में याचिका पर जवाब दाखिल मांगा है. (Allahabad high court on UP Football Association)

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