लखनऊ: समाजवादी पार्टी निकाय चुनाव 2023 और लोकसभा चुनाव 2024 के लिए बहुजन समाज पार्टी के सोशल इंजीनियरिंग के फार्मूले पर अपनी रणनीति तैयार कर रही है. लोकसभा चुनाव 2020 से पहले समाजवादी पार्टी यादव मुस्लिम दलित के फार्मूले को फिट करते हुए सियासी मैदान में उतरती रही है. लेकिन, अब समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव दलित पिछड़े और अल्पसंख्यक समाज को जोड़ने की पहल कर रहे हैं. कई अन्य तरह के कामकाज करते हुए अपनी जमीन बनाने में लगे हुए हैं.
लोकसभा चुनाव 2024 से पहले समाजवादी पार्टी समाज के सभी वर्ग को साथ लेकर चुनाव लड़ने की कोशिश कर रही है. सपा ने जो रणनीति बनाई है, उसके अनुसार बहुजन समाज पार्टी की तरह सोशल इंजीनियरिंग के फार्मूले को अपनाया जाएगा और समाज के सभी वर्ग खासकर दलित पिछड़े अल्पसंख्यक और सवर्णों को साथ लेकर चुनाव में जीत की कोशिश की जाएगी.
समाजवादी पार्टी लोकसभा चुनाव 2024 और नगर निकाय चुनाव 2023 में सफलता हासिल करने में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती है. सपा ने दलित पिछड़े अल्पसंख्यक समाज से जुड़े नेताओं को महत्वपूर्ण जिम्मेदारी देते हुए उन्हें संगठन में पदाधिकारी बनाया है. खासकर बहुजन समाज पार्टी के बैकग्राउंड से जुड़े नेताओं को तो राष्ट्रीय महासचिव की जिम्मेदारी दी गई है, जिससे उन नेताओं की उनके अपने समाज में जो पकड़ और पहुंच है, उसका फायदा अखिलेश यादव को मिल सके.
समाज के सभी वर्ग के लोगों को जोड़कर ही सत्ता की कुर्सी पर पहुंचा जा सकता है. इसीलिए सपा ने सोशल इंजीनियरिंग के फार्मूले पर काम किया है. इसके साथ ही उन्होंने बहुजन समाज पार्टी के संस्थापक कांशीराम के नाम पर मिशन कांशीराम के माध्यम से दलित समाज को पार्टी के साथ पूरी मुस्तैदी के साथ जोड़ने का काम शुरू कर दिया है.
इसके लिए उन्होंने समाजवादी पार्टी में स्वामी प्रसाद मौर्य, इंद्रजीत सरोज, राम अचल राजभर, लालजी वर्मा जैसे मिशनरी नेताओं को इस काम में लगा दिया है. इसके जरिए दलित समाज व पिछड़े समाज के लोगों को समाजवादी पार्टी से जोड़ने का काम किया जाएगा. लोकसभा चुनाव 2024 में समाजवादी पार्टी जातीय समीकरण और सोशल इंजीनियरिंग के फार्मूले के आधार पर ही उम्मीदवारों का चयन करेगी और भारतीय जनता पार्टी को कड़ी टक्कर देगी.
समाजवादी पार्टी लोकसभा के चुनाव से पहले दलित और अति पिछड़ों में पैठ बढ़ाने के लिए प्रदेश भर में मिशन कांशीराम के माध्यम से सामाजिक आंदोलन चलाएगी. इसकी अगुवाई कांशीराम की प्रयोगशाला से निकले और अब समाजवादी पार्टी में राष्ट्रीय पदाधिकारी बनाए गए नेताओं के माध्यम से दलितों को जोड़ने का काम किया जाएगा. जाति जनगणना, सामाजिक आंदोलन और कांशीराम के संदेशों से लोगों को रूबरू कराया जाएगा. समाजवादी पार्टी दलित और पिछड़े समाज के लोगों से समाजवादी पार्टी का साथ देने की अपील करेगी.
सपा की कोशिश है कि दलित, पिछड़े और अल्पसंख्यक समाज के लोगों को सोशल इंजीनियरिंग के फार्मूले के अंतर्गत जोड़ा जा सकता है. पिछले कुछ समय में जिस प्रकार से बहुजन समाज पार्टी कमजोर हुई है और भारतीय जनता पार्टी की बी टीम के रूप में काम कर रही है, इसका फायदा समाजवादी पार्टी को मिल सकता है. इसीलिए समाजवादी पार्टी ने सोची-समझी रणनीति के तहत सोशल इंजीनियरिंग के फार्मूले के तहत बड़े स्तर पर सामाजिक और जाति कार्यक्रम किए जाने की तैयारी की है जिससे बसपा का जो वोट बैंक है, उसे समाजवादी पार्टी के साथ लाया जा सके. इसका सियासी फायदा समाजवादी पार्टी को मिल सकेगा, इसी रणनीति के आधार पर समाजवादी पार्टी ने काम करना शुरू कर दिया है.
समाजवादी पार्टी के विधायक रविदास मेहरोत्रा ने ईटीवी भारत को बताया कि समाजवादी पार्टी समाज के सभी वर्गों को साथ लेकर चलने वाली पार्टी है. हम जातीय समीकरण सामाजिक समीकरण को देखते हुए अपनी चुनावी रणनीति बना रहे हैं. समाजवादी पार्टी पहले भी कांशीराम के साथ चुनावी गठबंधन कर चुकी है. अब हम उनके नाम को लेकर आगे बढ़ेंगे और उस विचारधारा के लोगों को समाजवादी पार्टी से जोड़ने का काम करेंगे.
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