लखनऊः सपा काल में पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने गोमती नगर के पॉश इलाके में जय प्रकाश नारायण इंटरनेशनल केंद्र बनाने की शुरुआत की थी. अखिलेश यादव के इस ड्रीम प्रोजेक्ट में 800 करोड़ रुपये से अधिक की धनराशि खर्च की गई थी. इसका निर्माण कार्य पूरा हो इससे पहले ही प्रदेश में 2017 में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनी तो इसकी जांच शुरू हो गई.
निर्माण कार्य में भ्रष्टाचार के लगे थे आरोप
सूत्रों के अनुसार आरोप लगे कि JPNIC के निर्माण कार्य में धांधली हुई है और अधिकारियों ने बड़ा भ्रष्टाचार करके इसका निर्माण कराया है. एलडीए के तत्कालीन उपाध्यक्ष सत्येंद्र सिंह पर इसके निर्माण कार्य के टेंडर आदि में भ्रष्टाचार करने के गंभीर आरोप लगे थे. ऐसे में इसकी कई बार जांच कराई गई, लेकिन कोई निष्कर्ष अभी तक नहीं निकल पाया है. अभी तक इसका निर्माण कार्य भी पूरा नहीं हो पाया है. आधा-अधूरे निर्माण कार्य के साथ इस केंद्र का सदुपयोग भी नहीं हो पा रहा है.
इस केंद्र के निर्माण कार्य को पूरा करने के लिए 110 करोड़ की और जरूरत है, लेकिन शासन स्तर पर एक बार फिर अखिलेश यादव के ड्रीम प्रोजेक्ट की जांच कराई जा रही है और दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई की तैयारी है. लेकिन जांच सुस्त है और अधिकारी दो सरकार के बीच का मामला बताकर पल्ला झाड़ रहे हैं.
800 करोड़ से अधिक खर्च, अब बदहाल हो रही बिल्डिंग
जेपीएनआइसी में 800 करोड़ रुपये खर्च करने के बावजूद भी अभी इसका सदुपयोग नहीं हो पा रहा है. यह बिल्डिंग बदहाली की कगार पर पहुंच रही है. अधिकारी इस पर कुछ भी बोलने से बच रहे हैं. सपा और भाजपा सरकार के बीच का मामला बताकर पल्ला झाड़ रहे हैं. अत्याधुनिक सुख सुविधाओं का ध्यान रखते हुए इस जयप्रकाश नारायण अंतरराष्ट्रीय केंद्र बनाया गया था. इस अंतरराष्ट्रीय केंद्र में तमाम सुविधाओं का ध्यान रखा गया था.
जेपीएनआइसी की खूबियां
16 मंजिल की इमारत के टॉप फ्लोर पर एक हेलीपैड भी बनाया जाना प्रस्तावित था, जबकि स्विमिंग पूल, टेनिस कोर्ट, कम्युनिटी क्लब, स्पोर्ट्स काम्प्लेक्स सहित 100 से अधिक कमरों वाला एक गेस्ट हाउस बनना था. जयप्रकाश नारायण के जीवन पर आधारित एक संग्रहालय और लाइब्रेरी का भी निर्माण होना था. बावजूद इसके यह सब काम अभी आधे-अधूरे पड़े हुए हैं.
अधिकारी कुछ भी बोलने से झाड़ रहे हैं पल्ला
जयप्रकाश नारायण अंतरराष्ट्रीय केंद्र की जांच और निर्माण कार्य अधूरे होने को लेकर जब ईटीवी भारत ने आवास विकास विभाग के प्रमुख सचिव दीपक कुमार से बात की तो उन्होंने इस पर कुछ भी बोलने से मना कर दिया. उन्होंने कहा कि यह दो सरकारों के बीच का मामला है. इस पर कुछ भी बोलना ठीक नहीं है. वहीं दूसरी तरफ लखनऊ विकास प्राधिकरण के सचिव पवन गंगवार ने इस पर कोई भी टिप्पणी करने से मना कर दिया. उन्होंने कहा कि इसके बारे में उन्हें कोई जानकारी नहीं है और इसकी जांच शासन स्तर पर हो रही है.