लखनऊ: समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव की प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिवपाल यादव के साथ मुलाकात और गठबंधन तय होने पर भारतीय जनता पार्टी ने तंज कसा है.
चाचा भतीजे की मुलाकात को लेकर उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि पहले बुआ भतीजे एक साथ होकर चुनाव लड़े थे. उन्होंने कहा कि अब चाचा भतीजे गठबंधन करके चुनाव लड़ें या और भी लोगों को साथ लेकर चुनाव लड़ लें, इससे भारतीय जनता पार्टी को कोई नुकसान नहीं होगा. डिप्टी सीएम केशव मौर्य ने कहा कि 2022 के विधानसभा चुनाव में 300 से ज्यादा सीट जीतकर भारतीय जनता पार्टी एक बार फिर सरकार बनाएगी.
डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि चाचा-भतीजे की मुलाकात हुई है. अंदर आपस में मारपीट कर रहे हैं कि बाहर आकर मारपीट करेंगे एक साथ, भाजपा से इसका कोई मतलब नहीं है. भाजपा का मतलब एक ही है और प्रदेश की जनता भाजपा के साथ थी और आगे भी रहेगी. भारतीय जनता पार्टी को दोनों लोगों की मुलाकात और गठबंधन से चुनौती के सवाल पर डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य कहते हैं कि पहले बुआ भतीजे मिलकर चुनाव लड़कर देख चुके हैं. अन्य दलों के साथ भी मिले थे, हमें कोई चुनौती नहीं होगी. उन्होंने कहा कि विपक्षी सभी पार्टियां एक साथ मिल जाएं तब भी कमल ही खिलेगा.
वहीं, भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी ने कहा कि 2017 में जब सपा की सरकार जाने वाली थी और लूट के माल को बंटवारे को लेकर चाचा और भतीजे के बीच गृह युद्ध छिड़ा हुआ था. अब जब आगामी चुनाव में हार पूरी तरह से तय है तो एक बार फिर से चाचा-भतीजे एक होकर प्रदेश की जनता को ठगने आए हैं.
राकेश त्रिपाठी ने कहा कि उत्तर प्रदेश की जनता चाचा और भतीजे के षड्यंत्र से बखूबी वाकिफ है. जनता ह किसी बहकावे में आने वाली नहीं है. 2017 में सपा की सरकार थी तो चाचा शिवपाल और भतीजे अखिलेश यादव आपस में लड़कर अलग हुए थे. अब 2017 और 2019 की हार होने के बाद 2022 के विधानसभा चुनाव में एक बार फिर जब सपा के सामने नजर आ रही है तो चाचा-भतीजे एक होते नजर आ रहे हैं.
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भापजा के प्रदेश प्रवक्ता ने कहा कि प्रदेश की जनता चाचा और भतीजे आगामी विधानसभा चुनाव में जवाब देगी और एक बार फिर उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की पूर्ण बहुमत की सरकार बनेगी. उन्होंने कहा कि 2019 में भी अखिलेश यादव ने बहुजन समाज पार्टी का साथ पकड़ा था उसका नतीजा क्या हुआ पूरे उत्तर प्रदेश ने देखा है. 2017 में अखिलेश यादव कांग्रेस के साथ आये थे, दोनों बार उनको हार का सामना करना पड़ा. इस बार भी नया कुछ नहीं होगा और एक बार फिर वे हारेंगे.