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कभी चुनाव नहीं हारा था ये बाहुबली, अब बेटी अदिति भी पिता के नक्शेकदम पर

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Published : Jan 22, 2022, 3:23 PM IST

कांग्रेस पार्टी से अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत करने वाले बाहुबली अखिलेश सिंह एक ऐसे नेता थे, जो न भाजपा की आंधी से प्रभावित हुए थे और ना ही गांधी परिवार से. बाहुबली अखिलेश सिंह की बेटी (Akhilesh Singh Daughter) अदिति सिंह (Aditi Singh) भी अब अपने पिता के नक्शेकदम पर चल पड़ी हैं. जिस तरह पिता ने कांग्रेस से विधायक बनने के बाद पार्टी छोड़ दी थी, ठीक वैसे अदिति ने भी कांग्रेस से विधायक बनने के बाद 2022 तक आते-आते पार्टी का साथ छोड़ बीजेपी का दामन थाम लिया.

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बेटी अदिति भी पिता के नक्शेकदम पर

लखनऊ: राजनीति में तो आपने कई बाहुबली नेताओं के नाम सुने होगें. इन्ही बाहुबली नेताओं में से एक नाम है- अखिलेश सिंह (Akhilesh Singh Bahubali). माफिया से राजनीति में कदम रखने वाले अखिलेश सिंह ऐसे नेता थे जो भाजपा की आंधी से लेकर गांधी परिवार के प्रभाव से कभी भी प्रभावित नहीं हुए. रायबरेली से वह (Akhilesh Singh Raebareli) कांग्रेस के टिकट पर दो बार माननीय बने. पीस पार्टी (Peace Party) से चुनाव लड़ने पर भी वह जीते. निर्दलीय चुनाव लड़े तब भी उन्हें कोई हरा नहीं सका. वे अपनी ज़िंदगी की जंग हारे तो कैंसर से. बाहुबली अखिलेश सिंह की बेटी (Akhilesh Singh Daughter) अदिति सिंह (Aditi Singh) अब अपने पिता के ही नक्शे कदम पर चल रही हैं.

कांग्रेस पार्टी से ही पिता अखिलेश सिंह (Akhilesh Singh Congress) ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की थी, तो वहीं बेटी ने भी कांग्रेस पार्टी से अपने राजनीतिक सफर का श्री गणेश किया. जिस तरह पिता ने कांग्रेस पार्टी से विधायक बनने के बाद पार्टी छोड़ दी थी, उसी तरह बेटी भी कांग्रेस पार्टी से साल 2017 में विधायक बनने के बाद 2022 आते-आते कांग्रेस का हाथ छोड़ बीजेपी का कमल खिलाने की कसरत में जुट गई हैं.

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up vidhan sabha

नवंबर 2021 में अदिति सिंह कांग्रेस का साथ छोड़ बीजेपी (Aditi Singh Joins BJP) के साथ खड़ी हो गईं. भारतीय जनता पार्टी ने अदिति को रायबरेली (Aditi Singh Raebareli) की उसी सदर सीट से टिकट भी दे दिया है जिस सीट से वे कांग्रेस की विधायक रही हैं. साल 2016 में कांग्रेस ज्वाइन करने वाली अदिति 2017 में कांग्रेस पार्टी से चुनाव लड़कर जीतीं, वहीं अब 2022 में कांग्रेस पार्टी को हराने की ही कोशिश में लग गई हैं. इस बार वे भारतीय जनता पार्टी से जीतकर सदन में पहुंचना चाहती हैं.

यह भी पढ़ें: प्रियंका गांधी का यूटर्न: मैं ही चेहरा बयान पर दी सफाई


अदिति का भाजपा में जाना कांग्रेस के लिए झटका

वैसे तो रायबरेली कांग्रेस का घर माना जाता है, लेकिन यहां पर अगर बात दबदबे की करें तो रायबरेली की सदर सीट वह जगह है, जहां तकरीबन तीन दशक से अदिति सिंह के परिवार का दबदबा रहा है. उनके पिता स्वर्गीय अखिलेश सिंह कांग्रेस के लिए साल 1993 से 2007 तक विधायक रहे. इसके बाद वे पीस पार्टी से विधायक बने और निर्दलीय भी चुने गए. पिता के गुजरने के बाद बेटी 2017 में इसी रायबरेली सदर सीट से कांग्रेस के विधायक बनी और अब पिता की विरासत को आगे बढ़ाने के लिए 2022 के यूपी विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर मैदान में है. निश्चित तौर पर अदिति सिंह का कांग्रेस छोड़ बीजेपी में जाना कांग्रेस के लिए झटका माना जा रहा है.

राहुल गांधी से शादी को लेकर उड़ी थी अफवाह

साल 2018 में अदिति सिंह के सामने उस समय असहज स्थिति पैदा हो गई थी, जब उनका नाम राहुल गांधी के साथ शादी के लिए जोड़ा जाने लगा. सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर तेजी से यह अफवाह फैली. राहुल और अदिति की फोटो के साथ लोग बधाई भी देने लगे. इससे अदिति काफी परेशान हुईं. राहुल ने तो इसका खंडन नहीं किया, लेकिन अदिति सामने आईं और उन्होंने इसे कोरी अफवाह बताते हुए खंडन किया. अदिति ने अपनी सफाई में कहा था कि कर्नाटक में चुनाव होने हैं. इसीलिए इस अफवाह को फैलाया गया, जिससे कांग्रेस के कार्यकर्ताओं का ध्यान भटक जाए.

राहुल को बताया था राखी भाई

राहुल गांधी से शादी की अफवाहों के बीच जब विधायक अदिति सिंह सामने आईं, तो उन्होंने साफ तौर पर कहा था कि राहुल गांधी हमारी पार्टी के वरिष्ठ नेता हैं. हमारे मार्गदर्शक हैं. सबसे खास बात यह है कि मैं उन्हें अपने बड़े भाई जैसा मानती हूं, उनसे बहुत कुछ सीखती हूं. वह मेरे राखी भाई हैं. ऐसे में शादी का सवाल कैसे पैदा हो सकता है?

कांग्रेस विधायक अंगद सिंह से हुई है शादी

अदिति सिंह का विवाह कांग्रेस पार्टी के पंजाब के नवांशहर से कांग्रेस विधायक अंगद सिंह से हुआ है. अदिति ने बताया था कि पिता अखिलेश सिंह ने अपने जीवन काल में ही अंगद से उनकी सगाई कर दी थी. नवंबर 2019 में अदिति और अंगद सिंह की शादी हुई थी. अदिति अब भारतीय जनता पार्टी में हैं. लेकिन अंगद सिंह कांग्रेस पार्टी में ही हैं.

यह भी पढ़ें: बारिश में भींगते CM योगी आदित्यनाथ बोले- भगवान इंद्र का भी हम पर आशीर्वाद, फिर बनेगी भाजपा की सरकार

पिता की तरह ही हाजिर जवाब हैं अदिति

जिस तरह पिता अखिलेश सिंह राजनीति में हाजिर जवाबी के लिए जाने जाते रहे हैं, उसी तरह बेटी अदिति सिंह भी अपनी बात रखने में बिल्कुल भी हिचकिचाती नहीं हैं. कांग्रेस पार्टी की विधायक रहते हुए भी उन्हें जब भी जो भी गलत लगा, उसके खिलाफ आवाज बुलंद की. हालांकि पिता और बेटी में एक अंतर जरूर है. पिता बाहुबली थे उन पर अलग-अलग तरह के 45 केस दर्ज थे, लेकिन बेटी का करियर अभी बेदाग है.

पार्टी लाइन से हटकर सदन में लिया था हिस्सा

अदिति सिंह जब कांग्रेस पार्टी की विधायक थीं तब भी वे भारतीय जनता पार्टी के पाले में खड़ी हुई नजर आती थीं. देश हित में क्या सही हो रहा है क्या गलत? इसे लेकर वे अपने बेबाक बयान देने से गुरेज नहीं करती थीं. फिर बयान चाहे कांग्रेस पार्टी के खिलाफ ही क्यों न चला जाए. वह कहती थीं कि उनके लिए देश पहले है और पार्टी बाद में. इतना ही नहीं दो अक्टूबर को जब भारतीय जनता पार्टी की योगी सरकार ने सदन बुलाया था तो कांग्रेस पार्टी ने पूरी तरह से बहिष्कार किया था, लेकिन अदिति सिंह पार्टी लाइन से अलग हटकर सदन में हिस्सा लेने पहुंची थीं. तभी से चर्चा तेज हो गई थी कि अब अदिति सिंह कांग्रेस में रहना नहीं चाहती हैं.

कृषि कानूनों को लेकर प्रियंका को सुनाई थी खरी-खोटी

अदिति सिंह ने कृषि कानूनों को लेकर कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी को भी जमकर खरी-खोटी सुनाई थी. उन्होंने कहा था कि जब केंद्र सरकार किसानों के हित के लिए कृषि कानून लाई थी, उस समय प्रियंका गांधी को दिक्कत हुई थी और प्रियंका गांधी लगातार नरेंद्र मोदी की सरकार को कोस रही थीं कि उनका निर्णय गलत है. जब सरकार ने इस पर गौर किया और कृषि कानून को निरस्त किया, तो भी प्रियंका गांधी को दिक्कत हो रही थी.

अदिति के मुताबिक, प्रियंका गांधी को किसानों से कोई लेना-देना नहीं है. बस अपनी घटिया राजनीति के दांव खेलने हैं. प्रियंका के पास कोई मुद्दा नहीं बचा है. वह सिर्फ राजनीति कर रही हैं. कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को लेकर भी उन्होंने बयान दिया था कि जनप्रतिनिधि को कम से कम जनता से मिलने तो आना ही चाहिए.

विदेश में ली है मैनेजमेंट की शिक्षा

कांग्रेस विधायक रहीं अदिति सिंह को पार्टी की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी का काफी करीबी माना जाता था. कहा जाता है कि प्रियंका गांधी के कहने पर ही उन्होंने कॉरपोरेट सेक्टर छोड़कर राजनीति में एंट्री ली थी. अदिति सिंह ने मंसूरी और देहरादून में पढ़ाई करने के बाद अमेरिका की ड्यूक यूनिवर्सिटी (Duke University) से मैनेजमेंट की डिग्री हासिल की और इसके बाद उनका राजनीति में पदार्पण हुआ.

यह भी पढ़ें: जेपी नड्डा व सीएम योगी का पश्चिमी जिलों का दौरा आज, घर-घर मांगेंगे वोट

इस तरह का रहा था पिता का करियर

लंबे समय से बीमार चल रहे पूर्व विधायक अदिति सिंह के पिता अखिलेश सिंह का साल 2019 में निधन (Akhilesh Singh death) हो गया था. इससे पहले उन्होंने अपनी बेटी अदिति सिंह को अपनी राजनीतिक विरासत सौंप दी थी. कांग्रेस पार्टी से राजनीति की शुरुआत करने वाले बाहुबली अखिलेश सिंह यूथ कांग्रेस के महामंत्री रहे. कांग्रेस पार्टी से अखिलेश सिंह दो बार विधायक बनकर सदन में पहुंचे. इसके बाद रायबरेली में चर्चित राकेश पांडेय हत्याकांड में इनका भी नाम आया, जिसके बाद उन्हें कांग्रेस से बाहर कर दिया गया.

बाहुबली अखिलेश सिंह लगातार निर्दलीय विधायक के तौर पर जीतते रहे. 2012 के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले अखिलेश सिंह पीस पार्टी में शामिल हो गए थे. इस दौरान वह कांग्रेस और गांधी परिवार को खूब खरी-खोटी सुनाया करते थे. प्रधानमंत्री कार्यकाल के दौरान इंदिरा गांधी जब रायबरेली गई थीं तब अखिलेश सिंह ने ही काले झंडे फहराये थे.

चुनाव के दौरान कांग्रेस पार्टी के प्रत्याशी अपना पोस्टर-बैनर तक नहीं लगा पाते थे. राकेश पांडेय हत्याकांड के बाद बहुचर्चित सैयद मोदी हत्याकांड में भी अखिलेश सिंह का नाम लिया गया. जब राजा संजय सिंह और अमिता मोदी 1990 में बरी हुए, उसके छह साल बाद 1996 में अखिलेश सिंह भी बरी हो गए. तकरीबन 45 मुकदमें होने के बावजूद जनता का विश्वास जीतने में अखिलेश सिंह हमेशा सफल रहे थे.

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लखनऊ: राजनीति में तो आपने कई बाहुबली नेताओं के नाम सुने होगें. इन्ही बाहुबली नेताओं में से एक नाम है- अखिलेश सिंह (Akhilesh Singh Bahubali). माफिया से राजनीति में कदम रखने वाले अखिलेश सिंह ऐसे नेता थे जो भाजपा की आंधी से लेकर गांधी परिवार के प्रभाव से कभी भी प्रभावित नहीं हुए. रायबरेली से वह (Akhilesh Singh Raebareli) कांग्रेस के टिकट पर दो बार माननीय बने. पीस पार्टी (Peace Party) से चुनाव लड़ने पर भी वह जीते. निर्दलीय चुनाव लड़े तब भी उन्हें कोई हरा नहीं सका. वे अपनी ज़िंदगी की जंग हारे तो कैंसर से. बाहुबली अखिलेश सिंह की बेटी (Akhilesh Singh Daughter) अदिति सिंह (Aditi Singh) अब अपने पिता के ही नक्शे कदम पर चल रही हैं.

कांग्रेस पार्टी से ही पिता अखिलेश सिंह (Akhilesh Singh Congress) ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की थी, तो वहीं बेटी ने भी कांग्रेस पार्टी से अपने राजनीतिक सफर का श्री गणेश किया. जिस तरह पिता ने कांग्रेस पार्टी से विधायक बनने के बाद पार्टी छोड़ दी थी, उसी तरह बेटी भी कांग्रेस पार्टी से साल 2017 में विधायक बनने के बाद 2022 आते-आते कांग्रेस का हाथ छोड़ बीजेपी का कमल खिलाने की कसरत में जुट गई हैं.

etv bharat
up vidhan sabha

नवंबर 2021 में अदिति सिंह कांग्रेस का साथ छोड़ बीजेपी (Aditi Singh Joins BJP) के साथ खड़ी हो गईं. भारतीय जनता पार्टी ने अदिति को रायबरेली (Aditi Singh Raebareli) की उसी सदर सीट से टिकट भी दे दिया है जिस सीट से वे कांग्रेस की विधायक रही हैं. साल 2016 में कांग्रेस ज्वाइन करने वाली अदिति 2017 में कांग्रेस पार्टी से चुनाव लड़कर जीतीं, वहीं अब 2022 में कांग्रेस पार्टी को हराने की ही कोशिश में लग गई हैं. इस बार वे भारतीय जनता पार्टी से जीतकर सदन में पहुंचना चाहती हैं.

यह भी पढ़ें: प्रियंका गांधी का यूटर्न: मैं ही चेहरा बयान पर दी सफाई


अदिति का भाजपा में जाना कांग्रेस के लिए झटका

वैसे तो रायबरेली कांग्रेस का घर माना जाता है, लेकिन यहां पर अगर बात दबदबे की करें तो रायबरेली की सदर सीट वह जगह है, जहां तकरीबन तीन दशक से अदिति सिंह के परिवार का दबदबा रहा है. उनके पिता स्वर्गीय अखिलेश सिंह कांग्रेस के लिए साल 1993 से 2007 तक विधायक रहे. इसके बाद वे पीस पार्टी से विधायक बने और निर्दलीय भी चुने गए. पिता के गुजरने के बाद बेटी 2017 में इसी रायबरेली सदर सीट से कांग्रेस के विधायक बनी और अब पिता की विरासत को आगे बढ़ाने के लिए 2022 के यूपी विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर मैदान में है. निश्चित तौर पर अदिति सिंह का कांग्रेस छोड़ बीजेपी में जाना कांग्रेस के लिए झटका माना जा रहा है.

राहुल गांधी से शादी को लेकर उड़ी थी अफवाह

साल 2018 में अदिति सिंह के सामने उस समय असहज स्थिति पैदा हो गई थी, जब उनका नाम राहुल गांधी के साथ शादी के लिए जोड़ा जाने लगा. सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर तेजी से यह अफवाह फैली. राहुल और अदिति की फोटो के साथ लोग बधाई भी देने लगे. इससे अदिति काफी परेशान हुईं. राहुल ने तो इसका खंडन नहीं किया, लेकिन अदिति सामने आईं और उन्होंने इसे कोरी अफवाह बताते हुए खंडन किया. अदिति ने अपनी सफाई में कहा था कि कर्नाटक में चुनाव होने हैं. इसीलिए इस अफवाह को फैलाया गया, जिससे कांग्रेस के कार्यकर्ताओं का ध्यान भटक जाए.

राहुल को बताया था राखी भाई

राहुल गांधी से शादी की अफवाहों के बीच जब विधायक अदिति सिंह सामने आईं, तो उन्होंने साफ तौर पर कहा था कि राहुल गांधी हमारी पार्टी के वरिष्ठ नेता हैं. हमारे मार्गदर्शक हैं. सबसे खास बात यह है कि मैं उन्हें अपने बड़े भाई जैसा मानती हूं, उनसे बहुत कुछ सीखती हूं. वह मेरे राखी भाई हैं. ऐसे में शादी का सवाल कैसे पैदा हो सकता है?

कांग्रेस विधायक अंगद सिंह से हुई है शादी

अदिति सिंह का विवाह कांग्रेस पार्टी के पंजाब के नवांशहर से कांग्रेस विधायक अंगद सिंह से हुआ है. अदिति ने बताया था कि पिता अखिलेश सिंह ने अपने जीवन काल में ही अंगद से उनकी सगाई कर दी थी. नवंबर 2019 में अदिति और अंगद सिंह की शादी हुई थी. अदिति अब भारतीय जनता पार्टी में हैं. लेकिन अंगद सिंह कांग्रेस पार्टी में ही हैं.

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पिता की तरह ही हाजिर जवाब हैं अदिति

जिस तरह पिता अखिलेश सिंह राजनीति में हाजिर जवाबी के लिए जाने जाते रहे हैं, उसी तरह बेटी अदिति सिंह भी अपनी बात रखने में बिल्कुल भी हिचकिचाती नहीं हैं. कांग्रेस पार्टी की विधायक रहते हुए भी उन्हें जब भी जो भी गलत लगा, उसके खिलाफ आवाज बुलंद की. हालांकि पिता और बेटी में एक अंतर जरूर है. पिता बाहुबली थे उन पर अलग-अलग तरह के 45 केस दर्ज थे, लेकिन बेटी का करियर अभी बेदाग है.

पार्टी लाइन से हटकर सदन में लिया था हिस्सा

अदिति सिंह जब कांग्रेस पार्टी की विधायक थीं तब भी वे भारतीय जनता पार्टी के पाले में खड़ी हुई नजर आती थीं. देश हित में क्या सही हो रहा है क्या गलत? इसे लेकर वे अपने बेबाक बयान देने से गुरेज नहीं करती थीं. फिर बयान चाहे कांग्रेस पार्टी के खिलाफ ही क्यों न चला जाए. वह कहती थीं कि उनके लिए देश पहले है और पार्टी बाद में. इतना ही नहीं दो अक्टूबर को जब भारतीय जनता पार्टी की योगी सरकार ने सदन बुलाया था तो कांग्रेस पार्टी ने पूरी तरह से बहिष्कार किया था, लेकिन अदिति सिंह पार्टी लाइन से अलग हटकर सदन में हिस्सा लेने पहुंची थीं. तभी से चर्चा तेज हो गई थी कि अब अदिति सिंह कांग्रेस में रहना नहीं चाहती हैं.

कृषि कानूनों को लेकर प्रियंका को सुनाई थी खरी-खोटी

अदिति सिंह ने कृषि कानूनों को लेकर कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी को भी जमकर खरी-खोटी सुनाई थी. उन्होंने कहा था कि जब केंद्र सरकार किसानों के हित के लिए कृषि कानून लाई थी, उस समय प्रियंका गांधी को दिक्कत हुई थी और प्रियंका गांधी लगातार नरेंद्र मोदी की सरकार को कोस रही थीं कि उनका निर्णय गलत है. जब सरकार ने इस पर गौर किया और कृषि कानून को निरस्त किया, तो भी प्रियंका गांधी को दिक्कत हो रही थी.

अदिति के मुताबिक, प्रियंका गांधी को किसानों से कोई लेना-देना नहीं है. बस अपनी घटिया राजनीति के दांव खेलने हैं. प्रियंका के पास कोई मुद्दा नहीं बचा है. वह सिर्फ राजनीति कर रही हैं. कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को लेकर भी उन्होंने बयान दिया था कि जनप्रतिनिधि को कम से कम जनता से मिलने तो आना ही चाहिए.

विदेश में ली है मैनेजमेंट की शिक्षा

कांग्रेस विधायक रहीं अदिति सिंह को पार्टी की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी का काफी करीबी माना जाता था. कहा जाता है कि प्रियंका गांधी के कहने पर ही उन्होंने कॉरपोरेट सेक्टर छोड़कर राजनीति में एंट्री ली थी. अदिति सिंह ने मंसूरी और देहरादून में पढ़ाई करने के बाद अमेरिका की ड्यूक यूनिवर्सिटी (Duke University) से मैनेजमेंट की डिग्री हासिल की और इसके बाद उनका राजनीति में पदार्पण हुआ.

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इस तरह का रहा था पिता का करियर

लंबे समय से बीमार चल रहे पूर्व विधायक अदिति सिंह के पिता अखिलेश सिंह का साल 2019 में निधन (Akhilesh Singh death) हो गया था. इससे पहले उन्होंने अपनी बेटी अदिति सिंह को अपनी राजनीतिक विरासत सौंप दी थी. कांग्रेस पार्टी से राजनीति की शुरुआत करने वाले बाहुबली अखिलेश सिंह यूथ कांग्रेस के महामंत्री रहे. कांग्रेस पार्टी से अखिलेश सिंह दो बार विधायक बनकर सदन में पहुंचे. इसके बाद रायबरेली में चर्चित राकेश पांडेय हत्याकांड में इनका भी नाम आया, जिसके बाद उन्हें कांग्रेस से बाहर कर दिया गया.

बाहुबली अखिलेश सिंह लगातार निर्दलीय विधायक के तौर पर जीतते रहे. 2012 के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले अखिलेश सिंह पीस पार्टी में शामिल हो गए थे. इस दौरान वह कांग्रेस और गांधी परिवार को खूब खरी-खोटी सुनाया करते थे. प्रधानमंत्री कार्यकाल के दौरान इंदिरा गांधी जब रायबरेली गई थीं तब अखिलेश सिंह ने ही काले झंडे फहराये थे.

चुनाव के दौरान कांग्रेस पार्टी के प्रत्याशी अपना पोस्टर-बैनर तक नहीं लगा पाते थे. राकेश पांडेय हत्याकांड के बाद बहुचर्चित सैयद मोदी हत्याकांड में भी अखिलेश सिंह का नाम लिया गया. जब राजा संजय सिंह और अमिता मोदी 1990 में बरी हुए, उसके छह साल बाद 1996 में अखिलेश सिंह भी बरी हो गए. तकरीबन 45 मुकदमें होने के बावजूद जनता का विश्वास जीतने में अखिलेश सिंह हमेशा सफल रहे थे.

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