लखनऊ: बीते रविवार को कानपुर से झकझोर देने वाली खबर सामने आई, जहां शेल्टर होम में 57 लड़कियां कोरोना पॉजिटिव पाई गईं. वहीं 7 नाबालिक लड़कियां प्रेग्नेंट भी मिलीं, जिनमें से 5 लड़कियां कोरोना पॉजिटिव हैं. इस मामले पर ऑल इंडिया मुस्लिम वुमेन पर्सनल लॉ बोर्ड की अध्यक्ष शाइस्ता अंबर ने केंद्र और प्रदेश सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि ऐसी घटनाओं से 'बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ' का नारा शर्मसार हो रहा है.
शेल्टर होम का जब जिक्र होता है तो हमारे जेहन में कुछ घटनाओं की याद ताजा हो जाती हैं. जैसे बिहार का मुजफ्फरपुर कांड, उत्तर प्रदेश का देवरिया और हरदोई साथ ही कई अन्य. वहीं एक नया शेल्टर होम का मामला उत्तर प्रदेश के कानपुर से रविवार को सामने आया है. इसमें 57 लड़कियां कोरोना पॉजिटिव पाई गईं, 7 नाबालिग लड़कियां प्रेग्नेंट हैं, जिनमें से 5 कोरोना पॉजिटिव हैं. वहीं एक लड़की एचआईवी पॉजिटिव है. साथ ही एक अन्य लड़की हेपेटाइटिस सी से ग्रसित है.
शेल्टर होम की घटना पर उठाए सवाल
एक बार फिर से इस दिल दहला देने वाली घटना ने लोगों को झकझोर दिया. इस मामले पर ऑल इंडिया मुस्लिम वूमेन पर्सनल लॉ बोर्ड की अध्यक्ष और समाजसेवी शाइस्ता अंबर ईटीवी भारत से बात की. उन्होंने बताया कि ऐसी घटनाएं नई नहीं है, पहले से ही यह सब होता आ रहा है. शेल्टर होम में भी अगर बच्चियां और महिलाएं सुरक्षित नहीं रहेंगी तो कहां रहेंगी?
अधिकारियों का बयान शर्मनाक
शाइस्ता अंबर ने कहा कि कानपुर के जिम्मेदार अधिकारी के द्वारा दिए गए बयान काफी शर्मनाक है. पहले ही मासूम बच्चियां हैवानियत का शिकार है, ऊपर से ऐसी बयानबाजी उन बच्चियों के लिए बिल्कुल भी शोभा नहीं देती. केंद्र सरकार द्वारा दिया गया 'बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ' का नारा भी खोखला साबित होता दिखाई दे रहा है.
सुप्रीम कोर्ट से दखल की मांग की
ऐसे में बस एक ही उम्मीद बची है कि सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश केंद्र और सभी राज्यों की सरकारों को देशभर में बने शेल्टर होम की निष्पक्ष जांच के आदेश दें, जिससे महिलाओं और बच्चियों के साथ हो रही शेल्टर होम में घटनाओं पर काबू पाया जा सके. कानपुर की शेल्टर होम की घटना ने एक बार फिर से लोगों को सोचने पर मजबूर कर दिया है. शेल्टर होम में महिलाओं और नाबालिग बच्चियों को सुरक्षा के लिए भेजा जाता है. ऐसे में शेल्टर होम में उनके सुरक्षा पर सवालिया निशान भी खड़े हो रहे हैं.
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