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'एक्यूपंक्चर दुनिया की सबसे सुरक्षित चिकित्सा पद्धति, लोगों में बढ़नी चाहिए जागरूकता'

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Published : Dec 1, 2019, 4:55 PM IST

राजधानी लखनऊ में एक्यूपंक्चर एसोसिएशन ऑफ इंडिया के तत्वाधान में पहला अंतरराष्ट्रीय सिंपोजियम आयोजित किया गया. इस कार्यक्रम में करीब 8 देश के विशेषज्ञों ने हिस्सा लिया.

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दुनिया की सबसे सुरक्षित चिकित्सा पद्धति है एक्यूपंचर.

लखनऊ: एक्यूपंक्चर एसोसिएशन ऑफ इंडिया के तत्वावधान में शनिवार गोमती नगर स्थित एक होटल में सातवां नेशनल एक्यूपंक्चर और पहला अंतरराष्ट्रीय सिंपोजियम आयोजित किया गया. इस दो दिवसीय आयोजन में भारत के तमाम प्रदेशों से करीब 300 एक्यूपंक्चर विशेषज्ञों ने प्रतिभाग किया.

जानकारी देते डॉक्टर.
पहले अंतरराष्ट्रीय सिंपोजियम का आयोजन
एक्यूपंक्चर एसोसिएशन ऑफ इंडिया के द्वारा किए गए एक्यूपंक्चर सिंपोजियम में तमाम डॉक्टरों ने इस बारे में जानकारी दी. डॉक्टर नीलेश पटेल ने बताया कि एक्यूपंक्चर चिकित्सा पद्धति सबसे सुरक्षित इलाज का तरीका है.

एक्यूपंक्चर एसोसिएशन ऑफ इंडिया पिछले 37 वर्षों से भारत में कार्यरत है. पूरे भारत में लगभग डेढ़ हजार सदस्य इससे जुड़े हुए हैं.

सिंपोजियम का उद्देश्य एक्यूपंक्चर के चिकित्सा के क्षेत्र में विशेषज्ञ जो भी काम कर रहे हैं.वह आम लोगों तक पहुंचे और लोगों को पता चले कि इसके फायदे अधिक हैं और साइड इफेक्ट बिल्कुल नहीं हैं.

सिंपोजियम में आए एक्यूपंक्चर एसोसिएशन ऑफ इंडिया के प्रेसिडेंट डॉ. एम गंटैत ने बताया कि डॉ. विजय कुमार बासु ने 1959 में एक्यूपंक्चर को भारत में प्रचारित किया था. इस वर्ष वह 60 के वर्ष पूरे हो जाएंगे, जो कि हमारे लिए गर्व की बात है.

एक्यूपंक्चर एक 5000 साल पुरानी हमारी पारंपरिक चिकित्सा पद्धति है. इसके बारे में भी पता लगा सकते हैं कि इस चिकित्सा पद्धति में ऐसी कौन सी नई तकनीक आई है, जिससे मरीजों का इलाज बेहतर तरीके से किया जा सकता है.

इस चिकित्सा पद्धति में सुई से मरीजों का इलाज किया जाता था, जो कि आज भी किया जाता है. इसके साथ ही अब एक नई तकनीक भी आ गई है, जो कि काफी हद तक सफल साबित हो रही है .मरीजों को भी इससे एक्यूपंक्चर चिकित्सा पद्धति के प्रति विश्वसनीयता जगी है.

लखनऊ: एक्यूपंक्चर एसोसिएशन ऑफ इंडिया के तत्वावधान में शनिवार गोमती नगर स्थित एक होटल में सातवां नेशनल एक्यूपंक्चर और पहला अंतरराष्ट्रीय सिंपोजियम आयोजित किया गया. इस दो दिवसीय आयोजन में भारत के तमाम प्रदेशों से करीब 300 एक्यूपंक्चर विशेषज्ञों ने प्रतिभाग किया.

जानकारी देते डॉक्टर.
पहले अंतरराष्ट्रीय सिंपोजियम का आयोजन
एक्यूपंक्चर एसोसिएशन ऑफ इंडिया के द्वारा किए गए एक्यूपंक्चर सिंपोजियम में तमाम डॉक्टरों ने इस बारे में जानकारी दी. डॉक्टर नीलेश पटेल ने बताया कि एक्यूपंक्चर चिकित्सा पद्धति सबसे सुरक्षित इलाज का तरीका है.

एक्यूपंक्चर एसोसिएशन ऑफ इंडिया पिछले 37 वर्षों से भारत में कार्यरत है. पूरे भारत में लगभग डेढ़ हजार सदस्य इससे जुड़े हुए हैं.

सिंपोजियम का उद्देश्य एक्यूपंक्चर के चिकित्सा के क्षेत्र में विशेषज्ञ जो भी काम कर रहे हैं.वह आम लोगों तक पहुंचे और लोगों को पता चले कि इसके फायदे अधिक हैं और साइड इफेक्ट बिल्कुल नहीं हैं.

सिंपोजियम में आए एक्यूपंक्चर एसोसिएशन ऑफ इंडिया के प्रेसिडेंट डॉ. एम गंटैत ने बताया कि डॉ. विजय कुमार बासु ने 1959 में एक्यूपंक्चर को भारत में प्रचारित किया था. इस वर्ष वह 60 के वर्ष पूरे हो जाएंगे, जो कि हमारे लिए गर्व की बात है.

एक्यूपंक्चर एक 5000 साल पुरानी हमारी पारंपरिक चिकित्सा पद्धति है. इसके बारे में भी पता लगा सकते हैं कि इस चिकित्सा पद्धति में ऐसी कौन सी नई तकनीक आई है, जिससे मरीजों का इलाज बेहतर तरीके से किया जा सकता है.

इस चिकित्सा पद्धति में सुई से मरीजों का इलाज किया जाता था, जो कि आज भी किया जाता है. इसके साथ ही अब एक नई तकनीक भी आ गई है, जो कि काफी हद तक सफल साबित हो रही है .मरीजों को भी इससे एक्यूपंक्चर चिकित्सा पद्धति के प्रति विश्वसनीयता जगी है.

Intro:लखनऊ। एक्यूपंचर एसोसिएशन ऑफ इंडिया के तत्वावधान में शनिवार को गोमती नगर के एक निजी होटल में सातवा नेशनल एक्यूपंचर और पहला अंतरराष्ट्रीय सिंपोजियम आयोजित किया गया इस दो दिवसीय आयोजन में भारत के तमाम प्रदेशों से लगभग 300 एक्यूपंचर विशेषज्ञों ने प्रतिभाग किया।



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एक्युपंचर एसोसिएशन ऑफ इंडिया के द्वारा किए गए एक्यूपंचर सिंपोजियम और सेमिनार में तमाम डॉक्टरों ने स्पेशल पर जानकारी दी इस बारे में डॉक्टर नीलेश पटेल ने बताया कि एक्यूपंचर चिकित्सा पद्धति का सबसे सुरक्षित इलाज है। एक्युपंचर एसोसिएशन ऑफ इंडिया पिछले 37 वर्षों से भारत में कार्यरत हैं। पूरे भारत में लगभग डेढ़ हजार सदस्य से जुड़े हुए हैं। इन सदस्यों में सभी डॉक्टर्स भारत के रिकॉग्नाइज्ड चिकित्सा पद्धति से जुड़े हुए हैं। सिंपोजियम का उद्देश्य है ताकि एक्यूपंचर के चिकित्सा के क्षेत्र में विशेषज्ञ जो भी काम कर रहे हैं, वह आम लोगों तक पहुंचे और लोगों को पता चले कि इसके फायदे अधिक हैं और साइड इफेक्ट बिल्कुल नहीं है। इसके अलावा यहां पर आए विशेषज्ञों ने एक कुछ शोध पत्र भी प्रस्तुत किए ताकि इस चिकित्सा पद्धति में आ रही नई चीजों के बारे में भी अन्य लोगों को जानकारी मिले।

सिंपोजियम में आए एसोसिएशन ऑफ इंडिया के प्रेसिडेंट डॉ एम गंटैत ने बताया कि डॉ विजय कुमार बासु ने 1959 में एक्यूपंचर को भारत में इंट्रोड्यूस किया था इस वर्ष के उम्र 60 वर्ष पूरे हो जाएंगे या हमारे लिए गर्व की बात है उन्होंने बताया कि किचन में काम कर रहे तमाम विशेषज्ञों से बातचीत करने का एक तरीका है जिसे नई जानकारियां सामने आए। एक पंचर एक 5000 साल पुरानी हमारी पारंपरिक चिकित्सा पद्धति है इसके बारे में भी पता लगा सकते हैं कि इस चिकित्सा पद्धति में ऐसी कौन सी नई तकनीक आई है जिससे मरीजों का इलाज बेहतर तरीके से कर सकते हैं चिकित्सा पद्धति में सुई से मरीजों का इलाज किया जाता था जो आज भी किया जाता है इसके साथ ही अब एक भी आ गई है जिससे काफी हद तक सफल साबित हो रहा है कि मरीजों को भी इससे एक्यूपंचर चिकित्सा पद्धति के प्रति विश्वसनीयता जागी है।


Conclusion:सातवें नेशनल और पहले अंतरराष्ट्रीय एक्यूपंचर सिंपोजियम में पूरी दुनिया भर से लगभग 8 देशों के विशेषज्ञ, जो एक्यूपंचर पद्धति का इस्तेमाल कर रहे हैं, वह इसमें शामिल हुए। इस सिंपोजियम में जयपुर, चेन्नई, तिरुपति, लखनऊ, उत्तराखंड, कोलकाता समेत स्पेन, रशिया, नेपाल जैसे देशों के एक्यूपंचर स्पेशलिस्ट भी मौजूद रहे।

बाइट- डॉ नीलेश पटेल
बाइट- डॉ एम गंटैत

रामांशी मिश्रा
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