लखनऊः उत्तर प्रदेश के परिवहन राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) दयाशंकर सिंह ने कहा है कि ड्राइविंग लाइसेंस और आरसी में हो रही देरी पर उपभोक्ता डिजिलॉकर या एम परिवहन ऐप पर उपलब्ध वाहनों के अभिलेखों को क्षेत्रीय पुलिस और परिवहन विभाग के अधिकारियों को दिखा सकता है. निर्देश दिए कि क्षेत्रीय पुलिस और परिवहन विभाग के अधिकारी ऐसे उपभोक्ताओं को भौतिक डीएल व आरसी दिखाने के लिए बाध्य नहीं करेंगे. उन्होंने कहा कि डिजिलॉकर एम परिवहन ऐप पर उपलब्ध वाहनों के अभिलेख ही वैध माने जाएंगे, जब तक भौतिक डीएल या आरसी आवेदक को न मिल जाए. परिवहन मंत्री मंगलवार को समीक्षा बैठक कर रहे थे.
उन्होंने 14 मण्डलीय जनपदों में बन रहे ड्राइविंग ट्रेनिंग टेस्टिंग इंस्टीट्यूट (डीटीटीआई) के ऑटोमेशन व संचालन के लिए देश की महानिर्माता कंपनियों के प्रतिनिधियों एवं विभागीय अधिकारियों के साथ परिवहन निगम मुख्यालय पर बैठक की. देश के प्रतिष्ठित कंपनियों के प्रतिनिधियों से निर्माणाधीन 14 डीटीटीआई सेंटरों के ट्रैक ऑटोमेशन और ऑपरेशन सीएसआर फण्ड के माध्यम से स्वयं करने का अनुरोध किया. परिवहन मंत्री ने कहा कि देश और प्रदेश में हो रही सड़क दुर्घटनाएं एक गंभीर विषय है. सरकार के साथ-साथ हम सभी का यह दायित्व है कि हम इन दुर्घटनाओं को रोकने में सरकार का सहयोग करें.
उन्होंने कहा कि परिवहन विभाग डीटीटीआई सेंटर बनाकर ट्रैक ऑटोमेशन व संचालन के लिए इच्छुक कम्पनियों को सौंपेगा. सिमुलेटर ट्रैक का ऑटोमेशन ट्रेनिंग वाहन (एलएमवी, बस व ट्रक) की व्यवस्था कंपनी को सीएसआर फण्ड के माध्यम से करना होगा. अशोक लीलैंड कंपनी के प्रतिनिधि ने बताया कि मुजफ्फरनगर और मेरठ के लिए प्रस्ताव दिया है. बजाज कम्पनी के प्रतिनिधि ने बताया कि अयोध्या और गोरखपुर के लिए उन्होंने प्रस्ताव दिया है.
परिवहन मंत्री ने बताया कि प्रदेश में हो रही दुर्घटनाओं को रोकने के लिए यह बैठक बुलाई गई है. उन्होंने कहा कि ट्रेनिंग की गुणवत्ता के लिए सरकार प्रतिष्ठित कंपनियों को विभाग से जोड़ना चाहती है. बैठक में प्रमुख सचिव परिवहन व एमडी परिवहन निगम वेंकटेश्वर लू, परिवहन आयुक्त चन्दभूषण सिंह के आलावा अन्य विभागीय अधिकारी उपस्थित थे.