लखनऊ: उत्तर प्रदेश के डीजीपी यानी डायरेक्टर जनरल ऑफ पुलिस (Director General Of Police) हितेश चंद्र अवस्थी (Hitesh Chandra Awasthi) आगामी 30 जून 2021 को सेवानिवृत हो रहे हैं. डीजीपी के सेवा विस्तार की बात उठी थी, लेकिन खुद डीजीपी ने सेवा विस्तार से इनकार कर दिया. अब नए पुलिस महानिदेशक का नाम फाइनल करने पर मंथन शुरू हो गया है. इसके लिए 29 जून को लोक सेवा आयोग नई दिल्ली में एक बैठक होगी. इस बैठक में उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव राजेंद्र कुमार तिवारी (Uttar Pradesh Chief Secretary Rajendra Kumar Tiwari) भी शामिल होंगे. बैठक में उत्तर प्रदेश के नए डीजीपी का नाम फाइनल करने के लिए एक कमेटी गठित होगी. लोक सेवा आयोग (Public Service Commission) तीन अफसरों की कमेटी गठित करेगा. यह कमेटी ही डीजीपी का नाम तय करेगी.
उत्तर प्रदेश में 2022 के पूर्व विधानसभा चुनाव से कुछ समय पहले ही उत्तर प्रदेश को नया डीजीपी भी मिलेगा. नए डीजीपी के सामने चुनाव के साथ ही उत्तर प्रदेश की कानून-व्यवस्था (UP Law and Order) को दुरुस्त रखने की भी चुनौती होगी. डीजीपी हितेश चंद्र अवस्थी 1985 बैच के आईपीएस हैं. इनके बाद केंद्र सरकार में प्रतिनियुक्ति पर तैनात अरुण कुमार हैं. वह भी 30 जून को रिटायर हो रहे हैं. 1986 बैच के आईपीएस अफसर नासिर कमाल, 1987 बैच के आईपीएस अफसर मुकुल गोयल, डॉ. आरपी सिंह, विश्वजीत महापात्रा, गोपाल लाल मीणा के अलावा 1988 बैच के आरके विश्वकर्मा, डीएस चौहान, अनिल कुमार अग्रवाल और आनंद कुमार का नाम नए डीजीपी की रेस में सबसे ऊपर है.
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नासिर कमाल इस वक्त केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर हैं और जुलाई 2022 में उनका रिटायरमेंट है. सरकार उन्हेंं केंद्रीय प्रतिनियुक्ति से बुलाने के मूड़ में नहीं दिख रही है. इसी कारण से डीजीपी की कुर्सी के लिए उनका नाम बाहर माना जा रहा है.
कमेटी में भारत सरकार के गृह सचिव भी
राज्य सरकार की तरफ से यूपीएससी को डीजीपी के लिए चुने गए आईपीएस अफसरों की लिस्ट भेज दी गई है. अब यूपीएससी की कमेटी इस लिस्ट में शामिल सभी अफसरों के नामों पर मंथन करेगी. कमेटी में भारत सरकार के गृह सचिव भी शामिल होते हैं.
योगी सरकार में चौथे DGP की तलाश
उत्तर प्रदेश में 2017 से योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद से तीन डीजीपी अब तक काम कर चुके हैं. सुलखान सिंह के बाद में ओपी सिंह ने डीजीपी के रूप में कार्यभार संभाला और फिलहाल हितेश चंद्र अवस्थी 30 जून तक पद पर रहेंगे. अब उत्तर प्रदेश को चौथे पुलिस महानिदेशक की तलाश है.
ये हैं प्रमुख दावेदार
1- मुकुल गोयल
प्रबल दावेदार 1987 बैच के मुकुल गोयल केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर बीएसएफ के डीजी हैं. उनका रिटायरमेंट फरवरी 2024 को है. मुकुल गोयल के लिए जोरदार लॉबिंग भी हो रही है. वे सरकार के भी विश्वास पात्र माने जाते हैं.
2- आरपी सिंह
तीसरा नाम डीजी ईओडब्ल्यू (आर्थिक अपराध शाखा) और एसआईटी के पद पर तैनात वर्ष 1987 बैच के अफसर आरपी सिंह का है. बीते दो सालों के दौरान ईओडब्ल्यू और एसआईटी की कई अहम जांचों में ताबड़तोड़ कार्रवाई करके चर्चा में आए आरपी सिंह इस कुर्सी के अहम दावेदारों में से एक हैं. इनकी तैनाती से पहले ये दोनों ही इकाइयां लगभग निष्क्रिय पड़ी हुई थीं और जांचें लंबे समय से अटकी हुई थीं. पावर कारपोरेशन, पीएफ घोटाला, बाइक बोट घोटाला, सहकारिता भर्ती घोटाला, मदरसों में फर्जीवाड़ा जैसी जांचों में इनकी तेज कार्रवाई नजीर बनी. आरपी सिंह का फरवरी 2023 में रिटायरमेंट है.
3- आरके विश्वकर्मा
दावेदारों में छठे नंबर पर डीजी भर्ती बोर्ड आरके विश्वकर्मा का नाम है. वर्ष 1988 बैच के आरके विश्वकर्मा का मई 2023 में रिटायरमेंट है. तेजतर्रार अफसरों में इनकी गिनती की जाती है. 112 यूपी प्रॉजेक्ट को जमीन पर उतारने में इनकी भी अहम भूमिका रही है. सरकार की जातीय समीकरण की राजनीति के लिहाज से भी इनकी दावेदारी टॉप-5 अफसरों में आती है.
4- डॉ. देवेंद्र सिंह चौहान
दावेदारों में सातवें नंबर पर इसी बैच के अफसर डॉ. देवेंद्र सिंह चौहान हैं. वर्तमान में डीजी इंटेलिजेंस के पद पर तैनात हैं. इनका रिटायरमेंट मार्च 2023 में होना है. सरकार अगर वरिष्ठता को अनदेखा करती है तो टॉप फाइव दावेदारों में इनका भी नंबर है.
5-अनिल कुमार अग्रवाल
आठवें नंबर पर वर्ष 1988 बैच के आईपीएस अनिल कुमार अग्रवाल की दावेदारी है. ये वर्तमान में केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर हैं और मिनिस्ट्री ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज में तैनात हैं. हाल ही में इनका सचिव स्तर पर केंद्र में इम्पैनलमेंट हुआ है. सपा सरकार में इनकी ही देख रेख में 112 यूपी प्रॉजेक्ट जमीन पर आया. लंबे समय तक वह एडीजी डायल 100 के पद पर रहे. अप्रैल 2023 में इनका रिटायरमेंट है.
6- आनंद कुमार
दावेदारों में आखिरी नंबर पर नाम है डीजी जेल आनंद कुमार का. वर्ष 1988 बैच के आईपीएस आनंद अप्रैल 2024 में रिटायर होंगे. दावेदारों में सबसे ज्यादा समय इनके पास ही है. कई मामलों के लिए बदनाम यूपी की जेलों को सुधारने के लिए इन्होंने बड़े पैमाने पर काम किया है. वर्तमान सरकार में लंबे समय तक एडीजी कानून एवं व्यवस्था के पद पर रहते हुए कानून व्यवस्था को पटरी पर लाने में इनकी अहम भूमिका रही. दावेदारों में टॉप फाइव में इनकी चर्चा है.