लखनऊः खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन के ने कई खाद्य उत्पादों की जांच की, जिसमें पीने के पानी में मिसब्रांडिग की समस्या सामने आई है. अपर मुख्य सचिव अनीता भटनागर जैन ने लोगों से अपील की है कि बोतलबंद पीने का पानी खरीदते समय पैकिंग पर छपे उत्पादन और उपभोग अवधि पर अवश्य ध्यान दें.
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खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग ने पिछले महीने उत्तर प्रदेश में पीने का पानी, कोल्ड ड्रिंक, दूध और दूध से बने उत्पादों के नमूना संकलन किया गया. अपर मुख्य सचिव ने शुक्रवार को बताया कि कुल 1601 नमूने लिए गए जिनमें से 155 पैकेज्ड ड्रिंकिंग वाटर के थे. आइसक्रीम व कुल्फी के 285 कोल्ड ड्रिंक के 35 दुग्ध उत्पाद से संबंधित 691 और अन्य 46 थे.
सभी जिलों से इकट्ठा किए गए नमूनों का विश्लेषण 6 प्रयोगशालाओं में कराया गया और जो परिणाम आए हैं उसके अनुसार, 53.6 फीसदी पेय पदार्थ अधोमानक यानी घटिया पाए गए हैं. 3.4 फ़ीसदी असुरक्षित की श्रेणी में मिले हैं. पीने का बोतल बंद पानी 65.6 फीसदी मिसब्राण्ड मिला है यानी बोतलबंद पीने के पानी पर उत्पादन और उपभोग की जो अवधि दर्ज है, वह बीत जाने के बाद भी उसे बेचा जा रहा था. 2.6 प्रतिशत पीने के पानी के नमूने अधोमानक यानी घटिया पाए गए हैं.
आइस्क्रीम और कुल्फी भी मिले घटिया
इसी तरह आइसक्रीम कुल्फी के नमूनों में 57.5 फीसदी घटिया और 9.1 फीसदी असुरक्षित मिले हैं. कोल्ड ड्रिंक के 31.2 प्रतिशत मामले मिस ब्रांड और 22.7% मामलों में घटिया क्वालिटी पाई गई है. दूध और दूध से बने उत्पाद में 66.3 फीसदी घटिया और 2.3% असुरक्षित मिले हैं.
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अभियान के तहत 57200 किग्रा. खाद्य पदार्थ जप्त भी किए गए. जो सैंपल असुरक्षित पाए गए हैं, उनके खाद्य पदार्थों के संबंध में मुकदमा दर्ज कर कारावास की सजा दिलाई जाती है. जबकि घटिया और मिस ब्रांड मामलों में खाद्य सुरक्षा अधिनियम की धारा 59 (1) के तहत जुर्माने की कार्रवाई की जाती है.