लखनऊ : जिला कलेक्ट्रेट और तहसीलों में चतुर्थ श्रेणी कर्मियों के भर्ती घोटाले में आईएएस अधिकारी समेत पांच अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया है. वहीं नियम विरुद्ध नियुक्त किए गए करीब चार हजार संविदा कर्मियों को बर्खास्त किए जाने के आदेश दिए गए हैं. भर्ती घोटाले में प्रथम दृष्टया दोषी पाए गए उत्तर प्रदेश लघु उद्योग निगम के तत्कालीन आईएएस प्रबंध निदेशक केदारनाथ सिंह सहित निगम और राजस्व परिषद के पांच अफसर शामिल हैं. दोषी अधिकारियों और संबंधित संस्थाओं को ब्लैक लिस्ट कर उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने और सतर्कता जांच के भी निर्देश दिए गए हैं.
- तहसील और कलेक्ट्रेट में चतुर्थ श्रेणी के पदों को भरने में नियमों का उल्लंघन कर अभ्यर्थियों से धन उगाही करके नियुक्ति पत्र जारी करने की शिकायतों पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कृषि उत्पादन आयुक्त प्रभात कुमार को जांच सौंपी थी.
- 30 अप्रैल को सेवानिवृत्त होने से पहले प्रभात कुमार ने शासन को जांच रिपोर्ट दे दी थी.
- एपीसी की जांच में भर्ती घोटाले का खुलासा होने पर मुख्यमंत्री ने दोषी अफसरों और संस्थाओं के खिलाफ कड़ी कार्रवाई के निर्देश दिए हैं.
- भर्ती के लिए प्रथम दृष्टया दोषी पाए गए लघु उद्योग निगम के तत्कालीन प्रबंध निदेशक केदारनाथ सिंह को निलंबित किया गया है.
- सिंह वर्तमान में पर्यटन विभाग में विशेष सचिव के पद पर कार्यरत हैं. इनके साथ ही राजस्व परिषद के उप भूमि व्यवस्था आयुक्त सुनील कुमार चौधरी, लेखा अधिकारी प्रदीप कुमार, उप प्रबंधक लेखा केएन अवस्थी, प्रबंधक मैन पावर राजीव त्रिपाठी को भी निलंबित किया गया है.
इन संस्थाओं को ब्लैक लिस्ट किया गया
- राज्य सरकार ने भर्ती घोटाले में संस्थाओं को भी ब्लैक लिस्ट किया है. इनमें मेसर्स आरएमएस टेक्नोसोल्यूशन (इंडिया) प्राइवेट लिमिटेड, मैसर्स एवीएसएम सिक्योरिटी एंड आउटसोर्सिंग प्राइवेट लिमिटेड, मैसर्स नाइस बिल्डर्स एंड कांट्रैक्टर्स, मैसर्स केबल ई सॉल्यूशन प्राइवेट लिमिटेड, मैसर्स राज इंडस्ट्रियल सिक्योरिटी सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड और मैं सर्च सिल्क आन हेल्थ केयर प्राइवेट लिमिटेड को ब्लैक लिस्ट कर दिया गया है.