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यूपी में एईएस रोगियों में 48 फीसदी और इससे मौत में 35 फीसदी की आई कमी

यूपी में संक्रामक बीमारियों के नियंत्रण एवं रोकथाम में भारी सफलता मिली है. इस साल एईएस रोगियों में 48 प्रतिशत और इस बीमारी से होने वाली मौत में 35 प्रतिशत की कमी आई है. वहीं इस पर सीएम योगी ने संतोष व्यक्त किया है.

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यूपी में एईएस रोगियों में 48 फीसदी कमी
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Published : Aug 25, 2020, 4:32 PM IST

लखनऊ: उत्तर प्रदेश को संक्रामक बीमारियों के नियंत्रण एवं रोकथाम में भारी सफलता मिली है. पिछले साल अगस्त की तुलना में इस वर्ष अगस्त में एईएस रोगियों में 48 प्रतिशत और इस बीमारी से होने वाली मौत में 35 प्रतिशत की कमी आई है. इसके साथ ही जेई के रोगियों में 38, मलेरिया के रोगियों में 31, डेंगू के रोगियों में 23 और कालाजार के रोगियों में 74 प्रतिशत की गिरावट पाई गई है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने संक्रामक रोगों के नियंत्रण में मिली सफलता पर संतोष व्यक्त करते हुए इस कार्य को और तेजी से जारी रखने के निर्देश दिए हैं.

यह इसलिए संभव हो सका क्योंकि संक्रामक बीमारियों को रोकने के लिए प्रदेश में विशेष अभियान चलाये गए हैं. वर्ष 2018 के समान वर्ष 2019 में तीन चरणों में, वर्ष 2020 में पुनः दो चरणों में एक माह का विशेष संचारी रोग नियंत्रण एवं 15 दिवसीय दस्तक अभियान चलाया गया. इसके अंतर्गत अंतर्विभागीय गतिविधियों, जन जागरूकता, प्रचार प्रसार की कार्रवाई के फलस्वरुप 2018 की तुलना में वर्ष 2019, वर्ष 2020 में प्रदेश में मस्तिष्क ज्वर (एईएस/जेई) के रोगियों एवं रोग के कारण हुई मृत्यु की संख्या में कमी आई है. वृहद जेई विशेष टीकाकरण अभियान के फलस्वरूप पुष्ट जेई रोगियों की संख्या में भी कमी देखने को मिली है.

कोरोना काल में भी जुलाई में विशेष संचारी रोग अभियान चलाया गया. ग्राम प्रधानों की अध्यक्षता में 56 हजार से अधिक ग्राम सभाओं एवं 74 हजार से अधिक ग्राम स्वास्थ्य पोषण तथा स्वच्छता समिति की बैठकें की गईं. अभियान के दौरान एक लाख 34 हजार से अधिक ग्रामों में खरपतवार की कटाई की गई. शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में दो लाख से अधिक नालियों की सफाई की गई.

पेयजल की उपलब्धता को देखते हुए 61 हजार से अधिक इंडिया मार्का-II हैंडपंपों एवं 28 हजार से अधिक उनके प्लेटफार्म की मरम्मत की गई. एक हजार से अधिक कुपोषित बच्चों को चिन्हित कर पोषण पुनर्वास केंद्रों पर संदर्भित किया गया. शहरी क्षेत्रों में 8 हजार 800 से अधिक वार्डों में फॉगिंग कराई गई. पशुपालन तथा कृषि विभाग द्वारा सूकर पालन के संवेदीकरण एवं चूहे, छछूंदरों पर नियंत्रण के लिए 33 हजार एवं 61 हजार से अधिक बैठकों का आयोजन किया गया. स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत एक लाख 41 हजार से अधिक स्वच्छ शौचालयों का निर्माण कराया गया.

जुलाई में दस्तक अभियान के बारे में बताया गया कि आशा बहुओं द्वारा 20 लाख से अधिक घरों का भ्रमण किया गया. इस दौरान एईएस, जेई वेक्टर जनित रोग एवं कोविड-19 से बचाव रोकथाम एवं उपचार के संबंध में प्रचार-प्रसार किया गया. एक लाख 77 हजार से अधिक मातृत्व बैठकों का आयोजन किया गया. एईएस रोग पर चर्चा के लिए 76 हजार से अधिक ग्रामीण स्वास्थ्य एवं पोषण दिवस की बैठक की गई. स्वच्छ पेयजल के उपयोग के लिए दो लाख 37 हजार से अधिक क्लोरिनेशन डेमो आयोजित किए गए.

लखनऊ: उत्तर प्रदेश को संक्रामक बीमारियों के नियंत्रण एवं रोकथाम में भारी सफलता मिली है. पिछले साल अगस्त की तुलना में इस वर्ष अगस्त में एईएस रोगियों में 48 प्रतिशत और इस बीमारी से होने वाली मौत में 35 प्रतिशत की कमी आई है. इसके साथ ही जेई के रोगियों में 38, मलेरिया के रोगियों में 31, डेंगू के रोगियों में 23 और कालाजार के रोगियों में 74 प्रतिशत की गिरावट पाई गई है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने संक्रामक रोगों के नियंत्रण में मिली सफलता पर संतोष व्यक्त करते हुए इस कार्य को और तेजी से जारी रखने के निर्देश दिए हैं.

यह इसलिए संभव हो सका क्योंकि संक्रामक बीमारियों को रोकने के लिए प्रदेश में विशेष अभियान चलाये गए हैं. वर्ष 2018 के समान वर्ष 2019 में तीन चरणों में, वर्ष 2020 में पुनः दो चरणों में एक माह का विशेष संचारी रोग नियंत्रण एवं 15 दिवसीय दस्तक अभियान चलाया गया. इसके अंतर्गत अंतर्विभागीय गतिविधियों, जन जागरूकता, प्रचार प्रसार की कार्रवाई के फलस्वरुप 2018 की तुलना में वर्ष 2019, वर्ष 2020 में प्रदेश में मस्तिष्क ज्वर (एईएस/जेई) के रोगियों एवं रोग के कारण हुई मृत्यु की संख्या में कमी आई है. वृहद जेई विशेष टीकाकरण अभियान के फलस्वरूप पुष्ट जेई रोगियों की संख्या में भी कमी देखने को मिली है.

कोरोना काल में भी जुलाई में विशेष संचारी रोग अभियान चलाया गया. ग्राम प्रधानों की अध्यक्षता में 56 हजार से अधिक ग्राम सभाओं एवं 74 हजार से अधिक ग्राम स्वास्थ्य पोषण तथा स्वच्छता समिति की बैठकें की गईं. अभियान के दौरान एक लाख 34 हजार से अधिक ग्रामों में खरपतवार की कटाई की गई. शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में दो लाख से अधिक नालियों की सफाई की गई.

पेयजल की उपलब्धता को देखते हुए 61 हजार से अधिक इंडिया मार्का-II हैंडपंपों एवं 28 हजार से अधिक उनके प्लेटफार्म की मरम्मत की गई. एक हजार से अधिक कुपोषित बच्चों को चिन्हित कर पोषण पुनर्वास केंद्रों पर संदर्भित किया गया. शहरी क्षेत्रों में 8 हजार 800 से अधिक वार्डों में फॉगिंग कराई गई. पशुपालन तथा कृषि विभाग द्वारा सूकर पालन के संवेदीकरण एवं चूहे, छछूंदरों पर नियंत्रण के लिए 33 हजार एवं 61 हजार से अधिक बैठकों का आयोजन किया गया. स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत एक लाख 41 हजार से अधिक स्वच्छ शौचालयों का निर्माण कराया गया.

जुलाई में दस्तक अभियान के बारे में बताया गया कि आशा बहुओं द्वारा 20 लाख से अधिक घरों का भ्रमण किया गया. इस दौरान एईएस, जेई वेक्टर जनित रोग एवं कोविड-19 से बचाव रोकथाम एवं उपचार के संबंध में प्रचार-प्रसार किया गया. एक लाख 77 हजार से अधिक मातृत्व बैठकों का आयोजन किया गया. एईएस रोग पर चर्चा के लिए 76 हजार से अधिक ग्रामीण स्वास्थ्य एवं पोषण दिवस की बैठक की गई. स्वच्छ पेयजल के उपयोग के लिए दो लाख 37 हजार से अधिक क्लोरिनेशन डेमो आयोजित किए गए.

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