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हर पार्टी को पसंद है बाहुबली, अपने दागी सबको अच्छे लगते है

लोकसभा चुनाव से पहले एक बार फिर से राजनीतिक दलों में दागियों को पार्टी का नुमांइदा बनाने को लेकर होड़ मची हुई है. मौजूदा समय मे बीजेपी के 36 फीसदी, सपा के 33 फीसदी और बसपा के 26 फीसदी विधायक भी यूपी में दागी हैं.

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Published : Mar 26, 2019, 1:27 PM IST

all party of up

लखनऊ : कहते हैं दिल्ली की गद्दी का रास्ता उत्तर प्रदेश से होकर गुजरता है.लिहाजा जिस पार्टी ने भी दिल्ली पर कब्जा करने का मंसूबा बनाया उसने शुरुआत उत्तर प्रदेश के गढ़ को जीतने से की.80 लोकसभा सीटों वाले देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश को जीतने के लिए एक बारफिर से राजनीतिकपार्टियों ने हर हथकंडा अपनाया है.धनबल और बाहुबल के साथ-साथ राजनीतिक दलो ने जीत हासिल करने के लिए गनबल का इस्तेमाल करने से भी परहेज नहीं किया है. यानी पार्टी कोई भी हो, वादा और नारा कुछ भी दिया हो लेकिन जीत हासिल करने के लिए हर पार्टी ने दागी नेताओं को गले लगाया है.

देखें विशेष रिपोर्ट.



आज माहौल भले ही लोकसभा चुनाव का हो लेकिन अगर बात उत्तर प्रदेश के सियासी रास्तों से दिल्ली की गद्दी पाने की हो तो शुरुआत उत्तर प्रदेश के ही सियासी माहौल और उसकी विधानसभा से की जाए.उत्तर प्रदेश की राजनीति में बाहुबलियों का हमेशा ही बोलबाला रहा है.कुछ नाम ऐसे हैं जिनके नाम पर एक दो नहीं दर्जनों गंभीर आपराधिक मुकदमे हैं.सनसनीखेज वारदातों में नाम आए,लेकिन जब बात सियासत और सियासत में जीत की हुई तो ऐसे ही दागी, पार्टियों को बेदाग नजर आए. जिसने भी इनको सत्ता हासिल करने के लिए गले लगाया उसने इनको बेदाग बताया.

वो फिर चाहे फिर बाहुबली मुख्तार अंसारी हो या फिर धनंजय सिंह, अभय सिंह, बृजेश सिंह, हरिशंकर तिवारी, अमरमणि त्रिपाठी, बृजभूषण शरण सिंह, अजय राय, या राजा भैया हो. कानून की किताबों में भले ही इन पर हत्या अपहरण फिरौती जैसे गंभीर अपराध दर्ज हो लेकिन सत्ता हासिल करने के लिए हर पार्टी ने इनसे गलबहिया की.

पिछले तीनविधानसभा में दागियों की संख्या

  • 2007 में 403 में से 139 पर आपराधिक मामले और 77 विधायकों पर गंभीर आपराधिक मामले दर्ज थे.
  • 2012 में 403 में से 183 पर आपराधिक मामले और 85 विधायको पर गंभीर आपराधिक मामले दर्ज थे.
  • 2017 में 403 में से 141 पर आपराधिक मामले और 108 यानी मौजूदा विधानसभा में 27 फीसदी विधायको पर गंभीर आपराधिक मामले दर्ज है.

लोकसभा चुनावमें दागियों की संख्या

  • साल 2004 में 24 सांसदों पर आपराधिक मामले और 12 सांसदों पर गंभीर मामले दर्ज थे.
  • साल 2009 में 31 सांसदों पर आपराधिक मामले और 25 सांसदों पर गंभीर मामले दर्ज थे.
  • साल 2014 में 25 सांसदों पर आपराधिक मामले और 21 सांसदों पर गंभीर मामले दर्ज थे.

एक बार फिर देश में लोकसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है और हर पार्टी जीत हासिल करने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रही है.मौजूदा वक्त में कांग्रेस ने अगर दस्यु सरगना ददुआ के भाई बाल कुमार पटेल को बांदा से मैदान में उतारा है तो सपा ने पंडित सिंह, बीजेपी भी बृजभूषण शरण सिंह, राजकुमार बुधौलिया जैसे बाहुबलियों का सहारा लेना शुरू कर दिया है.जीत हासिल करने के लिए किसी को दागियों से परहेज नहीं बस अंतर इतना की इनको अपना दागी बेदाग लगता है और दूसरे दल का बड़ा दागी.

लखनऊ : कहते हैं दिल्ली की गद्दी का रास्ता उत्तर प्रदेश से होकर गुजरता है.लिहाजा जिस पार्टी ने भी दिल्ली पर कब्जा करने का मंसूबा बनाया उसने शुरुआत उत्तर प्रदेश के गढ़ को जीतने से की.80 लोकसभा सीटों वाले देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश को जीतने के लिए एक बारफिर से राजनीतिकपार्टियों ने हर हथकंडा अपनाया है.धनबल और बाहुबल के साथ-साथ राजनीतिक दलो ने जीत हासिल करने के लिए गनबल का इस्तेमाल करने से भी परहेज नहीं किया है. यानी पार्टी कोई भी हो, वादा और नारा कुछ भी दिया हो लेकिन जीत हासिल करने के लिए हर पार्टी ने दागी नेताओं को गले लगाया है.

देखें विशेष रिपोर्ट.



आज माहौल भले ही लोकसभा चुनाव का हो लेकिन अगर बात उत्तर प्रदेश के सियासी रास्तों से दिल्ली की गद्दी पाने की हो तो शुरुआत उत्तर प्रदेश के ही सियासी माहौल और उसकी विधानसभा से की जाए.उत्तर प्रदेश की राजनीति में बाहुबलियों का हमेशा ही बोलबाला रहा है.कुछ नाम ऐसे हैं जिनके नाम पर एक दो नहीं दर्जनों गंभीर आपराधिक मुकदमे हैं.सनसनीखेज वारदातों में नाम आए,लेकिन जब बात सियासत और सियासत में जीत की हुई तो ऐसे ही दागी, पार्टियों को बेदाग नजर आए. जिसने भी इनको सत्ता हासिल करने के लिए गले लगाया उसने इनको बेदाग बताया.

वो फिर चाहे फिर बाहुबली मुख्तार अंसारी हो या फिर धनंजय सिंह, अभय सिंह, बृजेश सिंह, हरिशंकर तिवारी, अमरमणि त्रिपाठी, बृजभूषण शरण सिंह, अजय राय, या राजा भैया हो. कानून की किताबों में भले ही इन पर हत्या अपहरण फिरौती जैसे गंभीर अपराध दर्ज हो लेकिन सत्ता हासिल करने के लिए हर पार्टी ने इनसे गलबहिया की.

पिछले तीनविधानसभा में दागियों की संख्या

  • 2007 में 403 में से 139 पर आपराधिक मामले और 77 विधायकों पर गंभीर आपराधिक मामले दर्ज थे.
  • 2012 में 403 में से 183 पर आपराधिक मामले और 85 विधायको पर गंभीर आपराधिक मामले दर्ज थे.
  • 2017 में 403 में से 141 पर आपराधिक मामले और 108 यानी मौजूदा विधानसभा में 27 फीसदी विधायको पर गंभीर आपराधिक मामले दर्ज है.

लोकसभा चुनावमें दागियों की संख्या

  • साल 2004 में 24 सांसदों पर आपराधिक मामले और 12 सांसदों पर गंभीर मामले दर्ज थे.
  • साल 2009 में 31 सांसदों पर आपराधिक मामले और 25 सांसदों पर गंभीर मामले दर्ज थे.
  • साल 2014 में 25 सांसदों पर आपराधिक मामले और 21 सांसदों पर गंभीर मामले दर्ज थे.

एक बार फिर देश में लोकसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है और हर पार्टी जीत हासिल करने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रही है.मौजूदा वक्त में कांग्रेस ने अगर दस्यु सरगना ददुआ के भाई बाल कुमार पटेल को बांदा से मैदान में उतारा है तो सपा ने पंडित सिंह, बीजेपी भी बृजभूषण शरण सिंह, राजकुमार बुधौलिया जैसे बाहुबलियों का सहारा लेना शुरू कर दिया है.जीत हासिल करने के लिए किसी को दागियों से परहेज नहीं बस अंतर इतना की इनको अपना दागी बेदाग लगता है और दूसरे दल का बड़ा दागी.

Intro:नोट...चेयरमैन आफिस plan story. कहते हैं दिल्ली की गद्दी का रास्ता उत्तर प्रदेश से होकर गुजरता है। लिहाजा जिस पार्टी ने भी दिल्ली पर कब्जा करने का मंसूबा बनाया उसने शुरुआत उत्तर प्रदेश के गढ़ को जीतने से की। 80 लोकसभा सीटों वाले देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश को जीतने के लिए फिर पार्टियों ने हर हथकंडा अपनाया। धनबल और बाहुबल के साथ-साथ राजनीतिक दलो ने जीत हासिल करने के लिए गनबल का इस्तेमाल करने से परहेज नही किया। यानी पार्टी कोई रही हो, वादा और नारा कुछ भी दिया हो लेकिन जीत हासिल करने के लिए हर पार्टी ने दागियों को गले लगाया। उत्तर प्रदेश की सियासत में बढ़ती दागी नेताओं की धमक पर यह स्पेशल रिपोर्ट।


Body:आज माहौल भले ही लोकसभा चुनाव का हो लेकिन अगर बात उत्तर प्रदेश के सियासी रास्तों से दिल्ली की गद्दी पाने की हो तो शुरुआत उत्तर प्रदेश के ही सियासी माहौल और उसकी विधानसभा से की जाए। उत्तर प्रदेश की राजनीति में बाहुबलियों का हमेशा ही बोलबाला रहा। कुछ नाम ऐसे हैं जिनके नाम पर एक दो नहीं दर्जनों गंभीर आपराधिक मुकदमे हैं। सनसनीखेज वारदातों में नाम आए। लेकिन जब बात सियासत और सियासत में जीत की हुई तो ऐसे ही दागी, पार्टियों को बेदाग नजर आए। जिसने भी इनको सत्ता हासिल करने के लिए गले लगाया उसने इनको बेदाग बताया। वो फिर चाहे बाहुबली मुख्तार अंसारी हो या फिर धनंजय सिंह, अभय सिंह, बृजेश सिंह, हरिशंकर तिवारी, अमरमणि त्रिपाठी, बृजभूषण शरण सिंह, अजय राय, राजा भैया हो। कानून की किताबों में भले ही इन पर हत्या अपहरण फिरौती जैसे गंभीर अपराध दर्ज हो लेकिन सत्ता हासिल करने के लिए हर पार्टी ने इनसे गलबहिया की। पहले एक नजर 3 उत्तर प्रदेश में बीती 3 विधानसभा में दागियों की संख्या पर ...gfx in... 2007 में 403 में से 139 पर आपराधिक मामले और 77 विधायको पर गंभीर आपराधिक मामले दर्ज थे। 2012 में 403 में से 183 पर आपराधिक मामले और 85 विधायको पर गंभीर आपराधिक मामले दर्ज थे। 2017 में 403 में से 141 पर आपराधिक मामले और 108 यानी मौजूदा विधानसभा में 27 फीसदी विधायको पर गंभीर आपराधिक मामले दर्ज है। पार्टी वार देखे तो मौजूदा समय मे बीजेपी के 36 फीसदी सपा के 33 फीसदी बसपा के 26 फीसदी विधायक दागी है। gfx out... बात लोकसभा चुनाव में जीत की है तो आइए अब नजर 80 लोकसभा सीटों वाली उत्तर प्रदेश में भी दागी सांसदों के आंकड़ों पर भी डाले। gfx in... साल 2004 में 24 सांसदों पर आपराधिक मामले और 12 सांसदों पर गंभीर मामले दर्ज थे। साल 2009 में 31 सांसदों पर आपराधिक मामले और 25 सांसदों पर गंभीर मामले दर्ज थे। साल 2014 में 25 सांसदों पर आपराधिक मामले और 21 सांसदों पर गंभीर मामले दर्ज थे। पार्टी वार बात करे तो मौजूदा लोकसभा में अकेले 73 सीटें जीतने वाली बीजेपी अकेली 34 फीसदी सांसदों की शरणदाता बनी 2004 मे बसपा के 42 फीसदी,सपा के 34 फीसदी और कांग्रेस के 11 फीसदी सांसद दागी थे। कुछ ऐसा ही हाल 2009 की लोकसभा का भी था। 2009 में बसपा के 30 फीसदी,सपा के 43 फीसदी,बीजेपी के सर्वाधिक 75 फीसदी सांसद दागी थे। gfx out। एक बार फिर देश में लोकसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है और हर पार्टी जीत हासिल करने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रही है। मौजूदा वक्त में कांग्रेस ने अगर ददुआ दस्यु सरगना ददुआ के भाई बाल कुमार पटेल को बांदा से मैदान में उतारा है तो सपा ने पंडित सिंह, बीजेपी भी बृजभूषण शरण सिंह,राजकुमार बुधौलिया जैसे बाहुबलियों का सहारा लेना शुरू कर दिया है। जीत हासिल करने के लिए किसी को दागियों से परहेज नही। बस अंतर इतना की इनको अपना दागी बेदाग लगता है और दूसरे दल का दागी बड़ा दागी। बाइट...अंशु अवस्थी...प्रवक्ता कांग्रेस राजनीति में बढ़ते अपराधों के दखल को रोकने के लिए बीते कई सालों से देश भर में काम कर रही एंटी डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स यानी एरिया भी कहती है कि कोई पार्टी दागियों के दाग से अछूती नहीं। बाइट... संतोष सिंह... कोऑर्डिनेटर, एंटी डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स ptc


Conclusion:
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