लखनऊ : कहते हैं दिल्ली की गद्दी का रास्ता उत्तर प्रदेश से होकर गुजरता है.लिहाजा जिस पार्टी ने भी दिल्ली पर कब्जा करने का मंसूबा बनाया उसने शुरुआत उत्तर प्रदेश के गढ़ को जीतने से की.80 लोकसभा सीटों वाले देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश को जीतने के लिए एक बारफिर से राजनीतिकपार्टियों ने हर हथकंडा अपनाया है.धनबल और बाहुबल के साथ-साथ राजनीतिक दलो ने जीत हासिल करने के लिए गनबल का इस्तेमाल करने से भी परहेज नहीं किया है. यानी पार्टी कोई भी हो, वादा और नारा कुछ भी दिया हो लेकिन जीत हासिल करने के लिए हर पार्टी ने दागी नेताओं को गले लगाया है.
वो फिर चाहे फिर बाहुबली मुख्तार अंसारी हो या फिर धनंजय सिंह, अभय सिंह, बृजेश सिंह, हरिशंकर तिवारी, अमरमणि त्रिपाठी, बृजभूषण शरण सिंह, अजय राय, या राजा भैया हो. कानून की किताबों में भले ही इन पर हत्या अपहरण फिरौती जैसे गंभीर अपराध दर्ज हो लेकिन सत्ता हासिल करने के लिए हर पार्टी ने इनसे गलबहिया की.
पिछले तीनविधानसभा में दागियों की संख्या
- 2007 में 403 में से 139 पर आपराधिक मामले और 77 विधायकों पर गंभीर आपराधिक मामले दर्ज थे.
- 2012 में 403 में से 183 पर आपराधिक मामले और 85 विधायको पर गंभीर आपराधिक मामले दर्ज थे.
- 2017 में 403 में से 141 पर आपराधिक मामले और 108 यानी मौजूदा विधानसभा में 27 फीसदी विधायको पर गंभीर आपराधिक मामले दर्ज है.
लोकसभा चुनावमें दागियों की संख्या
- साल 2004 में 24 सांसदों पर आपराधिक मामले और 12 सांसदों पर गंभीर मामले दर्ज थे.
- साल 2009 में 31 सांसदों पर आपराधिक मामले और 25 सांसदों पर गंभीर मामले दर्ज थे.
- साल 2014 में 25 सांसदों पर आपराधिक मामले और 21 सांसदों पर गंभीर मामले दर्ज थे.
एक बार फिर देश में लोकसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है और हर पार्टी जीत हासिल करने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रही है.मौजूदा वक्त में कांग्रेस ने अगर दस्यु सरगना ददुआ के भाई बाल कुमार पटेल को बांदा से मैदान में उतारा है तो सपा ने पंडित सिंह, बीजेपी भी बृजभूषण शरण सिंह, राजकुमार बुधौलिया जैसे बाहुबलियों का सहारा लेना शुरू कर दिया है.जीत हासिल करने के लिए किसी को दागियों से परहेज नहीं बस अंतर इतना की इनको अपना दागी बेदाग लगता है और दूसरे दल का बड़ा दागी.