लखनऊ: उत्तर प्रदेश में पीएसी कर्मचारियों को भी जल्द पदोन्नति के अवसर मिलेंगे. इसके लिए डीजीपी मुख्यालय लखनऊ (dgp headquarter lucknow) ने शासन को प्रस्ताव भेजा है. प्रस्ताव में पीएसी (PAC) के आरक्षी से लेकर निरीक्षक स्तर के कुल 3134 पद सृजित किए जाने की सिफारिश की गई है. यदि सिफारिश पर मुहर लग जाती है तो पदोन्नति की दौड़ में पिछड़े पीएसी कर्मियों को सिविल पुलिस की तुलना में आगे बढ़ने के समान अवसर मिल सकेंगे.
प्रस्ताव में निरीक्षक सशस्त्र पुलिस/पीएसी के 45 और उपनिरीक्षक सशस्त्र पुलिस/पीएसी के 3089 पदों के सृजन की बात प्रस्ताव में कही गई है. सूत्रों का कहना है कि नए पदों के सृजन से पीएसी कर्मियों की पदोन्नति हो सकेगी. अधिकारियों के मुताबिक, 1992 बैच के आरक्षी नागरिक पुलिस में पदोन्नति पाकर निरीक्षक तक बन चुके हैं, जबकि इसी बैच में पीएसी में भर्ती आरक्षी पद न होने की वजह से पदोन्नति के अवसर नहीं पा सके. सूबे में 932 पीएसीकर्मी करीब 200 दशक से सिविल पुलिस में अपनी सेवाएं दे रहे थे. इनमें 6 सिविल पुलिस में उपनिरीक्षक तथा 890 जवान हेड कॉन्स्टेबल के पदों पर पदोन्नति पा चुके थे, जबकि 22 जवान सिपाही के पद पर ही थे. वहीं, 14 जवान अपना सेवाकाल पूरा कर चुके थे.
पीएसी कर्मियों का दूर होगा असंतोष
एडीजी स्थापना लखनऊ ने सितंबर 2020 में 6 उपनिरीक्षकों और 890 मुख्य आरक्षियों का डिमोशन कर मूल संवर्ग पीएसी में भेजने का आदेश दिया था. 22 सिपाहियों को इसी पद पर वापस भेजने को कहा गया था. इसे लेकर पीएसी कर्मियों का असंतोष सामने आया था. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मामले को गंभीरता से लिया और एडीजी स्थापना के आदेश को रद्द कर दिया था. मुख्यमंत्री ने उन पीएसी कर्मियों की सेवा सिविल पुलिस में ही बरकरार रखने का भी आदेश दिया था.
प्रदेश सरकार के अधीन काम करती है पीएसी
पीएसी उत्तर प्रदेश का एक फुर्तीली पुलिस बल है, जोकि प्रदेश सरकार के अधीन काम करता है. यही वजह है कि इसे यूपी पीएसी भी कहा जाता है. पीएसी को उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा एक विशेष प्रकार की परिस्थितियों में कानून व्यवस्था को बनाए रखने के लिए तैनात किया जाता है.
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