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इस गांव में कोरोना से 25 लोगों की मौत के बाद भी नहीं आया कोई सरकारी नुमाइंदा - लौलाई गांव में नहीं हुआ सैनिटाइजेशन

राजधानी लखनऊ के लौलाई गांव में कोरोना संक्रमण करीब 25 लोगों की मौत हो चुकी है. इसके बावजूद इस गांव में अभी तक कोई सरकारी कर्मचारी टेस्ट और दवा वितरण करने नहीं पहुंचा है.

लौलाई गांव, लखनऊ.
लौलाई गांव, लखनऊ.
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Published : May 21, 2021, 3:25 AM IST

लखनऊः राजधानी मुख्यालय से लगभग 25 किलोमीटर दूर स्थित लौलाई गांव कोरोना संक्रमण की चपेट में है. इस गांव में अब तक कोरोना के संक्रमण से लगभग 25 लोगों की मौत हो चुकी है. सरकार भले ही तमाम दावे साफ-सफाई सैनिटाइजेशन और दवाओं के वितरण की बात करती है, लेकिन इतनी संख्या में लोगों की मौत के बाद भी इस गांव की हाल लेने कोई सरकारी नुमाइंदा नहीं पहुंचा है.

लौलाई गांव, लखनऊ.



ग्रामीणों में जिला प्रशासन और नगर निगम के प्रति गुस्सा
जिला मुख्यालय से लगभग 25 किलोमीटर दूर स्थित इस गांव से इस पंचायत चुनाव के बाद से प्रधानी खत्म हुई है. यह गांव विगत वर्ष नगर निगम की सीमा में शामिल हो गया है. प्रधानी खत्म होने के बाद नगर निगम की सीमा में आए इस गांव में जिस तरह से दूसरे चरण में कोरोना का संक्रमण पूरे देश में फैला है. इसी संक्रमण से इस गांव में लगभग 25 लोगों की मौत हो चुकी है. लेकिन जिला प्रशासन और नगर निगम का कोई भी अधिकारी और कर्मचारी इस गांव के लोगों की सुध लेने नहीं आया है. जिससे इस गांव में रहने वाले लोगों का जिला प्रशासन और नगर निगम के प्रति काफी गुस्सा भी हैं.

गांव में सैनिटाइजेशन तक नहीं कराया
तीन बार के प्रधान रहे उमेश कुमार यादव ने ETV भारत से बातचीत करते हुए कहा कि विगत 15 वर्षों से इस गांव का नेतृत्व में कर रहा हूं पर इस बार के पंचायत चुनाव में यहां गांव नगर निगम की सीमा के अंतर्गत आ गया, जिस कारण पंचायत का चुनाव नहीं हुआ. गांव में संक्रमण के कारण 22 से 25 मौतें हो चुकी हैं. सरकार भले ही दवाओं के वितरण निगरानी समितियों के माध्यम से निगरानी और सैनिटाइजेशन कराने की बात करती है, पर इतनी मौतों के बाद भी नगर निगम और जिला प्रशासन का कोई भी अधिकारी और कर्मचारी झांकने तक नहीं आया है. लगभग 5000 की आबादी वाले इस गांव के लोग लगातार हो रही मौतों से डरे हुए हैं.

यह भी पढ़ें-अस्पताल की जगह गांव-गांव में श्मशान बना रही सरकारः संजय सिंह

गांव का कोई सुध लेने वाला नहीं
गांव की निवासी रीना गुप्ता का कहना है कि सरकार की तरफ से इस गांव में सुध लेने वाला कोई नहीं है. गांव में बड़ी संख्या में लोगों की मौत हो चुकी है पर यहां पर ना तो दवाओं का छिड़काव हुआ है और न ही दवाओं का वितरण हुआ है. वहीं, इसी गांव की रहने वाली खुशी का कहना है कि 20 ms 25 मौत हो जाने के बाद भी नगर निगम और जिला प्रशासन का कोई भी अधिकारी और कर्मचारी इस गांव को देखने नहीं आया है. गांव में रहने वाले दिलीप यादव का कहना है कि इस गांव में शासन प्रशासन की तरफ से कोई भी मदद नहीं मिली है और न ही कोई आया है. सरकार बड़ी-बड़ी बातें करती है और सभी लोगों को दवा पहुंचाने की बात कर रही है लेकिन यहां सैनिटाइजेशन तक नहीं कराया गया है. दिलीप यादव का कहना है कि यहां के पूर्व प्रधान उमेश यादव इस गांव में साफ सफाई के साथ-साथ सैनिटाइजेशन करा रहे हैं. लेकिन अभी तक जिला प्रशासन और नगर निगम का कोई भी अधिकारी यहां झांकने तक नहीं आया है.


महापौर को नहीं पता गांव की हकीकत
लखनऊ की महापौर संयुक्ता भाटिया से ईटीवी भारत से टेलिफोनिक बातचीत में गांव में दवाओं का वितरण और सैनिटाइजेशन न कराने की बात की गई तो उन्होंने कहा कि इस बारे में अभी हमें कोई जानकारी नहीं है. महापौर ने कहा कि अभी हाल ही में जो 88 गांव नगर निगम की सीमा में शामिल हुए हैं. उन सभी गांव में धीरे-धीरे काम कराया जा रहा है. इस बारे में अभी नगर आयोग को गांव में सैनिटाइजेशन और दवाओं के वितरण करने का निर्देश दिया जाएगा. इसके साथ ही वहां की स्थानीय निगरानी समितियों को भी सक्रिय किया जाएगा, जिससे उस गांव की वास्तविक स्थिति के बारे में पता चल सके.

लखनऊः राजधानी मुख्यालय से लगभग 25 किलोमीटर दूर स्थित लौलाई गांव कोरोना संक्रमण की चपेट में है. इस गांव में अब तक कोरोना के संक्रमण से लगभग 25 लोगों की मौत हो चुकी है. सरकार भले ही तमाम दावे साफ-सफाई सैनिटाइजेशन और दवाओं के वितरण की बात करती है, लेकिन इतनी संख्या में लोगों की मौत के बाद भी इस गांव की हाल लेने कोई सरकारी नुमाइंदा नहीं पहुंचा है.

लौलाई गांव, लखनऊ.



ग्रामीणों में जिला प्रशासन और नगर निगम के प्रति गुस्सा
जिला मुख्यालय से लगभग 25 किलोमीटर दूर स्थित इस गांव से इस पंचायत चुनाव के बाद से प्रधानी खत्म हुई है. यह गांव विगत वर्ष नगर निगम की सीमा में शामिल हो गया है. प्रधानी खत्म होने के बाद नगर निगम की सीमा में आए इस गांव में जिस तरह से दूसरे चरण में कोरोना का संक्रमण पूरे देश में फैला है. इसी संक्रमण से इस गांव में लगभग 25 लोगों की मौत हो चुकी है. लेकिन जिला प्रशासन और नगर निगम का कोई भी अधिकारी और कर्मचारी इस गांव के लोगों की सुध लेने नहीं आया है. जिससे इस गांव में रहने वाले लोगों का जिला प्रशासन और नगर निगम के प्रति काफी गुस्सा भी हैं.

गांव में सैनिटाइजेशन तक नहीं कराया
तीन बार के प्रधान रहे उमेश कुमार यादव ने ETV भारत से बातचीत करते हुए कहा कि विगत 15 वर्षों से इस गांव का नेतृत्व में कर रहा हूं पर इस बार के पंचायत चुनाव में यहां गांव नगर निगम की सीमा के अंतर्गत आ गया, जिस कारण पंचायत का चुनाव नहीं हुआ. गांव में संक्रमण के कारण 22 से 25 मौतें हो चुकी हैं. सरकार भले ही दवाओं के वितरण निगरानी समितियों के माध्यम से निगरानी और सैनिटाइजेशन कराने की बात करती है, पर इतनी मौतों के बाद भी नगर निगम और जिला प्रशासन का कोई भी अधिकारी और कर्मचारी झांकने तक नहीं आया है. लगभग 5000 की आबादी वाले इस गांव के लोग लगातार हो रही मौतों से डरे हुए हैं.

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गांव का कोई सुध लेने वाला नहीं
गांव की निवासी रीना गुप्ता का कहना है कि सरकार की तरफ से इस गांव में सुध लेने वाला कोई नहीं है. गांव में बड़ी संख्या में लोगों की मौत हो चुकी है पर यहां पर ना तो दवाओं का छिड़काव हुआ है और न ही दवाओं का वितरण हुआ है. वहीं, इसी गांव की रहने वाली खुशी का कहना है कि 20 ms 25 मौत हो जाने के बाद भी नगर निगम और जिला प्रशासन का कोई भी अधिकारी और कर्मचारी इस गांव को देखने नहीं आया है. गांव में रहने वाले दिलीप यादव का कहना है कि इस गांव में शासन प्रशासन की तरफ से कोई भी मदद नहीं मिली है और न ही कोई आया है. सरकार बड़ी-बड़ी बातें करती है और सभी लोगों को दवा पहुंचाने की बात कर रही है लेकिन यहां सैनिटाइजेशन तक नहीं कराया गया है. दिलीप यादव का कहना है कि यहां के पूर्व प्रधान उमेश यादव इस गांव में साफ सफाई के साथ-साथ सैनिटाइजेशन करा रहे हैं. लेकिन अभी तक जिला प्रशासन और नगर निगम का कोई भी अधिकारी यहां झांकने तक नहीं आया है.


महापौर को नहीं पता गांव की हकीकत
लखनऊ की महापौर संयुक्ता भाटिया से ईटीवी भारत से टेलिफोनिक बातचीत में गांव में दवाओं का वितरण और सैनिटाइजेशन न कराने की बात की गई तो उन्होंने कहा कि इस बारे में अभी हमें कोई जानकारी नहीं है. महापौर ने कहा कि अभी हाल ही में जो 88 गांव नगर निगम की सीमा में शामिल हुए हैं. उन सभी गांव में धीरे-धीरे काम कराया जा रहा है. इस बारे में अभी नगर आयोग को गांव में सैनिटाइजेशन और दवाओं के वितरण करने का निर्देश दिया जाएगा. इसके साथ ही वहां की स्थानीय निगरानी समितियों को भी सक्रिय किया जाएगा, जिससे उस गांव की वास्तविक स्थिति के बारे में पता चल सके.

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