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अलविदा 2020: रेलवे के लिए चुनौतीपूर्ण रहा यह साल, बेपटरी रेलों से बढ़ी यात्रियों की दुविधा - साल 2020 में ट्रेनों का संचालन बंद

साल 2020 हमारे लिए बेहद चुनौतीपूर्ण रहा. यह साल कोविड-19 संक्रमण के चलते इतिहास में अपनी पहचान बनाने जा रहा है. फिर चाहे वह किसी भी क्षेत्र की बात हो. कोरोना के कारण इस बार रेलवे के इतिहास में पहली बार यात्री ट्रेनें बंद करनी पड़ गईं. इसके लिए देखिये खास रिपोर्ट...

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Published : Dec 27, 2020, 2:24 PM IST

लखनऊ: वैसे तो साल 2020 हर लिहाज से चुनौतिपूर्ण रहा लेकिन रेलवे के लिए भारतीय रेलवे के गौरवशाली इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ जब सभी ट्रेनों के पहिए एक साथ थम गए. हमेशा यात्रियों से गुलजार रहने वाले रेलवे प्लेटफॉर्म सुनसान हो गए. जिन ट्रेनों की सीटों पर बैठकर यात्री सफर करते थे, उन्हें मरीजों के लिए रिजर्व कर दिया गया.

स्पेशल रिपोर्ट.

साल 2020 में वैश्विक महामारी कोरोना के कहर के कारण ट्रेनों की बोगियां अस्पताल में तब्दील कर दी गईं. कोविड के झटके से अब तक भारतीय रेल उबर नहीं पाई है. चुनौती ऐसी है कि सामान्य ट्रेनों के बजाय सिर्फ स्पेशल ट्रेनों का ही संचालन किया जा रहा है. दूसरी ओर कोरोना के चलते निजी ट्रेनों का संचालन भी बंद है.

आईआरसीटीसी की तेजस ट्रेन कोरोना की भेंट चढ़ गई, वहीं काशी महाकाल एक्सप्रेस भी बंद करनी पड़ी. ऐसे में 150 निजी ट्रेनों के संचालन का सपना देख रहे भारतीय रेलवे को निराशा ही हाथ लगी है. इस साल रेलवे की तमाम योजनाओं को अमलीजामा नहीं पहनाया जा सका. कुल मिलाकर रेलवे के लिए साल 2020 नुकसानदायक साबित हुआ है.

प्रवासी श्रमिक पहुंचे अपने गन्तव्य.
प्रवासी श्रमिक पहुंचे अपने गन्तव्य.

1661 ट्रेनें चलाकर घर पहुंचाए गए 26 लाख प्रवासी श्रमिक
कोरोना के चलते मार्च माह से जून तक लॉकडाउन किया गया था. इस दौरान दिल्ली, मुम्बई, केरल, बेंगलुरु, अहमदाबाद और कोलकाता जैसे शहरों में फंसे प्रवासी श्रमिकों को वापस घर लाने के लिए रेलवे प्रशासन ने सैकड़ों श्रमिक स्पेशल ट्रेनों का संचालन किया. इसके लिए उत्तर रेलवे के मंडल रेल प्रबंधक संजय त्रिपाठी को प्रदेश का नोडल अफसर बनाया गया.

संजय त्रिपाठी ने ईटीवी भारत को बताया कि लॉकडाउन में कुल 1661 ट्रेनों का संचालन कर तकरीबन 26 लाख श्रमिकों को उनके गन्तव्य तक पहुंचाया गया. इन श्रमिकों के लिए रेलवे स्टेशन पर सैनिटाइजेशन, स्क्रीनिंग और खाने का पूरा इंतजाम किया गया. इसके अलावा कैरिज एंड वैगन वर्कशाॅप में रेलवे ने सैनिटाइजर, मास्क, पीपीई किट भी बनवाए. रेलवे प्रशासन ने अपने सभी कर्मचारियों को स्वनिर्मित मास्क उपलब्ध कराए, ताकि यात्री सुरक्षित रहें.

रेलवे के इतिहास में पहली बार सूनी हुई रेल की पटरी
भारतीय रेल के इतिहास में यह पहला मौका था, जब रेलवे की सूनी पटरियां ट्रेनों के दौड़ने का इंतजार करते रहीं और ट्रेनें पटरी पर दौड़ने के बजाय यार्ड में खड़ी हो गईं. उत्तर व पूर्वाेत्तर रेलवे के लखनऊ मंडलों से चलने वाली शताब्दी, पुष्पक, गोमती, एसी एक्सप्रेस सहित 200 से ज्यादा ट्रेनों का संचालन बंद कर दिया गया. चारबाग व लाख जंक्शन जैसे स्टेशन दिन-रात यात्रियों से गुलजार रहते थे, वहीं कोरोना के दौर में यही स्टेशन पूरी तरह बेजार हो गए.

बनाए गए कोविड कोच
कोरोना के दौर में ट्रेनों का संचालन बंद हो गया. आपातकालीन स्थिति से निपटने के लिए सरकार की तरफ से ट्रेन की बोगियों को अस्पताल में तब्दील करने का निर्देश जारी हुआ. रेलवे ने अपनी तमाम ट्रेनों को वर्कशॉप में आइसोलेशन कोच के रूप में तब्दील कर दिया. कोच को अस्पताल की तरह बनाया गया. यहां पर सीटों का एडजस्टमेंट किया गया. साथ ही ट्रांसपेरेंट पर्दे, ऑक्सीजन गैस सिलेंडर, डॉक्टरों के लिए केबिन और डस्टबिन की व्यवस्था समेत बाथरूम को भी अलग तरह का बना दिया गया. हालांकि अस्पतालों की व्यवस्थाएं दुरुस्त होने से रेलवे के आइसोलेशन कोच का काफी कम इस्तेमाल हुआ.

रेलवे को हुआ भारी नुकसान.
रेलवे को हुआ भारी नुकसान.

ट्रेनें बंद रहने से भारी-भरकम राजस्व का नुकसान
कोरोना वायरस के अटैक ने रेलवे को झटके पर झटके दिए. ट्रेनों का संचालन बंद होने से रेलवे को बड़ा नुकसान उठाना पड़ा है. 21 मार्च को जब रेलवे ने ट्रेनों को बंद करने का एलान किया तो एक माह के अंदर उत्तर रेलवे की कमाई 110 करोड़ रुपये कम हो गई. पांच माह तक ट्रेंनें बंद रहने से रेलवे को राजस्व की भारी क्षति हुई है. उत्तर रेलवे और पूर्वोत्तर रेलवे को मिला लिया जाए तो यह नुकसान कई हजार करोड़ रुपये का हुआ है.

काशी-महाकाल का संचालन रुका.
काशी-महाकाल का संचालन रुका.

काशी-महाकाल पर कोरोना ने लगाया ग्रहण
यात्रियों की सुविधा के लिए रेलवे प्रशासन ने फरवरी माह में बनारस से इंदौर के बीच काशी-महाकाल एक्सप्रेस की सौगात दी. दो ज्योतिर्लिंगों के दर्शन करने वाले यात्रियों के लिए यह ट्रेन काफी बेहतर साबित हुई. ट्रेन को यात्रियों का बहुत अच्छा रिस्पाॅन्स मिला. काशी विश्वनाथ व महाकाल के दर्शन करने जाने वालों की संख्या बढ़ने भी लगी थी, लेकिन कोरोना ने इस ट्रेन के संचालन पर ग्रहण लगा दिया.

ट्रेन के संचालन के पहले ही दिन यह ट्रेन विवाद का विषय भी बन गई. इसके बी-5 कोच में एक सीट भोलेनाथ के लिए रिजर्व भी की गई, जो बहस का मुद्दा बना. एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने इसे लेकर सवाल खड़े किए थे, हालांकि यह सीट सिर्फ पहले दिन के लिए ही रिजर्व थी.

तेजस एक्सप्रेस भी हुई बंद.
तेजस एक्सप्रेस भी हुई बंद.

देश की पहले कॉरपोरेट ट्रेन भी हुई बंद
देश की पहली कॉरपोरेट ट्रेन तेजस एक्सप्रेस का संचालन साल 2019 में चार अक्टूबर से प्रारंभ हुआ था. 2019 अक्टूबर से लेकर 2020 मार्च तक तेजस अपनी रफ्तार से दौड़ती रही, लेकिन मार्च में ही कोरोना ने देश में दस्तक दे दी. इस तरह लखनऊ से दिल्ली के बीच संचालित ट्रेन तेजस एक्सप्रेस भी बंद होने को मजबूर हो गई.

इसी साल 17 अक्टूबर से फिर से आईआरसीटीसी ने तेजस का संचालन शुरू किया, लेकिन इस बार यात्री सफर के लिए नहीं निकले. आईआरसीटीसी ने ट्रेन को रफ्तार देने के लिए यात्री सुविधाओं में भी इजाफा किया. 10 लाख रुपये तक का मुफ्त बीमा भी दिया, लेकिन ये ट्रेन यात्रियों को आकर्षित नहीं कर पाई और नवम्बर माह में इसे अगले आदेश तक बंद कर दिया गया. जब यह ट्रेन संचालित नहीं हो पा रही है तो रेलवे के 150 निजी ट्रेनों के संचालन को भी झटका लगा है.

निर्माण कार्य में चारबाग पीछे, गोमतीनगर स्टेशन आगे
1800 करोड़ रुपये की लागत से राजधानी लखनऊ के चारबाग व गोमतीनगर रेलवे स्टेशन का अपग्रेडेशन करने का प्लान है. निर्माण कार्य के मामले में चारबाग रेलवे स्टेशन पिछड़ गया है, जबकि गोमतीनगर रेलवे स्टेशन ने रफ्तार पकड़ ली है. इस साल एनबीसीसी (राष्ट्रीय भवन निर्माण निगम) ने चारबाग के अपग्रेडेशन से खुद को अलग कर लिया. इससे चारबाग स्टेशन के अपग्रेडेशन का काम अटक गया, वहीं गोमतीनगर स्टेशन के अपग्रेडेशन का काम धीरे-धीरे तेजी पकड़ने लगा है.

चारबाग का प्रोजेक्ट फेल होने के पीछे इसका माॅडल ही मुख्य वजह है. माॅडल के तहत रेलवे की जमीनों से होने वाली आमदनी से स्टेशन बनाए जाने थे, लेकिन इस काम को अंजाम तक पहुंचाया नहीं जा सका.

इस साल रहा इन कामों पर जोर
रेलवे प्रशासन ने इस साल उतरेटिया से ट्रांसपोर्टनगर तक एलिवेटेड रूट, आलमबाग, ट्रांसपोर्टनगर, उतरेटिया सहित मंडल के तमाम स्टेशनों के अपग्रेडेशन का काम भी काफी तेजी से किया. रेलवे ने डबलिंग, इलेक्ट्रिफिकेशन के काम भी करवाए. इसी साल पहली बार उत्तर रेलवे के महाप्रबंधक आशुतोष गंगल चारबाग स्टेशन पहुंचे. उन्होंने उत्तर प्रदेश के विभिन्न स्टेशनों का निरीक्षण भी किया, साथ ही तमाम योजनाओं में तेजी लाने के निर्देश भी दिए.

उत्तर रेलवे ने 4.7 मिलियन सोलर यूनिट का किया उत्पादन
इस साल उत्तर रेलवे ने 2.75 मेगावाट सोलर पैनल से लगभग 4.7 मिलियन यूनिट ऊर्जा का उत्पादन किया. सोलर एनर्जी के उत्पादन से रेलवे को 14.3 लाख रुपये की अनुमानित बचत हुई. मंडल के एनएसजी-2 और एनएसजी-3 रेलवे स्टेशन पर एलईडी साइनेज बोर्ड लगाए गए हैं. मंडल में फाइव स्टार रेटिंग के सभी 285 सबमर्सेबिल पम्प स्थापित किए गए.

पूर्वोत्तर रेलवे को मिला पुरस्कार, 2,30,000 यूनिट ऊर्जा का उत्पादन
उत्तर प्रदेश नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा विकास अभिकरण (यूपीनेडा) की तरफ से पूर्वोत्तर रेलवे को सोलर पैनल के जरिए सौर ऊर्जा के ज्यादा से ज्यादा प्रयोग के लिए पहला पुरस्कार दिया गया. पूर्वोत्तर रेलवे देश का पहला ऐसा मंडल बना, जिसे ये पुरस्कार मिला. लखनऊ के मण्डल रेल प्रबन्धक कार्यालय में 180 किलोवाट क्षमता के सोलर पैनल लगे हुए हैं, जिनसे दो लाख 30 हजार यूनिट सौरजनित ऊर्जा का उत्पादन किया गया.

परमाणु ऊर्जा नियामक ने रेलवे अस्पताल को दी सीटी स्कैन करने की मंजूरी
भारत सरकार की परमाणु ऊर्जा नियामक परिषद ने लखनऊ में उत्तर रेलवे के इंडोर अस्पताल को सीटी स्कैन करने की इजाजत दे दी है. इससे अब करोड़ों रुपये की सीटी स्कैन मशीन का बेहतर तरीके से इस्तेमाल किया जा सकेगा. हालांकि स्कैनिंग करने वाले कर्मचारियों को मरीजों का सीटी स्कैन करने के दौरान एटॉमिक एक्ट का पालन करना आवश्यक होगा. अभी तक इस अस्पताल में सीटी स्कैन की व्यवस्था नहीं थी. कोरोना के कारण रेलवे अस्पताल को एल-1 हॉस्पिटल में तब्दील किया गया था. 275 बेड के इस हॉस्पिटल की उपलब्धि यह रही कि यहां पर 983 मरीजों का उपचार किया गया. जिसमें आठ लोगों की जान गई, बाकी अन्य भर्ती हुए लोगों को बचा लिया गया.

यात्री ट्रेनें चलने पर होगी रेलवे के नुकसान की भरपाई
यह साल रेलवे के लिए काफी नुकसानदायक साबित हुआ है. रेलवे कर्मचारियों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा. उनका महंगाई भत्ता (डीए) फ्रीज कर दिया गया. अब सरकार ने जुलाई 2021 में देने की बात कही है. इसके अलावा कर्मचारियों के बोनस पर सरकार ने रोक लगा दी थी, लेकिन काफी प्रयासों के बाद बोनस रिलीज किया गया. यह जरूर है कि जब ट्रेनें बंद थीं तो कर्मचारियों ने माल गाड़ियों का खूब संचालन किया. इस बार माल ढोने का रिकॉर्ड बना. अभी रेलवे सिर्फ स्पेशल ट्रेनें चला रहा है, जिससे यात्रियों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.

लखनऊ: वैसे तो साल 2020 हर लिहाज से चुनौतिपूर्ण रहा लेकिन रेलवे के लिए भारतीय रेलवे के गौरवशाली इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ जब सभी ट्रेनों के पहिए एक साथ थम गए. हमेशा यात्रियों से गुलजार रहने वाले रेलवे प्लेटफॉर्म सुनसान हो गए. जिन ट्रेनों की सीटों पर बैठकर यात्री सफर करते थे, उन्हें मरीजों के लिए रिजर्व कर दिया गया.

स्पेशल रिपोर्ट.

साल 2020 में वैश्विक महामारी कोरोना के कहर के कारण ट्रेनों की बोगियां अस्पताल में तब्दील कर दी गईं. कोविड के झटके से अब तक भारतीय रेल उबर नहीं पाई है. चुनौती ऐसी है कि सामान्य ट्रेनों के बजाय सिर्फ स्पेशल ट्रेनों का ही संचालन किया जा रहा है. दूसरी ओर कोरोना के चलते निजी ट्रेनों का संचालन भी बंद है.

आईआरसीटीसी की तेजस ट्रेन कोरोना की भेंट चढ़ गई, वहीं काशी महाकाल एक्सप्रेस भी बंद करनी पड़ी. ऐसे में 150 निजी ट्रेनों के संचालन का सपना देख रहे भारतीय रेलवे को निराशा ही हाथ लगी है. इस साल रेलवे की तमाम योजनाओं को अमलीजामा नहीं पहनाया जा सका. कुल मिलाकर रेलवे के लिए साल 2020 नुकसानदायक साबित हुआ है.

प्रवासी श्रमिक पहुंचे अपने गन्तव्य.
प्रवासी श्रमिक पहुंचे अपने गन्तव्य.

1661 ट्रेनें चलाकर घर पहुंचाए गए 26 लाख प्रवासी श्रमिक
कोरोना के चलते मार्च माह से जून तक लॉकडाउन किया गया था. इस दौरान दिल्ली, मुम्बई, केरल, बेंगलुरु, अहमदाबाद और कोलकाता जैसे शहरों में फंसे प्रवासी श्रमिकों को वापस घर लाने के लिए रेलवे प्रशासन ने सैकड़ों श्रमिक स्पेशल ट्रेनों का संचालन किया. इसके लिए उत्तर रेलवे के मंडल रेल प्रबंधक संजय त्रिपाठी को प्रदेश का नोडल अफसर बनाया गया.

संजय त्रिपाठी ने ईटीवी भारत को बताया कि लॉकडाउन में कुल 1661 ट्रेनों का संचालन कर तकरीबन 26 लाख श्रमिकों को उनके गन्तव्य तक पहुंचाया गया. इन श्रमिकों के लिए रेलवे स्टेशन पर सैनिटाइजेशन, स्क्रीनिंग और खाने का पूरा इंतजाम किया गया. इसके अलावा कैरिज एंड वैगन वर्कशाॅप में रेलवे ने सैनिटाइजर, मास्क, पीपीई किट भी बनवाए. रेलवे प्रशासन ने अपने सभी कर्मचारियों को स्वनिर्मित मास्क उपलब्ध कराए, ताकि यात्री सुरक्षित रहें.

रेलवे के इतिहास में पहली बार सूनी हुई रेल की पटरी
भारतीय रेल के इतिहास में यह पहला मौका था, जब रेलवे की सूनी पटरियां ट्रेनों के दौड़ने का इंतजार करते रहीं और ट्रेनें पटरी पर दौड़ने के बजाय यार्ड में खड़ी हो गईं. उत्तर व पूर्वाेत्तर रेलवे के लखनऊ मंडलों से चलने वाली शताब्दी, पुष्पक, गोमती, एसी एक्सप्रेस सहित 200 से ज्यादा ट्रेनों का संचालन बंद कर दिया गया. चारबाग व लाख जंक्शन जैसे स्टेशन दिन-रात यात्रियों से गुलजार रहते थे, वहीं कोरोना के दौर में यही स्टेशन पूरी तरह बेजार हो गए.

बनाए गए कोविड कोच
कोरोना के दौर में ट्रेनों का संचालन बंद हो गया. आपातकालीन स्थिति से निपटने के लिए सरकार की तरफ से ट्रेन की बोगियों को अस्पताल में तब्दील करने का निर्देश जारी हुआ. रेलवे ने अपनी तमाम ट्रेनों को वर्कशॉप में आइसोलेशन कोच के रूप में तब्दील कर दिया. कोच को अस्पताल की तरह बनाया गया. यहां पर सीटों का एडजस्टमेंट किया गया. साथ ही ट्रांसपेरेंट पर्दे, ऑक्सीजन गैस सिलेंडर, डॉक्टरों के लिए केबिन और डस्टबिन की व्यवस्था समेत बाथरूम को भी अलग तरह का बना दिया गया. हालांकि अस्पतालों की व्यवस्थाएं दुरुस्त होने से रेलवे के आइसोलेशन कोच का काफी कम इस्तेमाल हुआ.

रेलवे को हुआ भारी नुकसान.
रेलवे को हुआ भारी नुकसान.

ट्रेनें बंद रहने से भारी-भरकम राजस्व का नुकसान
कोरोना वायरस के अटैक ने रेलवे को झटके पर झटके दिए. ट्रेनों का संचालन बंद होने से रेलवे को बड़ा नुकसान उठाना पड़ा है. 21 मार्च को जब रेलवे ने ट्रेनों को बंद करने का एलान किया तो एक माह के अंदर उत्तर रेलवे की कमाई 110 करोड़ रुपये कम हो गई. पांच माह तक ट्रेंनें बंद रहने से रेलवे को राजस्व की भारी क्षति हुई है. उत्तर रेलवे और पूर्वोत्तर रेलवे को मिला लिया जाए तो यह नुकसान कई हजार करोड़ रुपये का हुआ है.

काशी-महाकाल का संचालन रुका.
काशी-महाकाल का संचालन रुका.

काशी-महाकाल पर कोरोना ने लगाया ग्रहण
यात्रियों की सुविधा के लिए रेलवे प्रशासन ने फरवरी माह में बनारस से इंदौर के बीच काशी-महाकाल एक्सप्रेस की सौगात दी. दो ज्योतिर्लिंगों के दर्शन करने वाले यात्रियों के लिए यह ट्रेन काफी बेहतर साबित हुई. ट्रेन को यात्रियों का बहुत अच्छा रिस्पाॅन्स मिला. काशी विश्वनाथ व महाकाल के दर्शन करने जाने वालों की संख्या बढ़ने भी लगी थी, लेकिन कोरोना ने इस ट्रेन के संचालन पर ग्रहण लगा दिया.

ट्रेन के संचालन के पहले ही दिन यह ट्रेन विवाद का विषय भी बन गई. इसके बी-5 कोच में एक सीट भोलेनाथ के लिए रिजर्व भी की गई, जो बहस का मुद्दा बना. एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने इसे लेकर सवाल खड़े किए थे, हालांकि यह सीट सिर्फ पहले दिन के लिए ही रिजर्व थी.

तेजस एक्सप्रेस भी हुई बंद.
तेजस एक्सप्रेस भी हुई बंद.

देश की पहले कॉरपोरेट ट्रेन भी हुई बंद
देश की पहली कॉरपोरेट ट्रेन तेजस एक्सप्रेस का संचालन साल 2019 में चार अक्टूबर से प्रारंभ हुआ था. 2019 अक्टूबर से लेकर 2020 मार्च तक तेजस अपनी रफ्तार से दौड़ती रही, लेकिन मार्च में ही कोरोना ने देश में दस्तक दे दी. इस तरह लखनऊ से दिल्ली के बीच संचालित ट्रेन तेजस एक्सप्रेस भी बंद होने को मजबूर हो गई.

इसी साल 17 अक्टूबर से फिर से आईआरसीटीसी ने तेजस का संचालन शुरू किया, लेकिन इस बार यात्री सफर के लिए नहीं निकले. आईआरसीटीसी ने ट्रेन को रफ्तार देने के लिए यात्री सुविधाओं में भी इजाफा किया. 10 लाख रुपये तक का मुफ्त बीमा भी दिया, लेकिन ये ट्रेन यात्रियों को आकर्षित नहीं कर पाई और नवम्बर माह में इसे अगले आदेश तक बंद कर दिया गया. जब यह ट्रेन संचालित नहीं हो पा रही है तो रेलवे के 150 निजी ट्रेनों के संचालन को भी झटका लगा है.

निर्माण कार्य में चारबाग पीछे, गोमतीनगर स्टेशन आगे
1800 करोड़ रुपये की लागत से राजधानी लखनऊ के चारबाग व गोमतीनगर रेलवे स्टेशन का अपग्रेडेशन करने का प्लान है. निर्माण कार्य के मामले में चारबाग रेलवे स्टेशन पिछड़ गया है, जबकि गोमतीनगर रेलवे स्टेशन ने रफ्तार पकड़ ली है. इस साल एनबीसीसी (राष्ट्रीय भवन निर्माण निगम) ने चारबाग के अपग्रेडेशन से खुद को अलग कर लिया. इससे चारबाग स्टेशन के अपग्रेडेशन का काम अटक गया, वहीं गोमतीनगर स्टेशन के अपग्रेडेशन का काम धीरे-धीरे तेजी पकड़ने लगा है.

चारबाग का प्रोजेक्ट फेल होने के पीछे इसका माॅडल ही मुख्य वजह है. माॅडल के तहत रेलवे की जमीनों से होने वाली आमदनी से स्टेशन बनाए जाने थे, लेकिन इस काम को अंजाम तक पहुंचाया नहीं जा सका.

इस साल रहा इन कामों पर जोर
रेलवे प्रशासन ने इस साल उतरेटिया से ट्रांसपोर्टनगर तक एलिवेटेड रूट, आलमबाग, ट्रांसपोर्टनगर, उतरेटिया सहित मंडल के तमाम स्टेशनों के अपग्रेडेशन का काम भी काफी तेजी से किया. रेलवे ने डबलिंग, इलेक्ट्रिफिकेशन के काम भी करवाए. इसी साल पहली बार उत्तर रेलवे के महाप्रबंधक आशुतोष गंगल चारबाग स्टेशन पहुंचे. उन्होंने उत्तर प्रदेश के विभिन्न स्टेशनों का निरीक्षण भी किया, साथ ही तमाम योजनाओं में तेजी लाने के निर्देश भी दिए.

उत्तर रेलवे ने 4.7 मिलियन सोलर यूनिट का किया उत्पादन
इस साल उत्तर रेलवे ने 2.75 मेगावाट सोलर पैनल से लगभग 4.7 मिलियन यूनिट ऊर्जा का उत्पादन किया. सोलर एनर्जी के उत्पादन से रेलवे को 14.3 लाख रुपये की अनुमानित बचत हुई. मंडल के एनएसजी-2 और एनएसजी-3 रेलवे स्टेशन पर एलईडी साइनेज बोर्ड लगाए गए हैं. मंडल में फाइव स्टार रेटिंग के सभी 285 सबमर्सेबिल पम्प स्थापित किए गए.

पूर्वोत्तर रेलवे को मिला पुरस्कार, 2,30,000 यूनिट ऊर्जा का उत्पादन
उत्तर प्रदेश नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा विकास अभिकरण (यूपीनेडा) की तरफ से पूर्वोत्तर रेलवे को सोलर पैनल के जरिए सौर ऊर्जा के ज्यादा से ज्यादा प्रयोग के लिए पहला पुरस्कार दिया गया. पूर्वोत्तर रेलवे देश का पहला ऐसा मंडल बना, जिसे ये पुरस्कार मिला. लखनऊ के मण्डल रेल प्रबन्धक कार्यालय में 180 किलोवाट क्षमता के सोलर पैनल लगे हुए हैं, जिनसे दो लाख 30 हजार यूनिट सौरजनित ऊर्जा का उत्पादन किया गया.

परमाणु ऊर्जा नियामक ने रेलवे अस्पताल को दी सीटी स्कैन करने की मंजूरी
भारत सरकार की परमाणु ऊर्जा नियामक परिषद ने लखनऊ में उत्तर रेलवे के इंडोर अस्पताल को सीटी स्कैन करने की इजाजत दे दी है. इससे अब करोड़ों रुपये की सीटी स्कैन मशीन का बेहतर तरीके से इस्तेमाल किया जा सकेगा. हालांकि स्कैनिंग करने वाले कर्मचारियों को मरीजों का सीटी स्कैन करने के दौरान एटॉमिक एक्ट का पालन करना आवश्यक होगा. अभी तक इस अस्पताल में सीटी स्कैन की व्यवस्था नहीं थी. कोरोना के कारण रेलवे अस्पताल को एल-1 हॉस्पिटल में तब्दील किया गया था. 275 बेड के इस हॉस्पिटल की उपलब्धि यह रही कि यहां पर 983 मरीजों का उपचार किया गया. जिसमें आठ लोगों की जान गई, बाकी अन्य भर्ती हुए लोगों को बचा लिया गया.

यात्री ट्रेनें चलने पर होगी रेलवे के नुकसान की भरपाई
यह साल रेलवे के लिए काफी नुकसानदायक साबित हुआ है. रेलवे कर्मचारियों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा. उनका महंगाई भत्ता (डीए) फ्रीज कर दिया गया. अब सरकार ने जुलाई 2021 में देने की बात कही है. इसके अलावा कर्मचारियों के बोनस पर सरकार ने रोक लगा दी थी, लेकिन काफी प्रयासों के बाद बोनस रिलीज किया गया. यह जरूर है कि जब ट्रेनें बंद थीं तो कर्मचारियों ने माल गाड़ियों का खूब संचालन किया. इस बार माल ढोने का रिकॉर्ड बना. अभी रेलवे सिर्फ स्पेशल ट्रेनें चला रहा है, जिससे यात्रियों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.

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