लखनऊ: यूपी के सरकारी और अपर प्राइमरी स्कूलों में पढ़ने वाले करीब 2 लाख शिक्षामित्र और अनुदेशक सरकार से नाराज हैं. इनकी नाराजगी बेसिक शिक्षा परिषद (Basic Education Council) की ओर से संविदा अवधि के आदेश को लेकर है. यह शिक्षामित्र और अनुदेशक बीते लंबे समय से 12 महीने का मानदेय दिए जाने की मांग कर रहे हैं. सरकार ने यह मांग तो नहीं मानी, लेकिन एक अटपटा फरमान और जारी कर दिया है.
अभी तक यह शिक्षक 1 जुलाई से 31 मई तक की संविदा पर काम करते थे. अब इनकी संविदा अवधि में परिवर्तन कर दिया गया है. यह संविदा अवधि अब 16 जून से 31 मई तक होगी. लेकिन उनकी सेवाएं 11 महीने की ही रहेंगी. बीच में 31 दिसंबर से 14 जनवरी तक होने वाले शीतकालीन अवकाश का मानदेय नहीं दिया जाएगा. इसको लेकर अनुदेशकों और शिक्षामित्र में काफी नाराजगी है. प्रदेश में शिक्षामित्रों की संख्या करीब 1 लाख 48 हजार और अनुदेशकों की संख्या करीब 28 हजार है.
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यह है अनुदेशकों का प्रदेश में हाल
उत्तर प्रदेश के बेसिक शिक्षा विभाग के अधीन संचालित सरकारी अपर प्राइमरी स्कूल अनुदेशकों के सहारे चल रहे हैं. अनुदेशक अंकुश जैन ने बताया कि प्रदेश के 27 हजार से ज्यादा अनुदेशकों का मानदेय केंद्र ने 2017 में बढ़ाकर 17000 रुपये कर दिया था, जिसको यूपी सरकार ने लागू नहीं किया है. मानदेय बढ़ाने की मांग को लेकर अनुदेशकों ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक याचिका दाखिल की थी. इस पर सुनवाई के बाद जस्टिस राजेश चौहान के सिंगल बेंच ने 3 जुलाई 2019 को आदेश पारित किया था कि अनुदेशकों को 2017 से 17000 रुपये का मानदेय 9 फीसदी ब्याज के साथ दिया जाए. लेकिन, राज्य सरकार ने सिंगल बेंच के आदेश का पालन नहीं किया और इस फैसले के खिलाफ विशेष अपील में चली गई.
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