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लखनऊ में महीनों से बंद रही वाटर टेस्टिंग, घरों में सप्लाई होता रहा दूषित पानी

प्रदेश की राजधानी लखनऊ में वाटर टेस्टिंग महीनों से बंद है. इसके कारण राजधानी के कई इलाको में दूषित पानी सप्लाई हो रहा है. वहीं राजधानी के बालू अड्डा क्षेत्र में दूषित पानी पीने से दो की मौत हो गई है. वहीं सौ के करीब लोग पेट में संक्रमण से परेशान हैं. बीमारी फैलने के बाद इलाके में अफसरों का दौरा हुआ. इसके बाद जिम्मेदार जागे और जलापूर्ति सही की.

लखनऊ में दूषित पानी पीने से 2 की मौत
लखनऊ में दूषित पानी पीने से 2 की मौत
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Published : Aug 10, 2021, 2:13 PM IST

लखनऊ: सरकार घर-घर स्वच्छ पेयजल आपूर्ति का दावा कर रही है. वहीं प्रदेश की राजधानी में ही अफसर उसकी मंशा पर पानी फेर रहे हैं. ऐसे में गंदा पानी पीकर लोग बीमार हो रहे हैं. सोमवार को बालू अड्डा में फैली बीमारी इसका एक मात्र उदाहरणभर है. यह समस्या कई इलाक़ों में है.

राजधानी के बालू अड्डा क्षेत्र में दूषित पानी पीने से दो की मौत हो गई है. वहीं सौ के करीब लोग पेट में संक्रमण से परेशान हैं. यह सरकारी से लेकर निजी अस्पताल, क्लीनिकों में इलाज करा रहे हैं. बीमारी फैलने पर स्वास्थ्य विभाग, जलकल विभाग की टीम व अफसर पहुंचे. क्षेत्र में दवा बांटी गई. साथ ही पानी में डालने के लिए क्लोरीन की गोली दी गईं. इस दौरान सोमवार रात को इलाके में पानी की आपूर्ति कर रहे नगर निगम के टैंकर के नमूने लिए गए. यह नमूने फेल पाए गए. इसमें क्लोरीन की मात्रा नहीं पाई गई है. ऐसे में सीएमओ डॉ. मनोज अग्रवाल को टीम ने रिपोर्ट भेज दी है. इसे वह प्रशासन को भेजेंगे. वहीं डालीगंज, त्रिवेणीनगर, खदरा, फैजुल्लागंज, चिनहट के कई मोहल्लों में बीमारी फैलने का खतरा है.

बीमारी फैलने के बाद इलाके में अफसरों का दौरा हुआ
बीमारी फैलने के बाद इलाके में अफसरों का दौरा हुआ

बीमारी फैलने के बाद सही की आपूर्ति
बीमारी फैलने के बाद इलाके में अफसरों का दौरा हुआ. इसके बाद जिम्मेदार जागे. उन्होंने जलापूर्ति सही की. मंगलवार को सुबह आपूर्ति हो रहे पानी के 5 सैम्पल लिए. इसमें क्लोरीन की मात्रा सही पाई गई.

तीन महीने ठप रही टेस्टिंग
राजधानी में स्वच्छ पेयजल आपूर्ति की मॉनिटरिंग व्यवस्था ध्वस्त रही. अप्रैल से अक्टूबर तक टेस्टिंग अभियान चलाया जाता है. वहीं इस बार अप्रैल से जून तक सैम्पल कलेक्शन नहीं किए गए. क्लोरीन टेस्टिंग से लेकर बैक्टीरियल टेस्ट भी नहीं किए गए. वहीं पहले जहां 5 से 6 हजार सैम्पल पानी की जांच के लिए भेजे जाते थे. वहीं इस वर्ष से सिर्फ 600 सैम्पल की ही जांच हुई है.

इसे भी पढ़ें-वाट्सएप पर वैक्सीनेशन सर्टिफिकेट, 13 जिलों में कालाजार पर वार

कोरोना की वजह से इस बार वाटर टेस्टिंग प्रभावित रही. जलकल विभाग को पत्र लिखा गया है. वह पानी की व्यवस्था दुरुस्त करे, ताकि लोगों को बीमारी से बचाया जा सके.
-डॉ केपी त्रिपाठी, जिला संचारी रोग अधिकारी

लखनऊ: सरकार घर-घर स्वच्छ पेयजल आपूर्ति का दावा कर रही है. वहीं प्रदेश की राजधानी में ही अफसर उसकी मंशा पर पानी फेर रहे हैं. ऐसे में गंदा पानी पीकर लोग बीमार हो रहे हैं. सोमवार को बालू अड्डा में फैली बीमारी इसका एक मात्र उदाहरणभर है. यह समस्या कई इलाक़ों में है.

राजधानी के बालू अड्डा क्षेत्र में दूषित पानी पीने से दो की मौत हो गई है. वहीं सौ के करीब लोग पेट में संक्रमण से परेशान हैं. यह सरकारी से लेकर निजी अस्पताल, क्लीनिकों में इलाज करा रहे हैं. बीमारी फैलने पर स्वास्थ्य विभाग, जलकल विभाग की टीम व अफसर पहुंचे. क्षेत्र में दवा बांटी गई. साथ ही पानी में डालने के लिए क्लोरीन की गोली दी गईं. इस दौरान सोमवार रात को इलाके में पानी की आपूर्ति कर रहे नगर निगम के टैंकर के नमूने लिए गए. यह नमूने फेल पाए गए. इसमें क्लोरीन की मात्रा नहीं पाई गई है. ऐसे में सीएमओ डॉ. मनोज अग्रवाल को टीम ने रिपोर्ट भेज दी है. इसे वह प्रशासन को भेजेंगे. वहीं डालीगंज, त्रिवेणीनगर, खदरा, फैजुल्लागंज, चिनहट के कई मोहल्लों में बीमारी फैलने का खतरा है.

बीमारी फैलने के बाद इलाके में अफसरों का दौरा हुआ
बीमारी फैलने के बाद इलाके में अफसरों का दौरा हुआ

बीमारी फैलने के बाद सही की आपूर्ति
बीमारी फैलने के बाद इलाके में अफसरों का दौरा हुआ. इसके बाद जिम्मेदार जागे. उन्होंने जलापूर्ति सही की. मंगलवार को सुबह आपूर्ति हो रहे पानी के 5 सैम्पल लिए. इसमें क्लोरीन की मात्रा सही पाई गई.

तीन महीने ठप रही टेस्टिंग
राजधानी में स्वच्छ पेयजल आपूर्ति की मॉनिटरिंग व्यवस्था ध्वस्त रही. अप्रैल से अक्टूबर तक टेस्टिंग अभियान चलाया जाता है. वहीं इस बार अप्रैल से जून तक सैम्पल कलेक्शन नहीं किए गए. क्लोरीन टेस्टिंग से लेकर बैक्टीरियल टेस्ट भी नहीं किए गए. वहीं पहले जहां 5 से 6 हजार सैम्पल पानी की जांच के लिए भेजे जाते थे. वहीं इस वर्ष से सिर्फ 600 सैम्पल की ही जांच हुई है.

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कोरोना की वजह से इस बार वाटर टेस्टिंग प्रभावित रही. जलकल विभाग को पत्र लिखा गया है. वह पानी की व्यवस्था दुरुस्त करे, ताकि लोगों को बीमारी से बचाया जा सके.
-डॉ केपी त्रिपाठी, जिला संचारी रोग अधिकारी

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