लखनऊ : इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2021 के विरोध में ‘नेशनल कोआर्डिनेशन कमेटी ऑफ इलेक्ट्रिसिटी इम्पलॉईस एंड इंजीनियर्स' के निर्णय पर देश के 15 लाख बिजली कर्मचारियों और इंजीनियरों के साथ प्रदेश के बिजलीकर्मी, जूनियर इंजीनियर भी तीन फरवरी को एक दिन का कार्य बहिष्कार करेंगे. हालांकि उत्पादन, पारेषण और सिस्टम ऑपरेशन में कार्य करने वाले कर्मी सांकेतिक कार्य बहिष्कार से अलग रहेंगे. वहीं विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति भी इस आन्दोलन के समर्थन का पहले ही एलान कर चुकी है.
इन्हें सौंपी जिम्मेदारी
उत्तर प्रदेश बिजली बोर्ड इम्प्लाइज यूनियन ने आन्दोलन को सफल बनाने की योजना बनाई है. यूनियन की बैठक में भगवान मिश्रा, को केस्को, सुरेन्द्र सिंह को पश्चिमी उत्तर प्रदेश, ओपी वर्मा को अलीगढ़, विश्वम्भर सिंह को पूर्वाचल और अनपरा की जिम्मेदारी दी गई. संगठन ने अपनी सभी इकाईयों को निर्देश दिया है कि वह तीन फरवरी के कार्य बहिष्कार कार्यक्रम में अपनी पूरी ताकत लगाएं. संगठन ने उपभोक्ताओं को भी इस आन्दोलन की मांगों से अवगत कराने और उन पर पड़ने वाले प्रभावों की जानकारी देने का निर्णय लिया है.
प्रमुख मांगें
उत्तर प्रदेश बिजली बोर्ड इम्प्लाइज यूनियन ने कहा है कि इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2021 को वर्तमान सत्र में पास करने की घोषणा केन्द्र सरकार ने की है. कार्य वहिष्कार की प्रमुख मांगों में इलेक्ट्रिसिटी (अमेडमेंट) बिल 2021 और विद्युत वितरण कम्पनियों के निजीकरण के लिये लाए जा रहे स्टैन्डर्ड बिडिंग डाक्यूमेंट को निरस्त किया जाए. केंद्र शासित प्रदेशों और किसी अन्य प्रान्त में चल रही निजीकरण की प्रक्रिया को वापस लिया जाए. उन्होंने कहा कि ग्रेटर नोयडा का निजीकरण और आगरा का फ्रेन्चाइजी करार भी रद्द किया जाए. सभी उर्जा निगमों को एकीकृत कर उत्पादन वितरण और पारेषण को एक साथ रखते हुये केरल और हिमाचंल की तरह उत्तर प्रदेश में भी यूपीएसईबी लि. का गठन किया जाए. नियमित पदों पर नियमित भर्ती की जाए. संविदा और निविदा कर्मचारियों को तेलंगाना की तरह ही नियमित किया जाए.
तेज किया जाएगा आंदोलन
उत्तर प्रदेश बिजली बोर्ड इम्प्लाइज यूनियन के अध्यक्ष भगवान मिश्रा, महामंत्री विश्वम्भर सिंह और उपाध्यक्ष सुरेन्द्र सिंह ने कहा है कि सरकार इस बिल को वापस नहीं लेती है तो आन्दोलन तेज किया जाएगा.