लखीमपुर खीरी: दुधवा टाइगर रिजर्व यूं तो देश की सबसे बड़ी बारहसिंघों (स्वेम्प डियर) की तादात के लिए मशहूर है. वहीं दुधवा ही देश में अकेला ऐसा टाइगर रिजर्व है जिसमें एक साथ पांच प्रजाति के हिरण पाए जाते हैं. काकड़, सांभर, पाढ़ा, स्पॉटेड डियर (चीतल) और बारहसिंघा एक साथ तराई के इस जंगल मे पाए जाते हैं.
दुधवा नेशनल पार्क बारहसिंघों का स्वर्ग कहा जाता है. दुधवा अपनी जैव विविधता और हरियाली के लिए भी जाना जाता है. जंगली हाथी, भालू, और एक सिंघी गैंडा दुधवा को अनोखा बनाते हैं. वहीं मग़र, घड़ियाल, कछुओं की भी कई प्रजातियां यहां की खूबसूरती बढ़ाते हैं.
- दुधवा टाइगर रिजर्व में पिछले कुछ सालों आए बाघों की तादात भी बढ़ी है. इसके साथ ही शाकाहारी जानवरों के एक साथ इतने बड़े बड़े झुंड देखे जाने से वन्यजीव प्रेमियों में खुशी की लहर है.
- किशनपुर सेंचुरी के झादी ताल में इन दिनों हिरणों के छह सौ तक के झुंड दिखाई दिये हैं.
- 490 वर्ग किलोमीटर में फैले दुधवा टाइगर रिजर्व में साखू ,साल, असना, बेहड़ा के जंगलो में बाघों के साथ शाकाहारी जानवरों के बढ़ने को पार्क अफसर शुभ संकेत मानते हैं.
हमनें गर्मी में भी वाटर होल्स कराकर जानवरों को पानी उपलब्ध कराया है. प्राकृतिक जलश्रोतों के साथ इन जलाशयों में जानवर अपनी प्यास बुझा लेते हैं. बेहतर सुरक्षा ने जंगली शाकाहारी जानवरों को सुरक्षित ठिकाना मुहैया हुआ है. इसलिए हिरणों की तादात भी बढ़ती दिख रही है.
महावीर कौजलगी डिप्टी डायरेक्टर
जंगल मे शाकाहारी जानवरों की और बाघ की तादात बढ़ना जंगल की इकोलॉजी के बेहतरी को दर्शाता है. जंगल में तृणचरों की तादात बढ़ना खुशी की बात है. इससे जंगल में बैलेंस का पता चलता हैं.
रमेश कुमार पांडेय, फील्ड डायरेक्टर