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लखीमपुर खीरी: हिरणों से गुलजार हुआ दुधवा का झादी ताल

दुधवा टाइगर रिजर्व इन दिनों हिरणों के झूंडों से गुलजार है. किशनपुर सेंचुरी के झादी ताल में सैकड़ों की तादाद में हिरणों का झुंड सैलानियों ने देखे है. इससे दुधवा नेशनल पार्क में आने वाले सैलानी काफी खुश है. वहीं दुधवा नेशनल पार्क के अफसर भी शाकाहारी जानवरों की बढ़ती तादात देखकर जंगल के लिए इसे शुभ मान रहे.

हिरणों से गुलजार हुआ दुधवा का झादी ताल
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Published : May 25, 2019, 9:22 PM IST

लखीमपुर खीरी: दुधवा टाइगर रिजर्व यूं तो देश की सबसे बड़ी बारहसिंघों (स्वेम्प डियर) की तादात के लिए मशहूर है. वहीं दुधवा ही देश में अकेला ऐसा टाइगर रिजर्व है जिसमें एक साथ पांच प्रजाति के हिरण पाए जाते हैं. काकड़, सांभर, पाढ़ा, स्पॉटेड डियर (चीतल) और बारहसिंघा एक साथ तराई के इस जंगल मे पाए जाते हैं.

दुधवा नेशनल पार्क बारहसिंघों का स्वर्ग कहा जाता है. दुधवा अपनी जैव विविधता और हरियाली के लिए भी जाना जाता है. जंगली हाथी, भालू, और एक सिंघी गैंडा दुधवा को अनोखा बनाते हैं. वहीं मग़र, घड़ियाल, कछुओं की भी कई प्रजातियां यहां की खूबसूरती बढ़ाते हैं.

हिरणों से गुलजार हुआ दुधवा का झादी ताल
  • दुधवा टाइगर रिजर्व में पिछले कुछ सालों आए बाघों की तादात भी बढ़ी है. इसके साथ ही शाकाहारी जानवरों के एक साथ इतने बड़े बड़े झुंड देखे जाने से वन्यजीव प्रेमियों में खुशी की लहर है.
  • किशनपुर सेंचुरी के झादी ताल में इन दिनों हिरणों के छह सौ तक के झुंड दिखाई दिये हैं.
  • 490 वर्ग किलोमीटर में फैले दुधवा टाइगर रिजर्व में साखू ,साल, असना, बेहड़ा के जंगलो में बाघों के साथ शाकाहारी जानवरों के बढ़ने को पार्क अफसर शुभ संकेत मानते हैं.

हमनें गर्मी में भी वाटर होल्स कराकर जानवरों को पानी उपलब्ध कराया है. प्राकृतिक जलश्रोतों के साथ इन जलाशयों में जानवर अपनी प्यास बुझा लेते हैं. बेहतर सुरक्षा ने जंगली शाकाहारी जानवरों को सुरक्षित ठिकाना मुहैया हुआ है. इसलिए हिरणों की तादात भी बढ़ती दिख रही है.
महावीर कौजलगी डिप्टी डायरेक्टर

जंगल मे शाकाहारी जानवरों की और बाघ की तादात बढ़ना जंगल की इकोलॉजी के बेहतरी को दर्शाता है. जंगल में तृणचरों की तादात बढ़ना खुशी की बात है. इससे जंगल में बैलेंस का पता चलता हैं.
रमेश कुमार पांडेय, फील्ड डायरेक्टर

लखीमपुर खीरी: दुधवा टाइगर रिजर्व यूं तो देश की सबसे बड़ी बारहसिंघों (स्वेम्प डियर) की तादात के लिए मशहूर है. वहीं दुधवा ही देश में अकेला ऐसा टाइगर रिजर्व है जिसमें एक साथ पांच प्रजाति के हिरण पाए जाते हैं. काकड़, सांभर, पाढ़ा, स्पॉटेड डियर (चीतल) और बारहसिंघा एक साथ तराई के इस जंगल मे पाए जाते हैं.

दुधवा नेशनल पार्क बारहसिंघों का स्वर्ग कहा जाता है. दुधवा अपनी जैव विविधता और हरियाली के लिए भी जाना जाता है. जंगली हाथी, भालू, और एक सिंघी गैंडा दुधवा को अनोखा बनाते हैं. वहीं मग़र, घड़ियाल, कछुओं की भी कई प्रजातियां यहां की खूबसूरती बढ़ाते हैं.

हिरणों से गुलजार हुआ दुधवा का झादी ताल
  • दुधवा टाइगर रिजर्व में पिछले कुछ सालों आए बाघों की तादात भी बढ़ी है. इसके साथ ही शाकाहारी जानवरों के एक साथ इतने बड़े बड़े झुंड देखे जाने से वन्यजीव प्रेमियों में खुशी की लहर है.
  • किशनपुर सेंचुरी के झादी ताल में इन दिनों हिरणों के छह सौ तक के झुंड दिखाई दिये हैं.
  • 490 वर्ग किलोमीटर में फैले दुधवा टाइगर रिजर्व में साखू ,साल, असना, बेहड़ा के जंगलो में बाघों के साथ शाकाहारी जानवरों के बढ़ने को पार्क अफसर शुभ संकेत मानते हैं.

हमनें गर्मी में भी वाटर होल्स कराकर जानवरों को पानी उपलब्ध कराया है. प्राकृतिक जलश्रोतों के साथ इन जलाशयों में जानवर अपनी प्यास बुझा लेते हैं. बेहतर सुरक्षा ने जंगली शाकाहारी जानवरों को सुरक्षित ठिकाना मुहैया हुआ है. इसलिए हिरणों की तादात भी बढ़ती दिख रही है.
महावीर कौजलगी डिप्टी डायरेक्टर

जंगल मे शाकाहारी जानवरों की और बाघ की तादात बढ़ना जंगल की इकोलॉजी के बेहतरी को दर्शाता है. जंगल में तृणचरों की तादात बढ़ना खुशी की बात है. इससे जंगल में बैलेंस का पता चलता हैं.
रमेश कुमार पांडेय, फील्ड डायरेक्टर

Intro:लखीमपुर- दुधवा टाइगर रिजर्व इन दिनों हीरोइनों के झंडों से गुलजार है। किशनपुर सेंचुरी के झादी ताल में सैकड़ों की तादाद में हिरणों के दौरान झुंड सैलानियों को दिखाई पड़ रहे हैं। इससे दुधवा आने वाले सैलानी काफी खुश हैं। वहीं पार्क के अफसर भी शाकाहारी जानवरों की बढ़ती तादात देखकर जंगल के लिए इसे शुभ मान रहे। पार्क के फील्ड डायरेक्टर कहते हैं। जंगल मे शाकाहारी जानवरों की तादात बढ़ना बाघ और जंगल की इकोलॉजी के बेहतरी को दर्शाता है।
दुधवा टाइगर रिजर्व यूँ तो देश की सबसे बड़ी बारहसिंघों(स्वेम्प डियर)की तादात के लिए मशहूर है। वहीं दुधवा ही देश मे इकलौता ऐसा टाइगर रिजर्व है जिसमें एक साथ पाँच प्रजाति के हिरण पाए जाते हैं। काकड़,सांभर,पाढ़ा,स्पॉटेड डियर यानी चीतल और बारहसिंघा एक साथ तराई के इस जंगल मे पाए जाते हैं। दुधवा यूँ तो बारहसिंघों का स्वर्ग कहा जाता है और बाघों के लिए मशहूर है। पर दुधवा अपनी जैव विविधता और हरियाली के लिए भी जाना जाता है। जंगली हाथी,भालू,और एकसिंघी गैंडा दुधवा को एक्सक्लूसिव बनाते हैं। वहीं मग़र,घड़ियाल कछुओं की भी कई प्रजातियाँ यहाँ की खूबसूरती बढाते हैं।


Body:दुधवा टाइगर रिजर्व में पिछले कुछ सालों आए बाघों की तादात भी बढ़ी है। इसके साथ ही शाकाहारी जानवरों के एक साथ इतने बड़े बड़े झुंड देखे जाने से वन्यजीव प्रेमियों में खुशी की लहर है।
किशनपुर सेंचुरी के झादी ताल में दिनों हिरणों के छह सौ तक के झुंड दिख रहे हैं। इससे पार्क के अफसर काफी खुश हैं।
दुधवा के डिप्टी डायरेक्टर महावीर कौजलगी कहते हैं। हमनें गर्मी में भी वाटर होल्स कराकर जानवरों को पानी उपलब्ध कराया है। प्राकृतिक जलश्रोतों के साथ इन जलाशयों में जानवर अपनी प्यास बुझा लेते हैं। बेहतर सुरक्षा ने जंगली शाकाहारी जानवरों को सुरक्षित ठिकाना मुहैया हुआ है।।इसलिए हिरणों की तादात भी बढ़ती दिख रही है।


Conclusion: 490 वर्ग किलोमीटर में फैले दुधवा टाइगर रिजर्व में साखू साल असना बेहड़ा के जंगलो में बाघो के साथ शाकाहारी जानवरो के बढ़ने को पार्क अफसर शुभ संकेत मानते हैं।
पार्क के फील्ड डायरेक्टर रमेश कुमार पाण्डेय कहते हैं,जंगल मे तृणचरों की तादात बढ़ना खुशी की बात है। इससे जंगल में बैलेंस का पता चलता है।
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