लखीमपुर खीरी: भारत-नेपाल के रिश्तों में आई तल्खियत की पूरी कहानी इंडो नेपाल बॉर्डर की हवा, जंगल और पगडंडियां बयां कर रही हैं. रोटी-बेटी के रिश्तों पर ड्रैगन की नजर क्या लगी? बार्डर के जंगल से लेकर पगडंडियां इन दिनों दोनों देशों में आई तल्खी को बयां कर रही हैं. जंगल की वे पगडंडियां, जो नेपाली नागरिकों की साइकिलों से गुलजार रहती थीं, उन पर जंगली घासें उग आई हैं. रास्ते सुनसान हैं, बॉर्डर पर सन्नाटा है. हालांकि एसएसबी के जवानों की गश्त करने वाली टीम के बूटों की आवाज कभी-कभी इस सन्नाटे को तोड़ती हैं.
कोरोना काल से बंद है आवागमन
जिले के सम्पूर्णानगर थाना इलाके के बसही बॉर्डर पर ईटीवी भारत की टीम पहुंची. खीरी जिले की सीमा नेपाल बॉर्डर से करीब 120 किलोमीटर तक लगती है. पीलीभीत जिले से आगे बहराइच जिले के बॉर्डर तक खीरी जिले में करीब पांच से छह ऐसे बार्डर हैं, जहां से नेपाल का व्यापार होता था. दोनों देशों के लोगों का खुली सीमा पर आना-जाना होता था, लेकिन कोरोना काल से आवाजाही पूरी तरह से बंद है. यहीं जंगल का रास्ता ही दोनों देशों के बीच सीमा का निर्धारण करता है. ये जंगल भारतीय इलाके में पड़ता है और इसके आगे नो मेंस लैंड है, जिसके बाद फिर नेपाल की सीमा शुरू हो जाती है.
रोटी-बेटी के रिश्ते को लगी किसकी नजर ?
भारत और नेपाल दोनों देशों के बीच रोटी-बेटी का रिश्ता है, लेकिन इन दिनों राजनयिक स्तर पर कुछ तल्खियत जरूर है. चीन के नेपाल में दखल के बाद से नेपाल सरकार का रुख बदला बदला सा नजर आ रहा है. नेपाल के सुदूर पश्चिमांचल में लिपुलेख, कालापानी जमीनी विवाद को लेकर नेपाल सरकार ने जो रुख दिखाया और जमीन पर अपना हक बताया, इसके बाद से भारत-नेपाल के बीच रिश्तों में तल्खी बढ़ी है. इस पहाड़ी भू-भाग के जमीनी विवाद का असर तराई के मैदानी बॉर्डर के इलाके तक दिख रहा है.
कोरोना को लेकर है दोनों तरफ से बंदी
नेपाल और भारत की खुली सीमा है. मौजूदा वक्त में कोरोना महामारी के दौरान दोनों देशों के बीच कोरोना को लेकर भी तल्ख वाले बयान आ चुके हैं. नेपाल के एक मंत्री भारत पर नेपाल में कोरोना फैलाने का आरोप लगा चुके हैं. उनका कहना था कि भारत में रह रहे नेपालियों ने नेपाल में कोरोना फैलाया. हालांकि कोरोना काल में भारतीय इलाकों में नेपाली नागरिकों के रुकने के लिए सेल्टर होम भी बनाए गए. इन आइसोलेशन होम्स में नेपालियों की सुख-सुविधा का पूरा ध्यान रखा गया है, लेकिन चीन के प्रभाव में नेपाल के प्रधानमंत्री हों या फिर विदेश मंत्री कई विवादित बयान दे चुके हैं. फिलहाल मार्च के बाद से सितम्बर आ गया, लेकिन आम नागरिकों के लिए नेपाल ने अभी भी अधिकृत गौरीफंटा बॉर्डर के अलावा जंगली रास्तों से निकलकर भारत आने-जाने पर फिलहाल रोक लगा रखी है.
जंगली पगडंडियों पर उग आईं झाड़ियां
नेपाली नागरिकों की रोजमर्रा की जरूरतों की पूर्ति खीरी जिले से सटे इस बॉर्डर पर बसही बाजार से होती थी. वहीं कोरोना के बाद से लगी पाबन्दी के बाद जिन जंगली पगडंडियों पर नेपाली नागरिकों की साइकिलों की दिनभर आवाजाही रहती थी, उन पगडंडियों पर घास फूस और जंगल झाड़ी उग आई है.
भारतीय बाजारों में भी है सन्नाटा
बॉर्डर के बसही बाजार में कोरोना के बाद लगे लॉकडाउन कि बन्दी का असर आज भी बना हुआ है. नेपाल के नागरिकों से गुलजार रहने वाले बाजारों में सन्नाटा पसरा है. बॉर्डर के भारतीय बाजारों में 80 फीसदी से ज्यादा व्यापार नेपाली नागरिकों से ही होता है. ऐसे में खजुरिया, बसही समेत तिकोनियां, सूडा, गौरीफंटा, चंदनचौकी के पास के बाजार भी सूने पड़े हैं. व्यापारियों को रोज करोड़ों का घाटा हो रहा है. यही हाल नेपाली बाजारों के भी है, जो कुछ एक भारतीय नेपाल की बाजारों से सामान खरीदकर लाते थे, वह सब भी ठप पड़ा हुआ है.
नो मेन्स लैंड के इधर एसएसबी, उधर नेपाल पुलिस दे रही पहरा
इंडो-नेपाल बॉर्डर पर भारतीय इलाके में 49वीं वाहिनी एसएसबी के पुरुष और महिला जवान अत्याधुनिक हथियारों से लैस होकर अपनी सीमा की निगहबानी कर रहे हैं. उधर नेपाल में नो मेन्स लैंड के पार नेपाल आर्म्ड फोर्स के जवान पहरेदारी कर रहे हैं. फिलहाल दोनों देशों की तरफ से लोगों का आवागमन बंद है.
तस्कर हो गए हैं सक्रिय
इंडो-नेपाल बॉर्डर पर आम नागरिकों की आवाजाही फिलहाल तो बंद है, जिससे तस्कर भी सक्रिय हैं. जरूरी सामानों को रात के अंधेरे में बॉर्डर पार करने की चाल में जुटे हैं. एसएसबी से आंखें चुराकर तस्कर जरूरी सामान नेपाल पहुंचाने की नाकाम कोशिश में जुटे रहते हैं. कुछ समय पहले भी भारतीय इलाके में एसएसबी ने हाल ही में पिकअप से भरी चाइनीज मटर भी पकड़ी थी.