लखीमपुर खीरी: जंगली नाथ मन्दिर भगवान भोलेनाथ से भक्तों का सीधा साक्षात्कार कराता है. शिवरात्रि का पर्व हो या सावन के सोमवार, भोले के भक्त यहां आकर निहाल हो जाते हैं. मन्दिर में आकर भक्तों को इतनी शांति और सुकून मिलता है कि जैसे सीधे भगवान शिव से रूबरू हो रहे हों. तराई की प्रकृति की गोद में बसे इस शिव मन्दिर का जिले ही नहीं, बल्कि आसपास के जिलों के भक्तों की भी खासी आस्था है.
शहर के कलेक्ट्रेट के पास शाहपुरा कोठी मोहल्ले में वन विभाग के दफ्तर के पड़ोस में ही जंगली नाथ का प्रसिद्ध शिव मन्दिर है. यह मन्दिर काफी पुराना है, पर आज भी उसकी आस्था में कमी नहीं आई है. शिवरात्रि पर इस मन्दिर में हजारों की तादात में श्रद्धालु भगवान भोले के दर्शनों को आते हैं. साथ ही पीपल के पेड़ों की झड़ती पत्तियां, बेल के दरख़्त इस मन्दिर की खूबसूरती में चार चांद लगा देते हैं.
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कभी बियाबान जंगल में था ये मन्दिर
मंदिर के पुजारी पंडित मोहन जी शुक्ला बताते हैं कि जंगली नाथ का मंदिर जिस स्थान पर बना हुआ है उस स्थान पर कभी बियाबान जंगल हुआ करता था. साथ ही अंग्रेजों के जमाने में भी यह स्थान प्राकृतिक रूप से काफी खूबसूरत था. पेड़-पौधे और जंगलों के बीच होने के कारण ही यहां जो मंदिर प्राप्त हुआ, उसे जंगली नाथ मंदिर का नाम दे दिया गया. मंदिर के आसपास आज भी पीपल बेल अशोक और तमाम प्रजातियों के विशाल पेड़ लगे हुए हैं, जो मंदिर की खूबसूरती को बढ़ा देते हैं.