लखीमपुर खीरीः लखीमपुर कांड में गृहराज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी के बेटे आशीष की गिरफ्तारी के बाद अब फरार उसके दोस्त सुमित जायसवाल और अंकित दास पर भी पुलिस का शिकंजा कस रहा है. उधर, गृहराज्य मंत्री अजय मिश्रा लखीमपुर में होने के बावजूद मीडिया से दूरी बनाए हुए हैं. उधर, लखीमपुर खीरी में केंद्रीय मंत्री के पोस्टर कई जगह फाड़ दिए गए. जिला इकाई के पदाधकारियों ने डीएम से सुरक्षा की मांग की है.
लखीमपुर खीरी की घटना के सात दिन बाद आखिरकार गृहराज्य मंत्री के बेटे आशीष मिश्रा को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया. अब उनके सहयोगी सुमित जायसवाल जो थार गाड़ी से भागते दिखे और तिकुनिया में जली फार्चूनर के मालिक अंकित दास को पुलिस तलाश कर रही है. अब सवाल ये बना हुआ है कि अंकित दास और सुमित जायसवाल कहां हैं? क्या दोनों नेपाल भाग गए या भारत में ही कहीं छिपे हैं. पुलिस फिलहाल सरगर्मी से अंकित दास और सुमित जायसवाल की तलाश कर रही. क्राइम ब्रांच यूपी एसटीएफ भी दोनों को तलाशने में लगी है. फिलहाल अब तक लखीमपुर काण्ड में आशीष मिश्रा समेत तीन लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है लेकिन लखीमपुर की घटना से जुड़े कई सवालों के जवाब नहीं मिल पा रहे हैं.
सवाल उठाए जा रहे हैं कि तीन अक्तूबर को दोपहर 2.45 से 3.45 के बीच आशीष मिश्रा कहां थे ? प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक कार से भागते हुए फायरिंग भी हुई? पुलिस को अब तक फायरिंग करने वालों को चिन्हित कर पाई या नहीं? आशीष मिश्रा की गाड़ी में मिले दो कारतूस किसके है? सुमित जायसवाल और अंकित दास की इस घटना में क्या भूमिका है? शनिवार को आशीष मिश्रा से लंबी पूछताछ के बाद डीआईजी विशेष जांच समिति उपेंद्र अग्रवाल ने मीडिया को बताया था कि आशीष जांच में सहयोग नहीं कर रहे हैं. हम इनसे फिर पूछताछ करेंगे इससिए हिरासत में लेकर गिरफ्तार कर रहे हैं.
केंद्रीय गृह राज्य मंत्री के बेटे आशीष मिश्रा शनिवार देर रात जेल चले गए. उनके पिता गृहराज्य मंत्री अजय मिश्रा फिलहाल लखीमपुर के अपने संसदीय कार्यालय में रविवार को आए. दफ्तर रविवार को कुछ पुलिस कर्मियों की पहरेदारी में सन्नाटे में था. मंत्री के बेटे की गिरफ्तारी के बाद रविवार को यहां इक्का दुक्का लोग ही नजर आए. लखीमपुर खीरी की बीजेपी ईकाई ने ही उनसे काफी हद तक दूरी बना ली है.
उधर, एक भाजपा के बड़े कार्यकर्ता ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि इस घटना ने पार्टी को थोड़ा नुकसान पहुंचाया है. चुनाव के ठीक पहले ये घटना दुर्भाग्यपूर्ण है. वहीं, समाजवादी पार्टी के नेता अनुराग पटेल बताते हैं कि गृह राज्य मंत्री का इतिहास दागदार रहा है. हमारे साथी प्रभात गुप्ता की हत्या कराने में इनकी भूमिका कहीं न कहीं रही है. 1995 से बीजेपी में सक्रिय अजय मिश्रा के राजनीतिक वारिस आशीष मिश्रा उर्फ मोनू भैया भी इस बार 138 निघासन विधानसभा के टिकट की दावेदारी पेश कर रहे थे. उधर, हत्याकांड को लेकर बीजेपी नेता चिंतित हैं. लखीमपुर खीरी के बीजेपी जिलाध्यक्ष सुनील सिंह, विजय शुक्ल रिंकू, कुलभूषण सिंह डीएम से मिले. डीएम से सुरक्षा की गुहार लगाई. कहा कि जिले भर में हमारी पार्टी के बैनर, पोस्टर और होर्डिंग फाड़े जा रहे हैं. वहीं, जिन दो कार्यकर्ताओ की पीट-पीटकर हत्या हुई उनके आरोपी भी गिरफ्तार हों. जिलाध्यक्ष सुनील सिंह कहते हैं, हम माहौल को ठंडा करना चाहते हैं, पर हमारे दो कार्यकर्ताओ की मौत हुई, उनको भी न्याय मिलना चाहिए.
वहीं, बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष स्वतन्त्र देव सिंह ने बयान दिया है कि दबंगई से वोट नहीं मिलते. स्वतन्त्र देव सिंह के इस बयान को भी केंद्रीय मंत्री के बेटे की करतूत से जोड़कर देखा जा रहा. फिलहाल तराई के शान्त हरे भरे जिले की फिजा में रैपिड एक्शन फोर्स और एसएसबी जैसी पैरामिलेट्री फोर्स का पहरा है. उधर, संयुक्त किसान मोर्चा ने 12 अक्टूबर को तिकोनियां में अग्रसेन इंटर कालेज के मैदान पर चारों किसानों की अंतिम अरदास में देश भर से किसानों के पहुंचने की अपील की है.
क्या पूरब की तरफ बढ़ रहा किसान आंदोलन
भारतीय जनता पार्टी जिस किसान आंदोलन को पश्चिमी उत्तर प्रदेश और पंजाब और हरियाणा के कुछ किसानों का आंदोलन कहती रही. लखीमपुर खीरी की घटना ने अब उस किसान आंदोलन को बड़ा रूप दे दिया है. किसान आंदोलन का दायरा मध्य उत्तर प्रदेश तक पहुंच गया है. लखीमपुर खीरी जिला लखनऊ से महज 135 किलोमीटर दूर है. किसान नेता इसे अपनी जीत के रूप में देख रहे क्योंकि लखीमपुर इस वक्त गाजीपुर बार्डर से ज्यादा चर्चा में है और किसान आंदोलन का केंद्र बन गया. लखीमपुर के तिकोनियाँ हादसे में बहराइच जिले के भी दो किसान मारे गए हैं इसलिए तराई के बहराइच इलाके तक भी किसान आंदोलन को लेकर सरगर्मी बढ़ गई है. इसे लेकर बीजेपी काफी चिंतित है.