लखीमपुर खीरी: हिन्दुस्तान परम्पराओं का देश है. ऐसी ही एक अनोखी परम्परा की तस्वीर देखने को मिली यूपी के लखीमपुर खीरी जिले में. यहां नेकी राम की बहू की अगवानी हाजी परिवार ने की. बहू पहली बार ससुराल पहुंचीं तो अपने घर न जाकर पहले हाजी साहब के घर की देहरी लांघी. हाजी परिवार ने भी पूरी शिद्दत से वर वधू का स्वागत किया और नवयुगल की अपने बेटे की तरह ही अगवानी भी की.
जानिए पूरा मामला
दरसल बिजुआ ब्लॉक के गुलरिया गांव के प्राइवेट शिक्षक नेकीराम की शादी लगभग 35 साल पहले हुई थी. नेकीराम के कई बच्चे हुए पर कोई जीवित नहीं बचता था. गांव में किसी ने बताया कि अबकी बच्चा हो तो उसे नेकीराम की पत्नी की जगह कोई और परिवार अपना ले. इससे बच्चा सुरक्षित रहेगा और जीवित बच जाएगा. इसके लिए कुछ पैसे देकर बच्चे को सांकेतिक रूप से गोद ले ले. नेकीराम की बीबी ने भी यही किया. पड़ोस में रहने वाली हाजी अब्दुल मजीद की पत्नी रफिया सुल्ताला जिनको गांव में सब हज्जिन कहकर बुलाते थे उन्हें अपना बेटा दे दिया. हज्जिन ने इसके लिए परम्परा के अनुसार नेकीराम की पत्नी को एक रुपया देकर बेटे को अपना लिया. बरसों तक बच्चे के कपड़े और जरूरी सामान भी देतीं रहीं.
नेकी राम की पत्नी नहीं रहीं पर रफिया ने निभाया मां का फर्ज
गुलरिया गांव के रहने वाले नेकी राम की पत्नी दो साल पहले गुजर गईं.लेकिन मरने से पहले वह नेकी राम को ये बता के गई थीं कि बेटे की शादी का पहला कार्ड हज्जिन यानी रफिया सुल्ताला के घर ही जाएगा. बहू विदा होकर घर आने से पहले हज्जिन के घर की देहरी लांघेगी. नेकी राम का बेटा दिनेश अब बीस साल का हो गया था. आठ मई को शादी फूलबेहड़ इलाके के खमरिया गांव से हुई. गांव की परंपरा के अनुसार कार्ड ननिहाल और मन्दिर पर चढ़ाने को जाता है. लेकिन नेकी राम की पत्नी के कहे के मुताबिक पहला कार्ड भी हाजी परिवार को गया. अब बहू विदा होकर आई तो हाजी साहब के पहुंची. हाजी परिवार ने हिन्दू रीति रिवाज से ही बहू की अगवानी की. हाजी साहब के बेटे सलीम और डॉक्टर नसीम ने अपनी पत्नियों के साथ आरती उतारी और नेग दिया. मिठाई औऱ कपड़े गिफ्ट में दिए. इसके बाद बहू ने हाजी साहब के घर में विधि विधान से प्रवेश किया फिर अपने घर गई.