लखीमपुर खीरीः जिले में नेपाल से आए माइग्रेटरी जंगली हाथियों (migratory wild elephants) ने किसानों का 25 लाख का गन्ना चट कर डाला है. अब किसान इस गन्ने में हुए नुकसान की भरपाई के लिए वन विभाग से हर्जाना मांग रहे हैं. वहीं, अधिकारियों के लिए यह मुआवजा गले की फांस बन गया है. डीएफओ साउथ खीरी संजय बिस्वाल का कहना है कि, 'हमारी कोशिश है कि किसानों की फसलों को भी कोई नुकसान न हो और हाथी सुरक्षित अपने घर वापस चले जाएं. हाथियों को इस इलाके से हटाने के प्रयास किए जा रहे हैं'.
बता दें कि नेपाल के शुक्लाफांटा और वर्दिया नेशनल पार्क (Wardiya National Park) से निकलकर घूमंतू जंगली हाथियों का एक बड़ा दल हर साल भारत के तराई इलाके में आकर यूपी होते हुए कभी कभी उत्तराखंड तक चला जाता है. घूमंतू हाथियों का ये दल तीन चार महीने रहकर वापस चला जाता था. पिछले कुछ सालों से भारत में आने वाले इन हाथी दल को तराई की आबोहवा इतनी भा गई कि जो हाथी पहले दुधवा टाइगर रिजर्व (Dudhwa Tiger Reserve) और पीलीभीत टाइगर रिजर्व (Pilibhit Tiger Reserve) के जंगलों तक आकर वापस चले जाते थे, वे अपना दायरा बढ़ाकर किशनपुर सेंचुरी तक आने लगे. पिछले दो सालों में घूमंतू जंगली हाथियों का ये दल आगे बढ़कर लखीमपुर खीरी जिले के दक्षिण खीरी वन प्रभाग के मोहम्मदी रेंज के जंगलों तक पहुंच गया. हाथी दल पिछले पांच महीनों से ऐसा इस जंगल मे जम गया है कि वापस जाने का नाम नहीं ले रहा.
इस हाथी दल ने खेत बचा रहे एक किसान की जान ले ली और दो चरवाहों को रौंद कर मरनासन्न कर दिया. इसके अलावा जंगली हाथियों ने जंगल से निकलकर किसानों की धान, गेहूं, गन्ना और अन्य फसलों को नुकसान करना शुरू कर दिया. एक अनुमान के मुताबिक हाथी दल करीब 25 लाख का गन्ना खा चुका है और रौंदकर नुकसान कर दिया. किसानों में अब जंगली हाथियों को लेकर गुस्सा बढ़ता जा रहा. वन विभाग संसाधनों के अभाव की बात कह रहा है.
केरल से आए एक्सपर्ट
वन विभाग की हाथियों को भगाने की सब कोशिशें नाकाम होती जा रहीं. अब डब्लूडब्लूएफ की मदद से महेशपुर रेंज के पास हाथियों को वापस दुधवा के जंगलों को भेजने को वन विभाग एक्सपर्ट्स की सलाह लेकर रणनीति बना रहा है. हाथियों को खदेड़ना कोई मामूली काम नहीं होता. हाथी गुस्से में होते हैं, तो और नुकसान करते हैं. वहीं, लगातार वन विभाग इलाके में हाथी और लोगों के बीच बढ़ते टकराव को लेकर भी चिंतित है.
दक्षिण खीरी वन प्रभाग के डीएफओ संजय बिस्वाल ने बताया कि 'हमने एक्सपर्ट्स को बुलाया है. डब्लूडब्लूएफ से मदद मांगी है. रोहित रवि और चंदन मित्रा को बुलाकर अध्ययन कर रहे हैं. आसपास के लोगों से धैर्य रखने की अपील की जा रही है. हाथियों को इस इलाके में अच्छा भोजन मिल रहा है, रहने का बढ़िया सुरक्षित ठिकाना है यही वजह है हाथी जाने को तैयार नहीं. हम कोशिश कर रहे हैं कि हाथियों को दुधवा की तरफ शिफ्ट किया जाए'.