लखीमपुर खीरी: एक मई को जब जिला कोरोना के ग्रीन जोन में आया था, तो लोगों ने खुशियां मनाईं थीं और राहत की सांस भी ली थी. जिंदगी पटरी पर आने लगी. बसें जिले में चलने लगीं, पर 10 दिनों में ही यह खुशियां उस वक्त काफूर हो गईं, जब सोमवार सुबह जिला अस्पताल के डॉक्टर को कोरोना वायरस से संक्रमित होने की खबर आई. ग्रीन जोन में शामिल हुए लखीमपुर खीरी जिले में प्रशासन ने कई प्रतिबंध हटा लिए थे.
दरअसल, खीरी जिले में 21 मार्च को कोरोना का पहला केस मैगलगंज में मिला था. एक व्यापारी टर्की से एक सेमिनार में हिस्सा लेकर वापस आया था. पता लगा कि वह कोरोना पॉजिटिव है तो जिले में हैरत फैल गई थी, जिसके बाद 4 अप्रैल को तीन जमाती कोरोना पॉजिटिव पाए गए, जो बिहार के बेगूसराय के रहने वाले थे.
यह खबर आई तो लोग डर भी गए और सहम भी, पर कुछ ही दिन में सब ठीक हो गया. यह चारों मरीज ठीक होकर वापस घर चले गए. 1 मई को खीरी ग्रीन जोन में शामिल क्या हुआ, लोग लॉकडाउन तोड़कर घरों से बाहर निकलने लगे. प्रशासन ने भी ढील दे दी.
सोशल डिस्टेंसिंग कुछ कम हो गई. लोग बेअंदाज हो सड़कों पर निकलने लगे, पर 11 मई को सुबह खबर आई कि सरकारी अस्पताल के संविदा डॉक्टर की कोरोना पॉजिटिव रिपोर्ट आई है. बस क्या था. ये खबर जंगल की आग की तरह जिले भर में फैल गई. अस्पताल सील कर दिया गया. अस्पताल से जुड़े लोगों को आइसोलेट कर दिया गया. इस खबर ने लोगों को एक बार फिर सकते में डाल दिया.
दवा लेने निकले शहर के युवराजदत्त महाविद्यालय में प्राध्यापक डॉ जेएन सिंह कहते हैं अब शंका तो पैदा हो ही गई है कि अब आगे क्या होगा. शहर में रहने वाले लकी सिंह कहते हैं कि देखिए आगे क्या होगा. जिला फिर ऑरेंज जोन में आए या रेड, तकलीफ बढ़ेगी ही आम आदमी की.
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खीरी की एसपी पूनम कहती हैं कि ग्रीन जोन में मिली कुछ छूटों पर प्रतिबंध लगाया जाएगा. बसें जिले में बंद कराई जाएंगी. टैक्सी और अन्य वाहन शर्तो के साथ चलेंगे. केंद्र के ऑरेंज जोन के बनाए नियम पालन कराए जाएंगे.