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लखीमपुर खीरी: बाढ़ से बचाव के लिए बन रहा सुरक्षा कवच, श्रमिकों को मिल रहा रोजगार

उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में लॉकडाउन में भी बाढ़ से बचाव के लिए सुरक्षा कवच बनवाया जा रहा है. इससे श्रमिकों को रोजगार मिल जा रहा है. वहीं बाढ़ की आपदा से निपटने के लिए परियोजनाओं के तहत काम किया जा रहा है, ताकि सभी संवेदनशील स्थलों को चिन्हित किया जा सके.

श्रमिकों को मिल रहा रोजगार
लखीमपुर खीरी में बाढ़ से बचाव
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Published : May 30, 2020, 2:24 PM IST

लखीमपुर खीरी: कोविड-19 की इस वैश्विक महामारी के बाद भी सम्भावित बाढ़ के दृष्टिगत प्रशासन बाढ़ से निपटने की तैयारी तेज कर दी है. बाढ़ से बचाव के लिए प्रशासन निरंतर सुरक्षा कवच बनाने में जुटा है. बाढ़ राहत परियोजनाओं के शुरू होने से जिले के स्थानीय श्रमिकों को रोजगार भी मुहैया हो रहा है.

कटान निरोधक परियोजनाएं
जिलाधिकारी शैलेन्द्र कुमार सिंह ने बताया कि सरकार गरीब के कल्याण के लिए निरन्तर प्रयन्नशील है. गरीब का कल्याण कैसे हो, उनके दिन कैसे बहुरें, इसके लिए दिन-प्रतिदिन निर्णय लेकर जनता के हितार्थ नई-नई योजनाएं बना रही है. यही नहीं जनपद को सम्भावित बाढ़ से कैसे बचाया जाए इसके लिए जिले में 05 बड़ी कटान निरोधक परियोजनाएं स्वीकृत की गई हैं, जो वर्तमान में प्रगति पर है. इन क्रियाशील पांच कटान निरोधक परियोजनाएं से हजारों की तादात में जिले के श्रमिक प्रतिदिन सोशल डिस्टेन्सिंग के साथ पूरे मनोयोग से कार्य कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि एक पखवारे से इन परियोजना का कार्य चल रहा है. इसमें बड़ी संख्या में स्थानीय मजदूरों को काम दिया गया है. बाढ़ आने से पूर्व कार्य पूरा कर लिया जायेगा. समय से पूर्व राहत कार्य शुरू होने से बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों को सुरक्षा मुहैया हो सकेगी.

सर्वाधिक बाढ़ प्रभावित जनपदों में एक
लखीमपुर-खीरी प्रदेश के सर्वाधिक बाढ़ प्रभावित जनपदों में से एक है. जनपद की बाढ़ का प्रमुख कारण नेपाल राष्ट्र के पहाड़ी/अपवाह क्षेत्र में हुई अधिक वर्षा है. नेपाल राष्ट्र से निकलने वाली प्रमुख नदियां शारदा, घाघरा, सुहेली, मोहाना/कौड़ियाला आदि भारतीय सीमा के मैदानी क्षेत्रों में तीव्र वेग से प्रवाहित होती हैं. उक्त नदियों में सिल्ट लोड अधिक होने के कारण मुख्यतः शारदा और घाघरा नदियां मेण्डरिंग करती हुई आगे बढ़ती हैं, जिससे जनपद लखीमपुर-खीरी की तहसीलें पलिया, निघासन, धौरहरा पूर्ण रूप से तथा गोला और लखीमपुर आंशिक रूप से बाढ़ की चपेट में आ जाती हैं.

प्रतिदिन श्रमिकों को हो रहा रोजगार प्राप्त
वर्तमान में बाढ़ खण्ड, शारदानगर, लखीमपुर-खीरी में शारदा नदी के बाए किनारे पर तहसील- धौरहरा में शारदानगर से ऐरापुल तटबन्ध के सुरक्षार्थ किमी 12.150 से किमी 13.600 तक, ग्राम समूह-राजापुर भज्जा और पसियनपुरवा, तहसील-सदर में शारदा नदी के दाए किनारे स्थित ग्राम रेहरिया खुर्द, रेहरिया कला नौवापुर और तहसील-पलिया में ग्राम समूह ढकिया खुर्द, ढकिया कला और शाहपुर, तहसील-निघासन में घाघरा नदी के दाहिने किनारे पर ग्राम समूह-मोटेबाबा, गोदियाना, रामनगर और बगहा के सुरक्षार्थ कटाव निरोधक कार्यों की कुल 05 अदद परियोजनायें स्वीकृत हैं. उक्त परियोजनाओं पर सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए युद्ध स्तर पर कार्य कराये जा रहे हैं, जिसमें हजारों की तादात में श्रमिकों को प्रतिदिन रोजगार प्राप्त हो रहा है.

संवेदनशील स्थलों को किया जा रहा चिन्हित
मानसून से पूर्व इन कार्यों को सुरक्षित स्तर तक पूर्ण करने के लिए विभागीय उच्चाधिकारियों द्वारा लगातार मौके पर जाकर निर्देशित किया जा रहा है. इसके अतिरिक्त खण्ड के नियंत्रण वाले तटबन्धों, पूर्व निर्मित परियोजना स्थलों का निरीक्षण कर संवेदनशील और अति संवेदनशील स्थलों को चिन्हित कर लिया गया है, जिनपर आवश्कतानुसार कार्य कराए जा रहे हैं. उक्त स्थलों पर बाढ़ बचाव और आपातकालीन कार्यों के लिए पर्याप्त मात्रा में रिजर्व स्टाक (खाली सीमेन्ट की बोरी, नायलान क्रेट, बांस-बल्ली, बिक रोड़ा, जीओ ट्यूब इत्यादि) उपलब्ध हैं.

उपरोक्त संवेदनशील/अति संवेदनशील स्थलों पर सतत निगरानी के लिए अधिकारियों ओर कर्मचारियों की ड्यूटी बाढ़ अवधि के दौरान लगायी गई है. नदियों के गेज (जलस्तर) और डिस्चार्ज की सूचनाएं सिंचाई खण्ड, शारदानगर के अन्तर्गत कन्ट्रोल रूप से प्राप्त कर मुख्यालय कन्ट्रोल रूम/उच्चाधिकारियों को प्रेषित की जाती हैं.

लखीमपुर खीरी: कोविड-19 की इस वैश्विक महामारी के बाद भी सम्भावित बाढ़ के दृष्टिगत प्रशासन बाढ़ से निपटने की तैयारी तेज कर दी है. बाढ़ से बचाव के लिए प्रशासन निरंतर सुरक्षा कवच बनाने में जुटा है. बाढ़ राहत परियोजनाओं के शुरू होने से जिले के स्थानीय श्रमिकों को रोजगार भी मुहैया हो रहा है.

कटान निरोधक परियोजनाएं
जिलाधिकारी शैलेन्द्र कुमार सिंह ने बताया कि सरकार गरीब के कल्याण के लिए निरन्तर प्रयन्नशील है. गरीब का कल्याण कैसे हो, उनके दिन कैसे बहुरें, इसके लिए दिन-प्रतिदिन निर्णय लेकर जनता के हितार्थ नई-नई योजनाएं बना रही है. यही नहीं जनपद को सम्भावित बाढ़ से कैसे बचाया जाए इसके लिए जिले में 05 बड़ी कटान निरोधक परियोजनाएं स्वीकृत की गई हैं, जो वर्तमान में प्रगति पर है. इन क्रियाशील पांच कटान निरोधक परियोजनाएं से हजारों की तादात में जिले के श्रमिक प्रतिदिन सोशल डिस्टेन्सिंग के साथ पूरे मनोयोग से कार्य कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि एक पखवारे से इन परियोजना का कार्य चल रहा है. इसमें बड़ी संख्या में स्थानीय मजदूरों को काम दिया गया है. बाढ़ आने से पूर्व कार्य पूरा कर लिया जायेगा. समय से पूर्व राहत कार्य शुरू होने से बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों को सुरक्षा मुहैया हो सकेगी.

सर्वाधिक बाढ़ प्रभावित जनपदों में एक
लखीमपुर-खीरी प्रदेश के सर्वाधिक बाढ़ प्रभावित जनपदों में से एक है. जनपद की बाढ़ का प्रमुख कारण नेपाल राष्ट्र के पहाड़ी/अपवाह क्षेत्र में हुई अधिक वर्षा है. नेपाल राष्ट्र से निकलने वाली प्रमुख नदियां शारदा, घाघरा, सुहेली, मोहाना/कौड़ियाला आदि भारतीय सीमा के मैदानी क्षेत्रों में तीव्र वेग से प्रवाहित होती हैं. उक्त नदियों में सिल्ट लोड अधिक होने के कारण मुख्यतः शारदा और घाघरा नदियां मेण्डरिंग करती हुई आगे बढ़ती हैं, जिससे जनपद लखीमपुर-खीरी की तहसीलें पलिया, निघासन, धौरहरा पूर्ण रूप से तथा गोला और लखीमपुर आंशिक रूप से बाढ़ की चपेट में आ जाती हैं.

प्रतिदिन श्रमिकों को हो रहा रोजगार प्राप्त
वर्तमान में बाढ़ खण्ड, शारदानगर, लखीमपुर-खीरी में शारदा नदी के बाए किनारे पर तहसील- धौरहरा में शारदानगर से ऐरापुल तटबन्ध के सुरक्षार्थ किमी 12.150 से किमी 13.600 तक, ग्राम समूह-राजापुर भज्जा और पसियनपुरवा, तहसील-सदर में शारदा नदी के दाए किनारे स्थित ग्राम रेहरिया खुर्द, रेहरिया कला नौवापुर और तहसील-पलिया में ग्राम समूह ढकिया खुर्द, ढकिया कला और शाहपुर, तहसील-निघासन में घाघरा नदी के दाहिने किनारे पर ग्राम समूह-मोटेबाबा, गोदियाना, रामनगर और बगहा के सुरक्षार्थ कटाव निरोधक कार्यों की कुल 05 अदद परियोजनायें स्वीकृत हैं. उक्त परियोजनाओं पर सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए युद्ध स्तर पर कार्य कराये जा रहे हैं, जिसमें हजारों की तादात में श्रमिकों को प्रतिदिन रोजगार प्राप्त हो रहा है.

संवेदनशील स्थलों को किया जा रहा चिन्हित
मानसून से पूर्व इन कार्यों को सुरक्षित स्तर तक पूर्ण करने के लिए विभागीय उच्चाधिकारियों द्वारा लगातार मौके पर जाकर निर्देशित किया जा रहा है. इसके अतिरिक्त खण्ड के नियंत्रण वाले तटबन्धों, पूर्व निर्मित परियोजना स्थलों का निरीक्षण कर संवेदनशील और अति संवेदनशील स्थलों को चिन्हित कर लिया गया है, जिनपर आवश्कतानुसार कार्य कराए जा रहे हैं. उक्त स्थलों पर बाढ़ बचाव और आपातकालीन कार्यों के लिए पर्याप्त मात्रा में रिजर्व स्टाक (खाली सीमेन्ट की बोरी, नायलान क्रेट, बांस-बल्ली, बिक रोड़ा, जीओ ट्यूब इत्यादि) उपलब्ध हैं.

उपरोक्त संवेदनशील/अति संवेदनशील स्थलों पर सतत निगरानी के लिए अधिकारियों ओर कर्मचारियों की ड्यूटी बाढ़ अवधि के दौरान लगायी गई है. नदियों के गेज (जलस्तर) और डिस्चार्ज की सूचनाएं सिंचाई खण्ड, शारदानगर के अन्तर्गत कन्ट्रोल रूप से प्राप्त कर मुख्यालय कन्ट्रोल रूम/उच्चाधिकारियों को प्रेषित की जाती हैं.

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