वाराणसी: जन्म प्रमाण पत्र यानी बर्थ सर्टिफिकेट एक बेहद जरूरी डॉक्यूमेंट है, जो पहचान और नागरिकता के प्रमाण के रूप में कार्य करता है. इसकी अक्सर हमें जरूरत पड़ती है. स्कूल-कॉलेज में एडमीशन कराना हो, किसी सरकारी सेवा का फायदा लेना हो तो बर्थ सर्टिफिकेट अनिवार्य हो जाता है.
अगर आपका जन्म किसी सरकारी अस्पताल में होता है तो यह अस्पताल की ओर से ही जारी किया जाता है, अगर आपका जन्म घर पर हुआ है या फिर जन्म के समय आप बर्थ सर्टिफिकेट के लिए आवेदन नहीं कर पाए हैं तो फिर आपको खुद से ही आवदेन कर के अपना बर्थ सर्टिफिकेट बनवाना होता है.
कभी-कभी लापरवाही के कारण बर्थ सर्टिफिकेट समय से नहीं बन पाता है. इससे लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. इन दिनों स्कूलों में एडमिशन चल रहे हैं. दाखिले के दौरान बर्थ सर्टिफिकेट जमा करना बेहद जरूरी होता है.
कुछ पेरेंट्स ऐसे हैं जिनके बच्चे 5 या 7 साल के हो गए हैं, लेकिन अभी तक बर्थ सर्टिफिकेट नहीं बन पाया है. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या बच्चे के जन्म के 5 साल बाद जन्म प्रमाण पत्र बन पाएगा? क्या प्रक्रिया होगी?
जन्म लेने के बाद अस्पताल से तुरंत जारी हुए जन्म प्रमाण पत्र पर नामकरण ना होने की स्थिति में नाम ना लिखे जाने पर बाद में कैसे इसे अपडेट करवाया जा सकेगा? या फिर अस्पताल से जन्म प्रमाण पत्र न मिलने की स्थिति में कैसे इसे बनवाया जा सकेगा? इसलिए आज हम जानेंगे कि बर्थ सर्टिफिकेट बनवाने का प्रोसेस क्या है और कैसे किसी भी परेशानी से बच सकें.
जानिए क्या है: नियम है कि बच्चे के जन्म के 21 दिनों के अंदर रजिस्ट्रेशन कराने के बाद ऑनलाइन पोर्टल के जरिए ही जन्म प्रमाण पत्र मिल सकता है. नई व्यवस्था के तहत अस्पताल नगर निगम के पोर्टल से कनेक्ट हो चुके हैं और अस्पताल वाले ही जन्म प्रमाण पत्र उपलब्ध करवा देते हैं. बहुत से परिजन शुरू में इसमें रुचि नहीं दिखाते. जिसके बाद उन्हें कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है.
इस बारे में नगर निगम के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी संदीप श्रीवास्तव का कहना है की जन्म और मृत्यु पंजीकरण संशोधन विधेयक 2023 के तहत देश में महत्वपूर्ण दस्तावेज के रूप में जन्म प्रमाण पत्र सबसे पहले आता है. यह वह प्रमाण पत्र है जो आधार कार्ड से भी ज्यादा महत्वपूर्ण है, लेकिन लोग इसको लेकर काफी ढीला रवैया अपनाते हैं.
उनका कहना है कि बच्चों के जन्म के 21 दिन के अंदर जन्म प्रमाण पत्र अस्पताल द्वारा या घर पर डिलीवरी होने की कंडीशन में क्षेत्रीय सभासद की प्रमाणिकता के आधार पर अप्लाई किया जा सकता है. इसके लिए कई दिन के अंदर ही जन्म प्रमाण पत्र के पोर्टल पर सूचना देने की जरूरत होती है. जिसके बाद यह निशुल्क बनाया जाता है.
संदीप श्रीवास्तव ने बताया कि ऑनलाइन प्रक्रिया के बाद आप नगर निगम मुख्यालय या फिर अपने जोनल कार्यालय पर जाकर भी आवेदन भी कर सकते हैं.
ये प्रोसेस अपनाना होगा
- सीआरएस पोर्टल पर जाएं, यूजर कॉलम में जनरल पब्लिक साइन अप पर क्लिक करें.
- डिटेल भरने के बाद रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया को पूरा किया जाता है.
- जन्म प्रमाण पत्र 21 दिन के अंदर जारी हो जाता है.
- 21 दिन के बाद जन्म प्रमाण पत्र जारी करने के लिए अप्लाई किया जाता है तो 12 रुपये का विलंब शुल्क देना होता है.
- एक साल के अंदर जन्म प्रमाण पत्र जारी करने के लिए आवेदन किया जाता है तो 60 रुपये का शुल्क देना होता है.
- एक साल के बाद जन्म प्रमाण पत्र हासिल करने के लिए 60 रुपये का विलंब शुल्क देकर इसे पाया जा सकता है.
- जन्म लेने के 21 दिन के बाद अस्पताल द्वारा जारी किए गए जन्म प्रमाण पत्र या क्षेत्रीय सभासद के लेटर से यह काम किया जा सकता है.
5 या 7 साल की उम्र के बाद भी बन जाएगा बर्थ सर्टिफिकेट : संदीप श्रीवास्तव ने बताया, बहुत से लोगों को कंफ्यूजन होता है कि यदि उनके बच्चे का 5 साल या 7 साल की उम्र के बाद भी जन्म प्रमाण पत्र नहीं बना है, तो क्या वह इसे नहीं हासिल कर सकते. ऐसा नहीं है, नियम के मुताबिक 1970 के बाद यदि किसी का भी जन्म हुआ है तो वह कुछ दस्तावेजों के आधार पर जन्म प्रमाण पत्र हासिल कर सकता है.
माता-पिता का आधार कार्ड जरूरी : इसके लिए एक एफिडेविट लगाना होता है, जो कोई भी रजिस्टर्ड वेंडर से या वकील के जरिए तैयार करवाया जा सकता है. इसके लिए एक एप्लीकेशन देना होता है, साथ ही 60 रुपये का शुल्क, माता-पिता का आधार कार्ड लगाने के बाद नगर निगम में इसे जमा किया जाता है.
प्रोसेस में लगते हैं 45 दिन : इसके बाद इसके वेरिफिकेशन के लिए इसे एसडीएम या एडीएम कार्यालय को प्रेषित किया जाता है. वेरिफिकेशन के बाद यह कागज मुख्य चिकित्सा अधिकारी के पास पहुंचता है. वहां से स्थानीय वेरिफिकेशन होने के बाद नगर निगम 45 दिनों के अंदर जन्म प्रमाण पत्र जारी कर देता है. यह वह प्रक्रिया है जो 5 से 7 साल या उससे भी देर होने की स्थिति में पूरी की जाती है.
देना होता है निर्धारित शुल्क: उन्होंने बताया कि यदि एक महीने के अंदर जन्म लेने के बाद अस्पताल का डिस्चार्ज पेपर या अन्य कोई कागज नगर निगम में लाया जाता है, तो निशुल्क इसे जारी किया जाता है. एक महीने के बाद एक निर्धारित शुल्क देकर इसे आसानी से बनवाया जा सकता है. यह प्रक्रिया एक साल तक जन्म लेने के अंदर पूर्ण की जा सकती है. जिसके लिए एक निर्धारित शुल्क पर आसानी से जन्म प्रमाण पत्र मिल जाता है, देरी होने की स्थिति में थोड़ी परेशानी होती है, लेकिन जन्म प्रमाण पत्र जारी होता है.
नाम भी करवा सकते हैं अपडेट: संदीप श्रीवास्तव का कहना है कि एक कन्फ्यूजन होता है कि कई बार अस्पतालों से बिना किसी नाम के निर्धारित किए हुए ही जन्म प्रमाण पत्र जारी कर दिया जाता है, लेकिन ऐसी स्थिति में आप परेशान मत हों. नगर निगम कार्यालय में एक एप्लीकेशन और माता-पिता का आधार कार्ड देकर 15 रुपये का शुल्क जमा करने के बाद बच्चों के नाम को अपडेट करवाने की प्रक्रिया की जाती है. कुछ ही दिन में बच्चों के नाम के साथ नया बर्थ सर्टिफिकेट जारी कर दिया जाता है.
यह भी पढ़ें: इलाहाबाद हाईकोर्ट- बर्थ सर्टिफिकेट है उम्र तय करने का आधार, मेडिकल रिपोर्ट नहीं; एडमिशन न देने का नवोदय विद्यालय का आदेश खारिज - Allahabad High Court Order - ALLAHABAD HIGH COURT ORDER