कुशीनगर: भाजपा का सूपड़ा साफ करने का दम भरने व भाजपा के ताबूत में आखिरी कील ठोंकने का दावा करने वाले फाजिलनगर विधानसभा के सपा प्रत्याशी स्वामी प्रसाद मौर्य बुरी तरह से चुनाव हार गये हैं. भाजपा के सुरेन्द्र कुशवाहा ने उन्हें 45633 मतों के भारी अंतर से हरा दिया है. हार के बाद स्वामी प्रसाद ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि अगर हमें जीत स्वीकार है तो हार भी मंजूर हैं. सभी जीते हुए प्रत्याशियों को बधाई. उन्होंने कहा कि जहां तक रही मेरी हार की बात, तो सिर्फ चुनाव हारा हूं हिम्मत नहीं. जिन सिद्धान्तों की लड़ाई हमने शुरू की वह जारी रहेगी.
गौरतलब है कि एक्जिट पोल ने तीन दिन पहले ही स्वामी प्रसाद मौर्य की हार की भविष्यवाणी कर दी थी. कहना मुनासिब होगा कि एक्जिट पोल का दावा सच साबित हुआ. सपा के स्टार प्रचारक बनकर चुनाव जिताने का दावा करने वाले स्वामी प्रसाद मौर्य फाजिलनगर विधानसभा से अपनी सीट बचाने मे नाकाम साबित हुए हैं. स्वामी प्रसाद मौर्य की हार सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव के लिए भी बड़ा झटका है.
बड़बोलेपन से अपनी पहचान बनाने वाले स्वामी प्रसाद मौर्य की हार के साथ ही उनका सियासी रसूख भी अब खत्म होने की कगार पर पहुंच गया है. सबब यह है कि भाजपा छोड़ने के बाद मौर्य मंच पर एलान किया करते थे कि वह समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव को यूपी की सत्ता तक पहुंचाएंगे. इस दावे के पीछे उनका तर्क था कि वह जिस पार्टी में जाते हैं, उसी की सरकार बनती है. लेकिन 2022 के विधानसभा चुनाव ने स्वयंभू नेवला कहे जाने वाले स्वामी प्रसाद मौर्य का यह भ्रम जनता ने तोड़ दिया है.
भाजपा के सुरेन्द्र कुशवाहा ने उन्हें 45633 वोटों के अंतर से हरा दिया है. सपा उम्मीदवार स्वामी प्रसाद मौर्य को कुल 69710 वोट मिले जबकि बीजेपी के सुरेन्द्र कुशवाहा को 115343 वोट. वहीं, बसपा के इलियास अंसारी 45515 वोट हासिल कर तीसरे स्थान पर रहे. स्वामी ने चुनाव से पहले सपा को जितवाने और अखिलेश यादव की मुख्यमंत्री पद पर ताजपोशी कराने के बड़े-बड़े दावे किए थे. यह पहला मौका है जब स्वामी अपनी ही चालों से सियासी चक्रव्यूह में फंस गए और उन्हें हार का सामना करना पड़ा. जीत के बाद भाजपा के फाजिलनगर प्रत्याशी सुरेंद्र कुशवाहा ने जनता को धन्यवाद दिया.
फाजिलनगर का चुनावी इतिहास
फाजिलनगर विधानसभा सीट पर 90 के दशक में विश्वनाथ सिंह का दबदबा था. वह वर्ष 1989 से लेकर 2002 तक लगातार चार बार विधायक रहे. इसमे तीन बार जनता दल के टिकट से जीते थे, जबकि 1996 का चुनाव उन्होंने समाजवादी पार्टी के टिकट से लड़कर जीता. 2002 के चुनाव में जगदीश मिश्र ने पहली बार इस सीट पर भाजपा को जीत दिलाई थी. उन्होंने दिग्गज नेता विश्वनाथ सिंह को हराया था. वर्ष 2007 में विश्वनाथ ने फिर वापसी की, लेकिन 2012 और 2017 में भाजपा के गंगा सिंह ने जीत दर्ज की. पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा के गंगा सिंह कुशवाहा को 102778 वोट मिले थे. उन्होंने सपा के विश्वनाथ को 41922 वोट से हराया था.
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बसपा और भाजपा में भी रह चुके हैं स्वामी प्रसाद मौर्य
स्वामी प्रसाद मौर्य ने अपनी राजनीति की शुरुआत लोकदल से की थी. प्रतापगढ़ जिले के मूल निवासी 68 वर्षीय स्वामी प्रसाद मौर्य बहुजन समाज पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष, विधानसभा में नेता विपक्ष और मायावती की सरकारों में मंत्री रह चुके हैं. वह दो बार रायबरेली की ऊंचाहार और तीन बार कुशीनगर की पडरौना सीट से विधानसभा का चुनाव जीत चुके हैं. मौर्य पिछले विधानसभा चुनाव से पहले बसपा विधानमंडल दल का नेता पद छोड़कर भाजपा में और इस बार भी चुनाव से पहले मंत्री पद छोड़कर सपा में शामिल हो गये.
आपको बता दें कि कोइरी जाति पश्चिमी यूपी के आगरा से लेकर कुशीनगर तक अच्छी संख्या में हैं. यूपी में स्वामी प्रसाद मौर्य कोइरी समाज के सबसे बड़े नेता के रूप में जाने जाते थे, मगर 2016 में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बनने और 2017 में उप-मुख्यमंत्री बनने के बाद केशव प्रसाद मौर्य कोइरी बिरादरी के सबसे बड़े नेता बन गए हैं.
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