कुशीनगर: किसी शायर ने सच ही कहा है कि 'कौन कहता है आसमां में सुराख हो नहीं सकता, एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारों.' इसी को चरितार्थ करते हुए जिले में इंटर फाइनल के एक छात्र अपूर्व राय ने यूट्यूब से सीखकर जनोपयोगी दो ऐप बनाने में सफलता प्राप्त की है. बचपन से ही कुछ सीखने की चाहत ने उन्हें इस मुकाम पर पहुंचा दिया कि अब उनके द्वारा बनाए गए एक ऐप को यूपी सरकार खुद लॉन्च करने जा रही है. ईटीवी भारत ने अपूर्व राय के साथ खास बातचीत की.
बातचीत में अपूर्व ने बताया कि सिर्फ यूट्यूब से सीखकर पहला और छोटा ऐप रेलवे के यात्रियों के लिए तो दूसरा ऐप किसानों के लिए बनाया है. अपूर्व जिले के तमकुहीराज तहसील क्षेत्र के गांव तरयासुजान पश्चिमी के रहने वाले हैं. बिहार सीमा से सटे जिले के आखिरी छोर पर बसे तरयासुजान गांव के रहने वाले अपूर्व राय के अनुसार उन्हें बचपन से कुछ अलग करने का शौक था. इसी धुन में वह कुछ नया करने के लिए खोज किया करते थे. यू-ट्यूब की जानकारी होने के बाद उन्होंने उसी पर हर प्रकार की जानकारी एकत्रित करके रेलवे के लिए सबसे छोटा ऐप बनाने में सफलता प्राप्त की. उसके बाद अपूर्व ने इस ऐप से जुड़ी जानकारी रेलवे से साझा की और फिर रेलवे ने उनके इस ऐप को स्वीकृत कर दिया.
NIC ने भेजा प्रमाण पत्र
अपूर्व ने बताया कि इससे उत्साहित होकर उन्होंने किसानों के लिए खासी उपयोगी वेबसाइट भूलेख को एप्लिकेशन मोड में बदलने पर अपना रिसर्च शुरू कर दिया. ऐप बनने के बाद अपने बनाए गए भूलेख ऐप को उन्होंने एनआईसी यूपी को भेजा. इस जनोपयोगी ऐप को स्वीकृत करते हुए NIC ने एक प्रमाण पत्र अपूर्व को भेजते हुए खुशी की इस सूचना से अवगत कराया.
किसान मोबाइल से ही करेंगे भूलेख सम्बधी कार्य
अपूर्व ने ईटीवी भारत के साथ खास बातचीत में बताया कि जब रेलवे का ऐप बनाया तो कोई कम्प्यूटर की डिग्री नहीं थी, जिसके बाद मैंने DCA की डिग्री प्राप्त की. भूलेख से सम्बंधित ऐप के बारे में उन्होंने बताया कि सरकार ने इसे स्वीकृत कर लिया है. इस ऐप की जांच के बाद इसे लॉन्च किया जाएगा. अपूर्व ने बताया कि जब सरकार इस ऐप को लॉन्च करेगी उसके बाद किसानों को बहुत फायदा होगा.
जिस काम के लिए किसानों को समय और पैसा दोनों खर्च करना पड़ता था, अब वह सारा काम बिना किसी खर्च के अपने मोबाइल से किसान सम्पादित कर सकेंगे. अपूर्व ने वह कर दिखाया जिसे करने के लिए बड़े-बड़े डिग्री धारी लाखों खर्च कर देते हैं. फिलहाल अपूर्व को इस काम के बदले कोई आर्थिक लाभ तो नहीं हुआ है, लेकिन गोरखपुर के आईजी ने उनकी प्रतिभा को देखते हुए उन्हें अपने सर्विलांस सेल में संविदा आधार पर तैनाती देकर सेवाएं लेनी शुरु कर दी हैं.