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कौशाम्बी का कुप्पी युद्ध, जहां लड़ती हैं भगवान राम और रावण की सेना - श्री रामलीला कमेटी दारानगर

यूपी के कौशाम्बी जिले के दारानगर में होने वाली रामलीला का कुप्पी युद्ध आज भी अपना स्वरूप कायम किये हुए है. इस युद्ध में राम-रावण दल की सेनाएं वास्तविक युद्ध करती हैं. इस युद्ध को देखने के लिए आसपास के इलाके से बड़ी तादाद में लोग जमा होते हैं. इस बार कोरोना काल की वजह से दोनों की ओर सेनाओं ने मास्क लगाकर युद्ध किया.

कौशाम्बी में राम और रावण की सेना में होता कुप्पी युद्ध.
कौशाम्बी में राम और रावण की सेना में होता कुप्पी युद्ध.
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Published : Oct 26, 2020, 6:08 PM IST

Updated : Oct 27, 2020, 6:49 AM IST

कौशाम्बीः जिले के दारानगर में राम लीला अनवरत 241 वर्षों से बिना किसी बाधा के परंपरा अनुसार होती चली आ रही है. इस बार कोरोना काल के बाद भी इस युद्ध की परंपरा को पूरा किया गया. कुप्पी युद्ध का रोमांच ही ऐसा होता है कि इसे देखने के लिए दर्शक खुद ब खुद मैदान में खिंचे चले आते हैं. दो दिवसीय कुप्पी युद्ध में पहले दिन काले कपड़ों में सजी रावण की सेना की जीत होती है तो दूसरे दिन लाल कपड़े में युद्ध करने वाली राम की सेना असत्य पर सत्य की जीत का विजय पर्व मनाती है.

कुप्पी युद्ध में लड़ती है भगवान राम और रावण की सेना.

इस तरह होता है कुप्पी युद्ध
दारानगर में 241 वर्षों से आयोजित होने वाली कुप्पी युद्ध में राम और रावण की सेनाएं आमने-सामने होती हैं. भगवान राम की सेना लाल और रावण की सेना काले कपडे़ में होती है. आमना-सामना होने पर दोनों सेनाओ के बीच प्लास्टिक की कुप्पी से युद्ध होता है. आयोजकों के सिटी बजाते ही राम व रावण दोनों ही दल के सेनानी जिस तरह एक-दूसरे पर टूट पड़ते हैं, जिसे देखकर दर्शक रोमांच से भर उठते हैं. कोरोना काल को देखते हुए इस बार दोनों दलों के सेनाओं में मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग के साथ युद्ध किया. दर्शक बताते हैं की ऐसा कुप्पी युद्ध कहीं और देखने को नहीं मिलता है. दोनों दलों को संभालना होता मुश्किल होता है.

सात बार दोनों सेनाएं होती हैं आमने-सामने
श्री रामलीला कमेटी दारानगर के युद्ध संचालक ऋषि नन्दन साहू बताते हैं कि दारानगर की रामलीला में कुप्पी युद्ध के लिए दो दिन में 7 बार लड़ाई दोनों दलों के बीच होती है. पहले दिन चार चरणों में लड़ाई होती है. पहले दिन की चारों लड़ाई रावण की सेना जीतती है. दूसरे दिन तीन लड़ाई होती है. यह तीनों लड़ाई जीत कर राम की सेना विजयादशमी का पर्व मनाती है. दोनों दिन के सभी युद्ध 10-10 मिनट के होते हैं.

घायल सेनानी रणभूमि की मिट्टी का करते हैं प्रयोग
राम और रावण दोनों ही दल में 25-25 सेनानी होते हैं. युद्ध इतना विकराल होता है कि देखने वालों के रोंगटे खड़े हो जाते हैं. युद्ध में सेनानी घायल भी हो जाते हैं लेकिन रणभूमि की मिट्टी ही इनके लिए दवा का काम करती है. सेनानी बताते हैं कि युद्ध में शामिल होना उनके लिए गौरव की बात है. पहले दिन होने वाले चार कुप्पी युद्ध में रावण की सेना श्रीराम की सेना पर भारी पड़ती है और उन्हें हराने का पूरा प्रयास करती है.

महीनों अभ्यास करते हैं सेनानी
रामलीला आयोजक इस युद्ध को सजीव करने के लिए महीनों मेहनत करते हैं. महीनों पहले से तयारी शुरू हो जाती है. बल्लियों से घिरे बड़े मैदान में युद्ध के दौरान दोनों दल की सेना इस कदर बेकाबू हो जाती है कि उन्हें सम्हालना आयोजकों के लिए कई बार मुश्किल हो जाता है. एक कुप्पी युद्ध के सम्पन्न होने पर मेघनाद वध और कुम्भकर्ण वध की भी लीलाएं होती हैं. आयोजक बताते हैं कि जहां हमारा समाज ऊंच-नीच जाति धर्म के नाम पर बांट रहा है. वहीं यहां के इस रामलीला में पिछले 241 सालों से रावण की दलित सेना और भगवान राम की सेना पल भर के लिए भले ही एक दूसरे के दुश्मन बन जाते हैं, लेकिन पल भर में यही आपस में गले मिल भाईचारे की मिसाल कायम करते हैं.

पिछले 251 साल से अनवरत यहां रामलीला में कुप्पी युद्ध कराने की परंपरा है. इसी परंपरा का निर्वहन करते हुए इस साल भी रामलीला में कुप्पी युद्ध का आयोजन किया जा रहा है. इस बार कोरोना को देखते हुए जहां कुप्पी युद्ध होता है. उस मैदान को सैनिटाइज किया गया है. साथ ही लोगों से मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग के साथ रहने के लिए जागरूक भी किया जा रहा है.

आद्या पांडेय, अध्यक्ष, श्री रामलीला कमेटी, दारानगर

कौशाम्बीः जिले के दारानगर में राम लीला अनवरत 241 वर्षों से बिना किसी बाधा के परंपरा अनुसार होती चली आ रही है. इस बार कोरोना काल के बाद भी इस युद्ध की परंपरा को पूरा किया गया. कुप्पी युद्ध का रोमांच ही ऐसा होता है कि इसे देखने के लिए दर्शक खुद ब खुद मैदान में खिंचे चले आते हैं. दो दिवसीय कुप्पी युद्ध में पहले दिन काले कपड़ों में सजी रावण की सेना की जीत होती है तो दूसरे दिन लाल कपड़े में युद्ध करने वाली राम की सेना असत्य पर सत्य की जीत का विजय पर्व मनाती है.

कुप्पी युद्ध में लड़ती है भगवान राम और रावण की सेना.

इस तरह होता है कुप्पी युद्ध
दारानगर में 241 वर्षों से आयोजित होने वाली कुप्पी युद्ध में राम और रावण की सेनाएं आमने-सामने होती हैं. भगवान राम की सेना लाल और रावण की सेना काले कपडे़ में होती है. आमना-सामना होने पर दोनों सेनाओ के बीच प्लास्टिक की कुप्पी से युद्ध होता है. आयोजकों के सिटी बजाते ही राम व रावण दोनों ही दल के सेनानी जिस तरह एक-दूसरे पर टूट पड़ते हैं, जिसे देखकर दर्शक रोमांच से भर उठते हैं. कोरोना काल को देखते हुए इस बार दोनों दलों के सेनाओं में मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग के साथ युद्ध किया. दर्शक बताते हैं की ऐसा कुप्पी युद्ध कहीं और देखने को नहीं मिलता है. दोनों दलों को संभालना होता मुश्किल होता है.

सात बार दोनों सेनाएं होती हैं आमने-सामने
श्री रामलीला कमेटी दारानगर के युद्ध संचालक ऋषि नन्दन साहू बताते हैं कि दारानगर की रामलीला में कुप्पी युद्ध के लिए दो दिन में 7 बार लड़ाई दोनों दलों के बीच होती है. पहले दिन चार चरणों में लड़ाई होती है. पहले दिन की चारों लड़ाई रावण की सेना जीतती है. दूसरे दिन तीन लड़ाई होती है. यह तीनों लड़ाई जीत कर राम की सेना विजयादशमी का पर्व मनाती है. दोनों दिन के सभी युद्ध 10-10 मिनट के होते हैं.

घायल सेनानी रणभूमि की मिट्टी का करते हैं प्रयोग
राम और रावण दोनों ही दल में 25-25 सेनानी होते हैं. युद्ध इतना विकराल होता है कि देखने वालों के रोंगटे खड़े हो जाते हैं. युद्ध में सेनानी घायल भी हो जाते हैं लेकिन रणभूमि की मिट्टी ही इनके लिए दवा का काम करती है. सेनानी बताते हैं कि युद्ध में शामिल होना उनके लिए गौरव की बात है. पहले दिन होने वाले चार कुप्पी युद्ध में रावण की सेना श्रीराम की सेना पर भारी पड़ती है और उन्हें हराने का पूरा प्रयास करती है.

महीनों अभ्यास करते हैं सेनानी
रामलीला आयोजक इस युद्ध को सजीव करने के लिए महीनों मेहनत करते हैं. महीनों पहले से तयारी शुरू हो जाती है. बल्लियों से घिरे बड़े मैदान में युद्ध के दौरान दोनों दल की सेना इस कदर बेकाबू हो जाती है कि उन्हें सम्हालना आयोजकों के लिए कई बार मुश्किल हो जाता है. एक कुप्पी युद्ध के सम्पन्न होने पर मेघनाद वध और कुम्भकर्ण वध की भी लीलाएं होती हैं. आयोजक बताते हैं कि जहां हमारा समाज ऊंच-नीच जाति धर्म के नाम पर बांट रहा है. वहीं यहां के इस रामलीला में पिछले 241 सालों से रावण की दलित सेना और भगवान राम की सेना पल भर के लिए भले ही एक दूसरे के दुश्मन बन जाते हैं, लेकिन पल भर में यही आपस में गले मिल भाईचारे की मिसाल कायम करते हैं.

पिछले 251 साल से अनवरत यहां रामलीला में कुप्पी युद्ध कराने की परंपरा है. इसी परंपरा का निर्वहन करते हुए इस साल भी रामलीला में कुप्पी युद्ध का आयोजन किया जा रहा है. इस बार कोरोना को देखते हुए जहां कुप्पी युद्ध होता है. उस मैदान को सैनिटाइज किया गया है. साथ ही लोगों से मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग के साथ रहने के लिए जागरूक भी किया जा रहा है.

आद्या पांडेय, अध्यक्ष, श्री रामलीला कमेटी, दारानगर

Last Updated : Oct 27, 2020, 6:49 AM IST
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