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सरकारी अस्पतालों में खराब पड़े अग्निशमन यंत्र, मौन साधे है सरकारी तंत्र - कौशांबी जिला अस्पताल अग्निउपकरण

कौशांबी जिला अस्पताल में सुरक्षा के मामले में लापरवाही बरती जा रही है. यहां सरकारी अस्पताल में अग्निशमन उपकरण का सही तरीके से रख-रखाव नहीं किया जा रहा है. न ही विषम परिस्थितियों से निपटने के लिए कोई उचित व्यवस्था ही की गई है. अग्निशमन विभाग के अधिकारियों के मुताबिक सरकारी अस्पताल में अधिकांश उपकरण खराब हैं. ऐसे में यहां के मरीजों की सुरक्षा राम भरोसे है.

अग्नि सुरक्षा के नहीं हैं पुख्ता इंतजाम
अग्नि सुरक्षा के नहीं हैं पुख्ता इंतजाम
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Published : Feb 9, 2021, 4:18 PM IST

कौशांबी: सरकारी अस्पतालों को सुविधाओं से लैस करने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार तमाम कवायद कर रही है. इसके बाद भी सरकारी अस्पताल का प्रबंध इलाज ही नहीं, सुरक्षा में भी हद दर्जे की लापरवाही बरत रहा है. डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्या के गृह जनपद कौशाम्बी के सरकारी अस्पतालों की सुरक्षा भी रामभरोसे है. यहां सरकारी अस्पतालों में आग लग जाए तो उसे बुझाने के लिए उचित उपकरण तक नहीं है. न ही विषम परिस्थितियों से निपटने के लिए कोई व्यवस्था है. अग्निशमन विभाग के अधिकारियों के मुताबिक सरकारी अस्पताल में आग बुझाने के अधिकांश उपकरण खराब हैं.

अग्नि सुरक्षा के नहीं हैं पुख्ता इंतजाम
ईटीवी भारत की टीम ने जिले के अस्पतालों में अग्निकांड सहित विशेष परिस्थितियों से निपटने के लिए लगाए गए उपकरणों का रियलिटी चेक किया. इस दौरान जिला अस्पताल में आग बुझाने के लिए लगाए गए अधिकतर उपकरण खराब मिले. सुरक्षा के मानकों की अनदेखी से अस्पताल में कभी भी परिस्थितियां भयावह हो सकती हैं.OPD वार्ड में नहीं हैं सुरक्षा उपकरणजिला अस्पताल में भूतल पर ओपीडी संचालित की जाती है. इसके कारण यहां मरीजों की भारी भीड़ लगती है. यहां प्रतिदिन 600 से 800 मरीज इलाज के लिए आते हैं. इसके बावजूद यहां आग पर काबू पाने के लिए कोई भी उपकरण नहीं लगाया गया है. ये कहते हैं मरीज और तीमारदारजिला अस्पताल में इलाज कराने आए मरीजों के तीमारदारों से ने बताया कि जिला अस्पताल में आग पर काबू पाने के लिए लगे सुरक्षा उपकरण खराब हो गए हैं. इस ओर स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदार अधिकारी ध्यान नहीं दे रहे हैं. इसके कारण उनकी सुरक्षा व्यवस्था राम भरोसे है.

ये बोले अग्निशमन विभाग के अधिकारी

अग्निशमन विभाग के प्रभारी अधिकारी के मुताबिक कौशांबी जिले के 70% से ज्यादा सरकारी अस्पतालों में अग्निशमन उपकरण खराब पड़े हुए हैं. सभी अस्पतालों को नोटिस जारी किया गया है. इसके साथ ही उनसे कहा गया है कि वह उपकरणों को सही कराएं, जिससे किसी भी बड़े हादसे से बचा जा सके. इस बारे में जिले के स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों के बात करने की कोशिश की गई तो उन्होंने कुछ भी बोलने से इंकार कर दिया.

कौशांबी: सरकारी अस्पतालों को सुविधाओं से लैस करने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार तमाम कवायद कर रही है. इसके बाद भी सरकारी अस्पताल का प्रबंध इलाज ही नहीं, सुरक्षा में भी हद दर्जे की लापरवाही बरत रहा है. डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्या के गृह जनपद कौशाम्बी के सरकारी अस्पतालों की सुरक्षा भी रामभरोसे है. यहां सरकारी अस्पतालों में आग लग जाए तो उसे बुझाने के लिए उचित उपकरण तक नहीं है. न ही विषम परिस्थितियों से निपटने के लिए कोई व्यवस्था है. अग्निशमन विभाग के अधिकारियों के मुताबिक सरकारी अस्पताल में आग बुझाने के अधिकांश उपकरण खराब हैं.

अग्नि सुरक्षा के नहीं हैं पुख्ता इंतजाम
ईटीवी भारत की टीम ने जिले के अस्पतालों में अग्निकांड सहित विशेष परिस्थितियों से निपटने के लिए लगाए गए उपकरणों का रियलिटी चेक किया. इस दौरान जिला अस्पताल में आग बुझाने के लिए लगाए गए अधिकतर उपकरण खराब मिले. सुरक्षा के मानकों की अनदेखी से अस्पताल में कभी भी परिस्थितियां भयावह हो सकती हैं.OPD वार्ड में नहीं हैं सुरक्षा उपकरणजिला अस्पताल में भूतल पर ओपीडी संचालित की जाती है. इसके कारण यहां मरीजों की भारी भीड़ लगती है. यहां प्रतिदिन 600 से 800 मरीज इलाज के लिए आते हैं. इसके बावजूद यहां आग पर काबू पाने के लिए कोई भी उपकरण नहीं लगाया गया है. ये कहते हैं मरीज और तीमारदारजिला अस्पताल में इलाज कराने आए मरीजों के तीमारदारों से ने बताया कि जिला अस्पताल में आग पर काबू पाने के लिए लगे सुरक्षा उपकरण खराब हो गए हैं. इस ओर स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदार अधिकारी ध्यान नहीं दे रहे हैं. इसके कारण उनकी सुरक्षा व्यवस्था राम भरोसे है.

ये बोले अग्निशमन विभाग के अधिकारी

अग्निशमन विभाग के प्रभारी अधिकारी के मुताबिक कौशांबी जिले के 70% से ज्यादा सरकारी अस्पतालों में अग्निशमन उपकरण खराब पड़े हुए हैं. सभी अस्पतालों को नोटिस जारी किया गया है. इसके साथ ही उनसे कहा गया है कि वह उपकरणों को सही कराएं, जिससे किसी भी बड़े हादसे से बचा जा सके. इस बारे में जिले के स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों के बात करने की कोशिश की गई तो उन्होंने कुछ भी बोलने से इंकार कर दिया.

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