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नहीं मिला स्ट्रेचर तो मृत बच्ची का शव गोद में लेकर पिता पहुंचा एंबुलेंस तक

कौशांबी के संयुक्त जिला अस्पताल में स्ट्रेचर न मिलने पर पिता द्वारा बच्ची का शव गोद में उठा कर शव वाहन तक पहुंचाने का मामला सामने आया है. बताया जाता है कि इलाज के दौरान बच्ची की मौत होने के बाद पिता ने कर्मचारियों से स्ट्रेचर की मांग की थी. वहीं पिता द्वारा मासूम को गोद में ले जाने का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है.

मृत बच्ची का शव लेकर जाता पिता.
मृत बच्ची का शव लेकर जाता पिता.
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Published : Dec 3, 2020, 9:52 PM IST

कौशांबीः सरकारी अस्पतालों में अच्छी सुविधा देने का दावा किया जा रहा है, लेकिन ये तस्वीरें उन दावों की पोल खोलती नजर आ रही हैं. मामला कौशांबी संयुक्त जिला चिकित्सालय का हैं. कर्मचारियों का अमानवीय चेहरा देखने को मिला. इलाज के दौरान एक मासूम की मौत के बाद उसके पिता ने कर्मचारियों से स्ट्रेचर की मांग की. स्ट्रेचर नहीं मिलने पर पिता को अपने मासूम बेटी का शव गोद में उठाकर शव वाहन तक ले जाना पड़ा. तभी इसका किसी ने वीडियो बनाकर सोशल मीडिया में वायरल कर दिया. वीडियो वायरल होने के बाद ड्यूटी में तैनात एमरजेंसी मेडिकल अफसर मीडिया के सामने माफी मांगते रहे और दोबारा ऐसा न होने की बात कही.

मंझनपुर थाना क्षेत्र के चक थाम्भा गांव की किरन (8 वर्ष) की तबीयत खराब हो गई थी. तबीयत खराब होने के बाद पिता उसे जिला अस्पताल दिखाने पहुंचे. जहां जिला अस्पताल पहुंचने से पहले ही उसकी मौत हो गई है. बच्ची की मौत के बाद उसके पिता ने अस्पताल के कर्मचारियों से स्ट्रेचर की मांग की. काफी देर तक जब उसे स्ट्रेचर नहीं मिला तो हाथों में दर्द होने के बावजूद मजबूर पिता ने अपनी बेटी का शव उठाकर एंबुलेंस तक पहुंचा.

हालांकि अस्पातल में पर्याप्त मात्रा में स्ट्रेचर मौजूद हैं. फिर भी वहां ड्यूटी पर तैनात जिम्मेदार हमेशा ऐसी लापरवाही करते हैं. इसका किसी ने वीडियो बनाया और सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया. वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होते ही हड़कंप मच गया. इस मामले में जब मीडिया ने इमरजेंसी ड्यूटी में तैनात डॉक्टर आरके निर्मल से बात की गई तो इमरजेंसी ड्यूटी में तैनात चिकित्सक डॉक्टर आरके निर्मल अपनी गलती के लिए माफी मांग रहे हैं. वह भविष्य में दोबारा ऐसी गलती नहीं करने की बात कह रहे हैं. फिलहाल कुछ भी हो अस्पताल कर्मियों के मानवीय व्यवहार से लोग तरह-तरह की बातें कर रहे हैं.

इससे पहले भी सामने आ चुका है मामला
जिला अस्पताल में इस तरह कि गलती का यह कोई पहला मामला नहीं है. इसके पहले भी एक मामा को अपनी भांजी का शव अपने कंधों पर लादकर साइकिल से ले जाने के लिए मजबूर होना पड़ा था. उस मामले में भी अधिकारियों ने जांच की बात कह कर पूरा मामला टाल दिया था. अगर उस मामले में कार्रवाई की गई होती तो आज इस तरह की संवेदनहीनता देखने को नहीं मिलती. वहीं जिला अस्पताल के आला अधिकारी इस पूरे मामले में कैमरे के सामने कुछ भी बोलने से कतराते नजर आए.

कौशांबीः सरकारी अस्पतालों में अच्छी सुविधा देने का दावा किया जा रहा है, लेकिन ये तस्वीरें उन दावों की पोल खोलती नजर आ रही हैं. मामला कौशांबी संयुक्त जिला चिकित्सालय का हैं. कर्मचारियों का अमानवीय चेहरा देखने को मिला. इलाज के दौरान एक मासूम की मौत के बाद उसके पिता ने कर्मचारियों से स्ट्रेचर की मांग की. स्ट्रेचर नहीं मिलने पर पिता को अपने मासूम बेटी का शव गोद में उठाकर शव वाहन तक ले जाना पड़ा. तभी इसका किसी ने वीडियो बनाकर सोशल मीडिया में वायरल कर दिया. वीडियो वायरल होने के बाद ड्यूटी में तैनात एमरजेंसी मेडिकल अफसर मीडिया के सामने माफी मांगते रहे और दोबारा ऐसा न होने की बात कही.

मंझनपुर थाना क्षेत्र के चक थाम्भा गांव की किरन (8 वर्ष) की तबीयत खराब हो गई थी. तबीयत खराब होने के बाद पिता उसे जिला अस्पताल दिखाने पहुंचे. जहां जिला अस्पताल पहुंचने से पहले ही उसकी मौत हो गई है. बच्ची की मौत के बाद उसके पिता ने अस्पताल के कर्मचारियों से स्ट्रेचर की मांग की. काफी देर तक जब उसे स्ट्रेचर नहीं मिला तो हाथों में दर्द होने के बावजूद मजबूर पिता ने अपनी बेटी का शव उठाकर एंबुलेंस तक पहुंचा.

हालांकि अस्पातल में पर्याप्त मात्रा में स्ट्रेचर मौजूद हैं. फिर भी वहां ड्यूटी पर तैनात जिम्मेदार हमेशा ऐसी लापरवाही करते हैं. इसका किसी ने वीडियो बनाया और सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया. वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होते ही हड़कंप मच गया. इस मामले में जब मीडिया ने इमरजेंसी ड्यूटी में तैनात डॉक्टर आरके निर्मल से बात की गई तो इमरजेंसी ड्यूटी में तैनात चिकित्सक डॉक्टर आरके निर्मल अपनी गलती के लिए माफी मांग रहे हैं. वह भविष्य में दोबारा ऐसी गलती नहीं करने की बात कह रहे हैं. फिलहाल कुछ भी हो अस्पताल कर्मियों के मानवीय व्यवहार से लोग तरह-तरह की बातें कर रहे हैं.

इससे पहले भी सामने आ चुका है मामला
जिला अस्पताल में इस तरह कि गलती का यह कोई पहला मामला नहीं है. इसके पहले भी एक मामा को अपनी भांजी का शव अपने कंधों पर लादकर साइकिल से ले जाने के लिए मजबूर होना पड़ा था. उस मामले में भी अधिकारियों ने जांच की बात कह कर पूरा मामला टाल दिया था. अगर उस मामले में कार्रवाई की गई होती तो आज इस तरह की संवेदनहीनता देखने को नहीं मिलती. वहीं जिला अस्पताल के आला अधिकारी इस पूरे मामले में कैमरे के सामने कुछ भी बोलने से कतराते नजर आए.

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