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अब गायें केवल दुधारू पशुओं को ही देंगी जन्म, जानिये खास वजह

उत्तर प्रदेश के कौशाम्बी जिले में आवारा पशुओं की संख्या में कमी करने के लिए जिला प्रशासन की ओर से एक खास प्लान तैयार किया गया है. इस प्लान के तहत गायों का विशेष सीमन के जरिए गर्भाधान कराया जाएगा. इस सीमन से 90% गायें बछियों को जन्म देंगी.

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Published : Aug 29, 2019, 1:14 PM IST

गोवंश

कौशाम्बी: आधुनिक तकनीक के दौर में अब किसान बैलों से खेती नहीं करते, जिसके कारण उन्हें आवारा छोड़ दिया जाता है. कौशांबी जिले में आवारा पशुओं की संख्या काफी तेजी से बढ़ रही है. इससे निपटने के लिए जिला प्रशासन ने एक मास्टर प्लान तैयार किया है. इसके तहत अब गायें सिर्फ बछिया को ही जन्म देगी. इससे दुधारू जानवरों की संख्या तो बढ़ेगी ही साथ ही आवारा मवेशियों की संख्या में भी कमी आएगी.

आवारा पशुओं की संख्या कम करने के लिए तैयार की गई योजना.

आवारा पशु किसानों के लिए बड़ी समस्या बने हुए हैं. ये पशु किसानों की फसलों को तो नुकसान पहुंचाते ही है, साथ ही ये सड़क पर भी कई दुर्घटनाओं का कारण बन जाते हैं. आवारा पशुओं की रोकथाम के लिए जिले में दर्जनों गोशालाएं खोली गईं, लेकिन इसका भी कुछ खास असर देखने को नहीं मिला. ऐसे में बछड़ों की संख्या कम करने के लिए जिला प्रशासन की ओर से एक मास्टर प्लान तैयार किया गया है. जिला प्रशासन की ओर से कुछ ऐसे सीमन मंगवाए गए हैं, जिनके जरिए गायों का कृत्रिम गर्भाधान कराया जाएगा. इस गर्भाधान से गाय केवल बछियों को जन्म देंगी.

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जिला प्रशासन की इस पहले से एकतरफ बछड़ों की संख्या में कमी आएगी तो वहीं दूध उत्पादन को भी बढ़ावा मिलेगा. यह योजना देसी नस्ल की गायों पर लागू होगी, जिसमें देसी नस्ल की गायों को साहिवाल, गिर, हरियाणवी, थारपारकर और गंगातिरी के सीमन से कृत्रिम गर्भाधान कराया जाएगा. इनमें जन्म लेने वाली बछिया ज्यादा दूध देगी. इस सीमन की कीमत 1500 रुपये बताई जा रही है. योजना का लाभ पाने के लिए पशुपालकों को 300 रुपये देने होंगे. बाकी पैसे प्रशासन के द्वारा अनुदान पर दिए जाएंगे.

इसे भी पढ़ें- हरदोई की नन्हीं 'सुनहरी' ने उठाया गांव का जिम्मा, 12 बच्चों का कराया एडमिशन

इस प्रोजेक्ट के दो प्रमुख उद्देश्य हैं, पहला- गायों की संख्या में बढ़ोतरी लाकर दूध उत्पादन बढ़ाना. वहीं दूसरा- आवारा पशुओं की संख्या को कम करना. इस योजना के जरिए 2 से 4 साल में इन लक्ष्यों को हासिल करने का प्लान तैयार किया गया है. इतना ही नहीं जिला प्रशासन का मानना है कि आवारा पशुओं की संख्या में कमी आने के बाद फसल की बर्बादी और सड़क हादसों में भी पहले के मुकाबले गिरावट आएगी.

सेक्स अर्ट्रेक सीमन के जरिये गायों का गर्भाधान करने की योजना है. इससे 90% गायें केवल बछियों को जन्म देंगी. इससे एक ओर दुग्ध उत्पादन तो बढ़ेगा ही साथ ही आवारा पशुओं की संख्या में भी कमी आएगी.
-बृजेश्वर पाठक, मुख्य पशु चिकित्साधिकारी

कौशाम्बी: आधुनिक तकनीक के दौर में अब किसान बैलों से खेती नहीं करते, जिसके कारण उन्हें आवारा छोड़ दिया जाता है. कौशांबी जिले में आवारा पशुओं की संख्या काफी तेजी से बढ़ रही है. इससे निपटने के लिए जिला प्रशासन ने एक मास्टर प्लान तैयार किया है. इसके तहत अब गायें सिर्फ बछिया को ही जन्म देगी. इससे दुधारू जानवरों की संख्या तो बढ़ेगी ही साथ ही आवारा मवेशियों की संख्या में भी कमी आएगी.

आवारा पशुओं की संख्या कम करने के लिए तैयार की गई योजना.

आवारा पशु किसानों के लिए बड़ी समस्या बने हुए हैं. ये पशु किसानों की फसलों को तो नुकसान पहुंचाते ही है, साथ ही ये सड़क पर भी कई दुर्घटनाओं का कारण बन जाते हैं. आवारा पशुओं की रोकथाम के लिए जिले में दर्जनों गोशालाएं खोली गईं, लेकिन इसका भी कुछ खास असर देखने को नहीं मिला. ऐसे में बछड़ों की संख्या कम करने के लिए जिला प्रशासन की ओर से एक मास्टर प्लान तैयार किया गया है. जिला प्रशासन की ओर से कुछ ऐसे सीमन मंगवाए गए हैं, जिनके जरिए गायों का कृत्रिम गर्भाधान कराया जाएगा. इस गर्भाधान से गाय केवल बछियों को जन्म देंगी.

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जिला प्रशासन की इस पहले से एकतरफ बछड़ों की संख्या में कमी आएगी तो वहीं दूध उत्पादन को भी बढ़ावा मिलेगा. यह योजना देसी नस्ल की गायों पर लागू होगी, जिसमें देसी नस्ल की गायों को साहिवाल, गिर, हरियाणवी, थारपारकर और गंगातिरी के सीमन से कृत्रिम गर्भाधान कराया जाएगा. इनमें जन्म लेने वाली बछिया ज्यादा दूध देगी. इस सीमन की कीमत 1500 रुपये बताई जा रही है. योजना का लाभ पाने के लिए पशुपालकों को 300 रुपये देने होंगे. बाकी पैसे प्रशासन के द्वारा अनुदान पर दिए जाएंगे.

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इस प्रोजेक्ट के दो प्रमुख उद्देश्य हैं, पहला- गायों की संख्या में बढ़ोतरी लाकर दूध उत्पादन बढ़ाना. वहीं दूसरा- आवारा पशुओं की संख्या को कम करना. इस योजना के जरिए 2 से 4 साल में इन लक्ष्यों को हासिल करने का प्लान तैयार किया गया है. इतना ही नहीं जिला प्रशासन का मानना है कि आवारा पशुओं की संख्या में कमी आने के बाद फसल की बर्बादी और सड़क हादसों में भी पहले के मुकाबले गिरावट आएगी.

सेक्स अर्ट्रेक सीमन के जरिये गायों का गर्भाधान करने की योजना है. इससे 90% गायें केवल बछियों को जन्म देंगी. इससे एक ओर दुग्ध उत्पादन तो बढ़ेगा ही साथ ही आवारा पशुओं की संख्या में भी कमी आएगी.
-बृजेश्वर पाठक, मुख्य पशु चिकित्साधिकारी

Intro:आधुनिक तकनीकी के दौर पर अब किसान बैलों से खेती नहीं करते हैं। जिसके कारण उन्हें आवारा छोड़ दिया जाता है। आवारा पशुओं की संख्या कौशांबी जिले में काफी तेजी से बढ़ रही है। इससे निपटने के लिए जिला प्रशासन ने एक मास्टर प्लान तैयार किया है। जिससे गाय अब सिर्फ बछिया यानी दुधारू मवेशी को ही जन्म देगी। इससे दुधारू जानवरों की संख्या तो बढ़ेगी ही साथ ही आवारा घूमने वाले मवेशियों की संख्या में भी कमी आएगी। गाय अब केवल बछियों को जन्म दे इसके लिए एक ऐसा सीमन मंगवाया गया जा रहा है जिस सीमन के जरिए गायों का कृत्रिम गर्भाधान करवाया गया तो वह केवल बछिया को जन्म देंगी। इससे एक तरफ दूध उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा वही आवारा जानवरों की संख्या में भी कमी आएगी।


Body:आवारा पशु किसान के लिए बड़ी समस्या बने हुए हैं। वह किसानों की फसल का नुकसान करते है। सड़क पर भी आवारा पशुओं के टहलने के कारण सड़क दुर्घटनाओं में न जाने कितने लोग की आवारा पशु जान ले चुके हैं। फिलहाल आवारा पशुओं का कोई समाधान नजर नहीं आ रहा है। कौशांबी में शासन की दखल के बाद दर्जनों गौशाला खोली गई। इन गौशालाओं में आवारा गोवंश को एकत्रित कर किसान की फसल का नुकसान कम करने का प्रयास किया गया। इस कार्य में शिथिलता बरतने वाले ग्राम प्रधानों को जिलाधिकारी ने सख्त कार्रवाई करने की चेतावनी भी दिया था। पर इसका कुछ खास असर देखने को नहीं मिला। कारण आधुनिक तकनीकी के दर पर किसान बैलों से खेती नहीं करते हैं और वह उसे खुला छोड़ देते हैं जिसके कारण दिन-प्रतिदिन आवारा पशुओं की संख्या बढ़ती जा रही है। बछड़ों की संख्या कम करने के लिए जिला प्रशासन ने एक मास्टर प्लान तैयार किया है। जिला प्रशासन ने कुछ ऐसे सीमन मंगवाया है जिनके जरिए गायों का कृतिम गर्भाधान किया जाएगा। जिससे गाय केवल बछियों यानी दुधारू मवेशियों को जन्म देगी। इससे एकतरफ बछड़ों की संख्या में कमी आएगी साथ ही साथ दूध उत्पादन को भी बढ़ावा मिलेगा। यह योजना देसी नस्ल की गायों पर लागू होगी। जिसमें देसी नस्ल की गायों को सीहिवाल गिर हरियाणवी थारपारकर और गंगातिरी के सीमन से कृत्रिम गर्भाधान कराया जाएगा। जिससे जन्मी बछिया ज्यादा दूध देगी।इस सीमन की कीमत 1500 रुपये बताई जा रही है। योजना का लाभ पाने के लिए पशुपालकों को ₹300 देने पड़ेंगे। बाकी पैसे प्रशासन के द्वारा अनुदान पर दिए जाएंगे। इस प्रोजेक्ट का दो प्रमुख मकसद है पहला- गायों की संख्या में बढ़ोतरी लाकर दूध उत्पादन बढ़ाना। दूसरा - साड़ों की संख्या को कम करना। योजना के जरिए 2 से 4 साल में इन लक्ष्य को हासिल करने का प्लान तैयार किया गया है। यही नहीं जिला प्रशासन का मानना है कि साड़ों की संख्या में कमी आने के बाद फसल की बर्बादी और आवारा मवेशियों द्वारा सड़क हादसा में भी पहले के मुकाबले गिरावट आएगी।


Conclusion:कौशाम्बी जिले में गायों को सेक्स अर्ट्रेक सीमन के जरिये गायो को गर्भाधान करने की योजना है। जिससे गाय केवल बछिया यानी दुधारू पशुओं को जन्म देगी। इससे 90% गाय केवल बछियों को जन्म देगी। जिससे एक ओर दुग्ध उत्पादन बढ़ेगा वही आवारा पशुओं में भी कमी आएगी। इसके जरिये देसी नस्ल की गायों को सीहिवाल गिर हरियाणवी थारपारकर और गंगातिरी के सीमन से कृत्रिम गर्भाधान कराया जाएगा। जिससे ये सभी नस्ल की गाय ज्यादा दूध देगी जिससे किसानों को फायदा होगा। बाइट-- बृजेश्वर पाठक मुख्य पशु चिकित्साधिकारी कौशाम्बी
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