कौशाम्बी: आधुनिक तकनीक के दौर में अब किसान बैलों से खेती नहीं करते, जिसके कारण उन्हें आवारा छोड़ दिया जाता है. कौशांबी जिले में आवारा पशुओं की संख्या काफी तेजी से बढ़ रही है. इससे निपटने के लिए जिला प्रशासन ने एक मास्टर प्लान तैयार किया है. इसके तहत अब गायें सिर्फ बछिया को ही जन्म देगी. इससे दुधारू जानवरों की संख्या तो बढ़ेगी ही साथ ही आवारा मवेशियों की संख्या में भी कमी आएगी.
आवारा पशु किसानों के लिए बड़ी समस्या बने हुए हैं. ये पशु किसानों की फसलों को तो नुकसान पहुंचाते ही है, साथ ही ये सड़क पर भी कई दुर्घटनाओं का कारण बन जाते हैं. आवारा पशुओं की रोकथाम के लिए जिले में दर्जनों गोशालाएं खोली गईं, लेकिन इसका भी कुछ खास असर देखने को नहीं मिला. ऐसे में बछड़ों की संख्या कम करने के लिए जिला प्रशासन की ओर से एक मास्टर प्लान तैयार किया गया है. जिला प्रशासन की ओर से कुछ ऐसे सीमन मंगवाए गए हैं, जिनके जरिए गायों का कृत्रिम गर्भाधान कराया जाएगा. इस गर्भाधान से गाय केवल बछियों को जन्म देंगी.
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जिला प्रशासन की इस पहले से एकतरफ बछड़ों की संख्या में कमी आएगी तो वहीं दूध उत्पादन को भी बढ़ावा मिलेगा. यह योजना देसी नस्ल की गायों पर लागू होगी, जिसमें देसी नस्ल की गायों को साहिवाल, गिर, हरियाणवी, थारपारकर और गंगातिरी के सीमन से कृत्रिम गर्भाधान कराया जाएगा. इनमें जन्म लेने वाली बछिया ज्यादा दूध देगी. इस सीमन की कीमत 1500 रुपये बताई जा रही है. योजना का लाभ पाने के लिए पशुपालकों को 300 रुपये देने होंगे. बाकी पैसे प्रशासन के द्वारा अनुदान पर दिए जाएंगे.
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इस प्रोजेक्ट के दो प्रमुख उद्देश्य हैं, पहला- गायों की संख्या में बढ़ोतरी लाकर दूध उत्पादन बढ़ाना. वहीं दूसरा- आवारा पशुओं की संख्या को कम करना. इस योजना के जरिए 2 से 4 साल में इन लक्ष्यों को हासिल करने का प्लान तैयार किया गया है. इतना ही नहीं जिला प्रशासन का मानना है कि आवारा पशुओं की संख्या में कमी आने के बाद फसल की बर्बादी और सड़क हादसों में भी पहले के मुकाबले गिरावट आएगी.
सेक्स अर्ट्रेक सीमन के जरिये गायों का गर्भाधान करने की योजना है. इससे 90% गायें केवल बछियों को जन्म देंगी. इससे एक ओर दुग्ध उत्पादन तो बढ़ेगा ही साथ ही आवारा पशुओं की संख्या में भी कमी आएगी.
-बृजेश्वर पाठक, मुख्य पशु चिकित्साधिकारी