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डीसीपी मुख्यालय में तैनात दारोगा पर लगे गंभीर आरोप, सोशल मीडिया पर वायरल हुआ गुमनाम पत्र

Serious Allegations on UP Police Inspector : कानपुर कमिश्नरेट पुलिस के डीसीपी मुख्यालय में तैनात दारोगा पर आरोप लगाते हुए एक पत्र सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. देखें, इस पत्र में क्या लिखा है.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Nov 8, 2023, 7:10 PM IST

गुमनाम पत्र के बारे में जानकारी देते डीसीपी मुख्यालय शिवाजी.

कानपुर: उत्तर प्रदेश की पुलिस इन दोनों लगातार चर्चा में बनी हुई है. खासकर कानपुर पुलिस. अभी कुछ दिन पहले ही एंटी करप्शन की टीम ने कानपुर के कलेक्टरगंज थाना प्रभारी रामजनम सिंह गौतम को 50 हजार रुपए की घूस लेते हुए रंगे हाथ पकड़ा था. वहीं, बुधवार को कानपुर कमिश्नरेट पुलिस के डीसीपी मुख्यालय में तैनात दारोगा कमल किशोर की शिकायत का एक गुमनाम पत्र सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. पत्र के जरिए दारोगा पर कई गंभीर आरोप लगाए गए हैं. हालांकि, ईटीवी भारत पर इस वायरल पत्र की पुष्टि नहीं करता है.

दारोगा पर लगे ये आरोप: सोशल मीडिया पर जो पत्र वायरल हो रहा है, उसके माध्यम से पुलिस आयुक्त को अवगत कराया गया है कि उप निरीक्षक कमल किशोर अग्निहोत्री जो कि करीब 22 साल से विभिन्न कार्यालय में जांच का काम करते रहे हैं. वर्तमान समय में एसीपी मुख्यालय में काम कर रहे हैं. वायरल पत्र में आरोप लगाया गया है कि इनके द्वारा कर्मचारियों के खिलाफ गुमनाम पत्र डलवाए जाते हैं और फिर कर्मचारियों से जांच के नाम पर धन उगाही की जाती है. वायरल पत्र के माध्यम से दरोगा पर आरोप लगाया गया है.

UP Police
सोशल मीडिया पर वायरल गुमनाम पत्र.

दारोगा पर करोड़ों की संपत्ति अर्जित करने का भी आरोपः इससे इन्होंने करोड़ों की संपत्ति भी इकट्ठा कर ली है और अपने बहू से इनका नाजायज संबंध है. बच्चा भी इन्हीं का है. वायरल पत्र में लिखा है कि महिला सिपाहियों से भी इनके अवैध संबंध है. उप निरीक्षक के पद पर रहते हुए यह कभी भी थाने पर नहीं रहे हैं. वायरल पत्र में लिखा है कि यह अधिकारियों के विश्वास का नाजायज फायदा उठाते हैं. वहीं, दरोगा पर लगाए गए गंभीर आरोपों का पत्र सोशल मीडिया के विभिन्न प्लेटफार्म पर काफी तेजी से वायरल हो रहा है.

मामले पर क्या बोले डीसीपी मुख्यालयः इस पूरे मामले में डीसीपी मुख्यालय शिवाजी ने बताया कि एसआई कमल किशोर पहले कांस्टेबल थे. लगभग 12 साल वह यहां पर कार्यरत रहे. वहीं, इससे पहले वह जीआरपी में थे. जीआरपी में भी वह कानपुर में ही कार्यरत थे. उन्होंने बताया कि जो चिट्ठी वायरल हो रही है, उसमें जो तथ्य हैं, उनमें एक चीज सही थी कि वह काफी दिन से यहीं पर थें. इस आधार पर उनका ट्रांसफर भी था. उनको रिलीफ कर दिया गया है.

ये भी पढ़ेंः IPS Anand Kumar से योगी सरकार की नाराजगी हुई दूर, बनाए गए CBCID चीफ, क्या भविष्य में डीजीपी बनेंगे

गुमनाम पत्र के बारे में जानकारी देते डीसीपी मुख्यालय शिवाजी.

कानपुर: उत्तर प्रदेश की पुलिस इन दोनों लगातार चर्चा में बनी हुई है. खासकर कानपुर पुलिस. अभी कुछ दिन पहले ही एंटी करप्शन की टीम ने कानपुर के कलेक्टरगंज थाना प्रभारी रामजनम सिंह गौतम को 50 हजार रुपए की घूस लेते हुए रंगे हाथ पकड़ा था. वहीं, बुधवार को कानपुर कमिश्नरेट पुलिस के डीसीपी मुख्यालय में तैनात दारोगा कमल किशोर की शिकायत का एक गुमनाम पत्र सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. पत्र के जरिए दारोगा पर कई गंभीर आरोप लगाए गए हैं. हालांकि, ईटीवी भारत पर इस वायरल पत्र की पुष्टि नहीं करता है.

दारोगा पर लगे ये आरोप: सोशल मीडिया पर जो पत्र वायरल हो रहा है, उसके माध्यम से पुलिस आयुक्त को अवगत कराया गया है कि उप निरीक्षक कमल किशोर अग्निहोत्री जो कि करीब 22 साल से विभिन्न कार्यालय में जांच का काम करते रहे हैं. वर्तमान समय में एसीपी मुख्यालय में काम कर रहे हैं. वायरल पत्र में आरोप लगाया गया है कि इनके द्वारा कर्मचारियों के खिलाफ गुमनाम पत्र डलवाए जाते हैं और फिर कर्मचारियों से जांच के नाम पर धन उगाही की जाती है. वायरल पत्र के माध्यम से दरोगा पर आरोप लगाया गया है.

UP Police
सोशल मीडिया पर वायरल गुमनाम पत्र.

दारोगा पर करोड़ों की संपत्ति अर्जित करने का भी आरोपः इससे इन्होंने करोड़ों की संपत्ति भी इकट्ठा कर ली है और अपने बहू से इनका नाजायज संबंध है. बच्चा भी इन्हीं का है. वायरल पत्र में लिखा है कि महिला सिपाहियों से भी इनके अवैध संबंध है. उप निरीक्षक के पद पर रहते हुए यह कभी भी थाने पर नहीं रहे हैं. वायरल पत्र में लिखा है कि यह अधिकारियों के विश्वास का नाजायज फायदा उठाते हैं. वहीं, दरोगा पर लगाए गए गंभीर आरोपों का पत्र सोशल मीडिया के विभिन्न प्लेटफार्म पर काफी तेजी से वायरल हो रहा है.

मामले पर क्या बोले डीसीपी मुख्यालयः इस पूरे मामले में डीसीपी मुख्यालय शिवाजी ने बताया कि एसआई कमल किशोर पहले कांस्टेबल थे. लगभग 12 साल वह यहां पर कार्यरत रहे. वहीं, इससे पहले वह जीआरपी में थे. जीआरपी में भी वह कानपुर में ही कार्यरत थे. उन्होंने बताया कि जो चिट्ठी वायरल हो रही है, उसमें जो तथ्य हैं, उनमें एक चीज सही थी कि वह काफी दिन से यहीं पर थें. इस आधार पर उनका ट्रांसफर भी था. उनको रिलीफ कर दिया गया है.

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